सरकारी स्कूल में पीटी करते इन बच्चों को देखकर आपका दिल भी खुश हो जाएगा

पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया पर एक सरकारी स्कूल में पीटी करते हुए बच्चों का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें बिना किसी ड्रेस, जूते और बाकी संसाधनों के बच्चे एक साथ एक लय में अभ्यास करते दिख रहे हैं। इस वीडियो को सोशल मीडिया पर काफी सराहना मिली है।    

ये बच्चे हरदोई जिले के सांडी ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय सनफरा के हैं, जो सुदूर पिछड़ा और बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। यहां कुल 138 बच्चे पंजीकृत है, जिसमें से रोज 110 ये 120 के बीच उपस्थित होते हैं। स्कूल में संसाधनों की कमी है लेकिन इसके बावजूद अध्यापकों की मेहनत से बच्चे पढ़ाई से लकर खेल-कूद सभी क्षेत्रों में आगे हैं। सहायक अध्यापक रमेश कुमार बताते हैं, हम दो ही टीचर हैं स्कूल में, हमारे यहां प्रार्थना के समय रोज पीटी कराई जाती है जिसमें 1 से लेकर 5 तक की कक्षा के सभी बच्चे शामिल होते हैं। जो बच्चे ज्यादा अच्छा करते हैं , उन्हें छांटकर बाद में भी प्रैक्टिस कराई जाती है। 

रमेश कुमार बताते हैं, इन बच्चों के पास कोई ड्रेस नहीं, जूते नहीं हैं इसके बावजूद इनका उत्साह इतना ज्यादा है कि ये रोज खुद समय पर प्रैक्टिस के लिए पहुंच जाते हैं और पूरे मन से पीटी करते हैं। 

रमेश कुमार के अलावा स्कूल में प्रधानाध्यापक रसूल अहमद वर्ष 2015 से पढ़ा रहे हैं। वो बताते हैं कि स्कूल को पटरी पर लाने के लिए हम दोनों अध्यापकों ने सबसे पहले तो अभिभावकों को समझाया कि बच्चों को रोज स्कूल भेंजे, पहले तो उनपर हमारी बातों का ज्यादा फर्क नहीं पड़ा लेकिन धीरे-धीरे उनकी सोच बदली। अब तो हमारे यहां आठ बजे का स्कूल है तो बच्चे 7  बजकर 40 मिनट तक पहुंच जाते हैं। 

टीचर की कमी को इस टेक्निक से करते हैं पूरी

प्राथमिक विद्यालय सनफरा में 138 बच्चों पर सिर्फ दो टीचर हैं जबकि मानकों के अनुसार पांच होने चाहिए। ऐसे में बाकी कक्षाओं की पढ़ाई कैसे हो इसका समाधान भी इन दोनों टीचरों ने ढूंढ निकाला है। प्रधानाध्यापक रसूल अहमद बताते हैं, हमने हर कक्षा में बच्चों की टोली बना दी है, जिसमें दो तेज बच्चे हैं और पांच मध्यम बुद्धि स्तर के। तो हम दोनों टीचर दो कक्षाओं में पढ़ा रहे होते हैं तो बाकी में ये लोग गोला बनाकर बैठकर एक-दूसरे को पढ़ाते हैं। 

सुविधाएं उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश

स्कूल में अभी कई सुविधाएं नहीं है जिनके लिए हम सरकारी विभागों की राह तकने के बजाय खुद हर महीने अपने वेतन से 1000, 1500 रुपए निकालते हैं। इससे स्कूल की जरूरी चीजें आती हैं जैसे अभी हम कोशिश कर रहे हैं कि कुछ समय में सभी बच्चों के पीटी ड्रेस आ जाएं। इसके अलावा स्कूल में मिड डे मील की गुणवत्ता भी अच्छी होती है। हम तो कहते हैं कि कोई भी अधिकारी कभी भी हमारे स्कूल निरीक्षण के लिए आ जाए अचानक और देख ले कि हम जो कहते हैं वो जमीनी हकीकत है। 

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