
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने विदेशी निवेशकों को अमेरिका की नागरिकता देने के लिए 35 साल पुराने वीजा कार्यक्रम की जगह ट्रम्प गोल्ड कार्ड योजना का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत 50 लाख अमेरिकी डालर यानि करीब 43.5 करोड़ रुपए में निवेशकों को नागरिकता मिलेगी।
ट्रम्प ने राष्ट्रपति कार्यालय ओवल ऑफिस में कहा गोल्ड कार्ड लेने वाले लोग अमेरिकी नागरिकता के पात्र हो जाएंगे। अमीर और सफल लोग ये कार्ड ले सकते हैं और इस कार्ड को खरीदने वाले अमेरिका के स्थायी निवासी बन सकेंगे। ट्रम्प ने कहा ये अमीर लोग बड़ी मात्रा में अमेरिका में पैसा निवेश करेंगे काफी कर चुकाएंगे, कई लोगों को नौकरी देंगे और मुझे लगता है कि यह योजना सफल होने वाली है। वहीं अमेरिकी वाणिज्य मंत्री होवार्ड ल्यूटनिक ने कहा ट्रम्प गोल्ड कार्ड दो सप्ताह में ईबी-5 वीजा की जगह ले लेगा।
ईबी-5 वीजा और ट्रंप गोल्ड कार्ड वीजा के बीच सबसे बड़ी भिन्नता 10 लाख डॉलर के मुकाबले चुकाई जाने वाली 50 लाख डॉलर जैसी मोटी रकम हो सकती है, लेकिन निश्चित रूप से सबसे व्यापक नाटकीय बदलाव नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘यदि ट्रंप गोल्ड कार्ड धारकों को अमेरिका से बाहर किसी अन्य देश में होने वाली आय को छूट देते हैं तो धनी लोगों के लिए इस नए वीजा कार्यक्रम के लिए दी जाने वाली 50 लाख डॉलर की रकम चार आने (बहुत ही मामूली) के बराबर होगी, अन्यथा ये लोग अमेरिकी वैश्विक कराधान के दायरे में आ सकते हैं।
क्या है गोल्ड कार्ड
दोनों तरह के वीजा में बहुत बड़ा अंतर है। मौजूदा ईबी-5 कार्यक्रम के तहत, विदेशी निवेशकों को अमेरिकी व्यवसायों में 8 से 10 लाख डॉलर के बीच कहीं भी निवेश करना पड़ता है और कम से कम 10 नई नौकरियां पैदा करनी पड़ती हैं। इसके अलावा ग्रीन कार्ड के लिए 5-7 साल का इंतज़ार भी करना पड़ता है। विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए 1990 में शुरू किए गए इस कार्यक्रम पर पिछले कई साल से दुरुपयोग और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं।
अब ‘गोल्ड कार्ड’ वीज़ा प्लान की फीस पांच गुना बढ़ाकर 5 मिलियन डॉलर तय की गई है। भारी कीमत इसे मिडिल क्लास निवेशकों की पहुंच से बाहर कर देती है, जबकि यह अमेरिकी नागरिकता पाने का सबसे तेज़ और आसान रास्ता है। नौकरियां देने की जरूरत को भी खत्म कर दिया गया है, जिससे यह वीजा सिस्टम और आसान बन जाता है।
भारतियों पर होगा ये असर
भारतीय नागरिक, खासकर H-1B वीजा धारक, अब तक EB-5 वीजा प्रोग्राम के बड़े लाभार्थी रहे हैं। इस वीजा के मुताबिक, विदेशी निवेशकों को कम से कम $1.05 मिलियन डॉलर निवेश करना पड़ता था, जिससे उन्हें अमेरिकी ग्रीन कार्ड मिल सकता है। लेकिन गोल्ड कार्ड वीजा लागू होने के बाद, ये शर्त 5 मिलियन डॉलर तक बढ़ चुकी है। मतलब कि अब केवल बेहद अमीर लोग ही इस वीजा का फायदा उठा सकते हैं।