
डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार ने सरकारी कामकाज की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए “डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE)” नामक एक विभाग बनाया है, जिसका नेतृत्व टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक इलॉन मस्क को सौंपा गया है। इस विभाग का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों की कार्यक्षमता पर नज़र रखना और “घोस्ट एंप्लॉयीज़” यानी ऐसे कर्मचारियों को पकड़ना है, जो सरकारी सिस्टम में वेतन तो ले रहे हैं, लेकिन वास्तव में कोई काम नहीं कर रहे।
ट्रम्प और मस्क की नीति:
- ट्रम्प प्रशासन ने सरकारी कर्मचारियों से साप्ताहिक कार्य रिपोर्ट की मांग की।
- इलॉन मस्क के नेतृत्व में DOGE ने 23 लाख फेडरल कर्मचारियों को एक तीन लाइन का ईमेल भेजा, जिसमें पूछा गया कि उन्होंने बीते सप्ताह में क्या काम किया?
- कर्मचारियों को इस ईमेल का जवाब देने के लिए सोमवार रात 11:59 तक का समय दिया गया।
- इसमें 5 पॉइंट्स में उत्तर देने की बात कही गई थी।
मस्क की चेतावनी:
- प्रारंभिक ईमेल में यह नहीं लिखा गया था कि जवाब न देने पर नौकरी चली जाएगी।
- लेकिन बाद में मस्क ने कहा कि “अगर कोई कर्मचारी जवाब नहीं देता, तो इसे उसका इस्तीफा माना जाएगा।”
- उन्होंने यह भी कहा कि सैकड़ों अरबों डॉलर की धोखाधड़ी उजागर हुई है, जिसमें ऐसे लोग वेतन ले रहे हैं जो वास्तव में मौजूद भी नहीं हैं। हालांकि उन्होंने इस दावे के कोई सबूत नहीं दिए।
FBI की प्रतिक्रिया:
- FBI के नवनियुक्त डायरेक्टर काश पटेल ने अपने कर्मचारियों से कहा कि वे इस ईमेल का कोई जवाब न दें।
- काश पटेल की इस प्रतिक्रिया के बाद मामला और विवादास्पद हो गया।
मामला कोर्ट तक पहुंचा:
- फेडरल कर्मचारियों ने कैलिफोर्निया की फेडरल कोर्ट में ट्रम्प और मस्क के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
- कर्मचारियों का दावा है कि सरकारी नियमों के तहत किसी भी कर्मचारी को इस तरह की रिपोर्ट देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
- वकीलों का कहना है कि अमेरिकी इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी प्रशासन ने कर्मचारियों से ऐसी मांग की हो।
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट:
- अमेरिकी मीडिया वॉशिंगटन पोस्ट ने सूत्रों के हवाले से बताया कि US ऑफिस ऑफ पर्सनल मैनेजमेंट (OPM) ने अपने कर्मचारियों को इस ईमेल को इग्नोर करने की सलाह दी है।
- उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ईमेल का जवाब देना पूरी तरह से स्वैच्छिक था।
इस विवाद के संभावित परिणाम:
- कानूनी लड़ाई: यह मामला अमेरिका के कानूनी इतिहास में एक महत्वपूर्ण केस बन सकता है, क्योंकि यह कर्मचारियों के अधिकारों और सरकारी प्रशासन की जवाबदेही से जुड़ा हुआ है।
- सरकारी कार्यसंस्कृति पर असर: यदि ट्रम्प और मस्क की नीति सफल होती है, तो यह सरकारी नौकरियों में कार्य संस्कृति को पूरी तरह बदल सकती है।
- राजनीतिक प्रभाव: डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार के इस फैसले का असर उनके चुनावी भविष्य पर भी पड़ सकता है।
- मस्क की भूमिका: सरकारी संस्थानों में निजी क्षेत्र के दखल पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि एक प्राइवेट बिजनेसमैन (मस्क) सरकारी प्रशासन को प्रभावित कर रहे हैं।
यह मामला सिर्फ सरकारी कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर सख्ती का नहीं, बल्कि प्रशासनिक अधिकारों, निजी क्षेत्र के प्रभाव और कर्मचारियों के अधिकारों को लेकर एक बड़ी बहस बन चुका है। अगर कोर्ट में यह केस आगे बढ़ता है, तो इससे सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों और प्रशासनिक पारदर्शिता को लेकर नए कानूनी दिशा-निर्देश तय हो सकते हैं।