होली में भांग क्यों पीते हैं, जानिए असली वजह
Posted By: Ashutosh Ojha
Last updated on : March 02, 2020
रंगों के साथ खूब खेलना, खूब खाना, खूब पीना, खूब मौज मस्ती करना ही होली है। खासकर जब आपके चहेते आपके साथ हों तो होली खेलने का मजा और बढ़ जाता है। होली में चाहे बात खोये की गुझिया की हो या आलू के पापड़ चिप्स की, हर कोई इसे होली में ही खासकर बनाने और खाने की कोशिश करता है।
भारत के किसी भी कोने में होली जब भी मनाई जाती है तो सबसे पहले जिस चीज की बात की जाती है वो है भांग। होली और भांग का रिश्ता बहुत पुराना है और सबसे ज्यादा प्रगाढ़ है। अक्सर लोग ये कहते भी है कि अगर होली में भांग नहीं पी, तो मतलब आपने होली का अपमान किया।
इस बार की होली मनाने से पहले आप भी ये जान लीजिये कि आखिर भांग और होली का क्या रिश्ता है। आज हम आपको बताएंगें कि आखिर होली में भांग का इतना महत्व क्यों है।
भांग का महत्व
भांग को हिन्दू संस्कृति का हिस्सा माना गया है। इसलिए होली के दिन लोग अपने घरों में भांग की गोली और भांग के पकवान बनाते है। साथ ही उसे लस्सी के साथ मिलाकर पीते भी है।
आयुर्वेदिक दवा है भांग
अथर्ववेद में जिन पांच पेड़ पौधे को सबसे पवित्र माना गया है उनमें सिर्फ भांग का पौधा ही शामिल है। कहा जाता है कि भांग की पत्तियों में देवता निवास करते है। अथर्ववेद में इसे 'खुशी देने वाले' और 'मुक्तिकारी' पौधे का दर्जा मिला है।
आयुर्वेद के अनुसार, भांग का पौधा औषधीय गुणों से भरपूर है। हालांकि इसका ज्यादा स्तेमाल भी सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है। बताया जाता है कि भांग का प्रयोग पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने और भूख बढ़ाने में मददगार होता है।
भगवान भोलेनाथ ने किया भांग का सेवन
हिन्दू धर्म की अलग अलग किवदंतियों के अनुसार, भगवान भोलेनाथ ने परिवार में किसी प्रकार के विवाद के कारण घर छोड़ दिया। वो गुस्से में घर छोड़ दिए एक रात खुले आसमान के नीचे एक खेत में गुजारी। जब सुबह उनकी आँख खुली तो उन्हें भूख लगी, और उन्होंने बगल में लगे भांग के पत्ते को नोच कर खा लिया। भांग का पत्ता खाने के बाद भगवान शंकर को काफी चुस्ती फुर्ती का एहसास हुआ, वो पहले से ज्यादा खुद को तरोताजा महसूस करने लगे। इस वजह से भगवान शंकर को खुश करने के लिए लोगों ने उन्हें भांग का पत्ता भी चढ़ाना शुरू कर दिया।
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