अगर आपके जोड़ो में दर्द है या लंबे समय से गठिया की परेशानी है और कोई भी दवा असर नहीं कर रही है तो बी थेरेपी आजमा कर देखिए इससे आपके ठीक होने की संभावना ज्यादा है। सुनने में भले अजीब लग रहा हो लेकिन ये बिल्कुल सही बात है, मधुमक्खी के डंक से कई तरह की बीमारियों को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
ये दावा है सहारनपुर के रहने वाले संजय सैनी का। संजय वर्ष 1992 से मधुमक्खी पालन कर रहे हैं। ये कॉम हनी से शहद बनाते हैं जो पूरी तरह से नेचुरल है, इसमें किसी भी तरह की कोई प्रोसेसिंग नहीं होती है। ये लोगों को इसकी ट्रेनिंग भी देते हैं कि कैसे असली और नकली शहद की पहचान की जाए। सहारनपुर देश का पांचवा शहर जो सबसे ज्यादा शहद एक्सपोर्ट करता है, 17 से 18 हजार लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं।
हनी बी के पोलेन, शहद और रॉयल जैली से बहुत तरह की बीमारियां पूरी तरह से खत्म की जा सकती हैं। सहारनपुर में अभी इस पर बड़े स्तर पर काम हो रहा है और लोग धीरे-धीरे इस थेरेपी को अपना भी रहे हैं।
इन बीमारियों का इलाज है संभव
संजय सैनी पिछले दस वर्षों से जर्मन आधारित बी थेरेपी भी कर रहे हैं जो अभी भारत में भले कम प्रचलित है लेकिन पूरी तरह से असरदार है। अभी तक इसमें 12000 से ज्यादा लोगों का इलाज किया गया है। ये ऐसी बीमारियां थीं जो लाइलाज हो गई थीं। चाइना, जापान,जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, थाईलैण्ड में ये थेरेपी पहले से कर रहे हैं और इसके लिए वहां अलग से अस्पताल भी है लेकिन यहां अभी ये थेरेपी ज्यादा प्रचलित नहीं हो पाई है। यहां हमने सहारनपुर से इसकी शुरुआत की है और आज हमारे पास हजारों मरीज हैं। ये थेरपी अर्थराइटिस, माइग्रेन, थॉयराइड, साटिका, सर्वाइकल जैसी बीमारियों में पूरी तरह से कारगर है।
कैसे की जाती है थेरेपी
इसमें हम मधुमक्खी के डंक, वी वैमन को सीधा बॉडी को देते हैं, उसके जरिए ही इलाज होता है। सहारनपुर में इसका सेंटर है जहां कई मरीज इलाज के लिए आते हैं। संजय सैनी बताते हैं कि उन्होंने जर्मनी के QSI एक संगठन है जिसमें सात देश जुड़े हैं वहीं से हमने इसकी ट्रेनिंग ली थी और पिछले दस सालों से हम बी थेरेपी जिसे एपी थेरेपी भी कहा जाता है, उसके जरिए मरीजों का इलाज कर रहे हैं। ये पूरी तरह से सफल थेरेपी है जो मिनटों व सेंकेडों में रिजल्ट देती है। हम चाहते हैं कि हमारे देश में सरकार इसे मेडिकल शिक्षा में शामिल कर, इसकी भी डिग्री दी जाए। इससे लोग ज्यादा इसकी ओर आकर्षित होगें और दूसरे देशों की तरह हमारे यहां भी ये थेरेपी आगे बढ़ेगी।