
ट्रम्प प्रशासन ने अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने के इच्छुक विदेशी नागरिकों के लिए एक नया और महंगा वीजा प्रोग्राम पेश किया है, जिसे “गोल्ड कार्ड” नाम दिया गया है। यह प्रोग्राम मौजूदा EB-5 वीजा प्रोग्राम का एक विकल्प बताया जा रहा है और इसकी कीमत 5 मिलियन डॉलर (लगभग 44 करोड़ भारतीय रुपये) होगी। इस नई योजना के तहत, अमेरिका में निवेश करने वाले लोगों को ग्रीन कार्ड के समान विशेष अधिकार मिलेंगे और यह नागरिकता प्राप्त करने का एक नया रास्ता खोलेगा।
गोल्ड कार्ड प्रोग्राम और EB-5 वीजा में अंतर
EB-5 वीजा प्रोग्राम:
- वर्तमान में अमेरिका में स्थायी निवास (ग्रीन कार्ड) प्राप्त करने के लिए EB-5 वीजा प्रोग्राम सबसे आसान और तेज़ तरीका है।
- इसके तहत, किसी विदेशी नागरिक को अमेरिका में एक बिजनेस में 1 मिलियन डॉलर का निवेश करना होता है, जो कम से कम 10 नौकरियां पैदा करता हो।
- इस वीजा को प्राप्त करने में आमतौर पर 4 से 6 महीने का समय लगता है।
- EB-5 वीजा धारकों को ग्रीन कार्ड मिलता है, लेकिन अमेरिकी नागरिकता तुरंत नहीं मिलती।
गोल्ड कार्ड प्रोग्राम:
- ट्रम्प प्रशासन ने EB-5 के मुकाबले 5 गुना महंगे वीजा प्रोग्राम की घोषणा की है, जिसे “गोल्ड कार्ड” कहा जाएगा।
- इसकी कीमत 5 मिलियन डॉलर (लगभग 44 करोड़ रुपये) होगी।
- गोल्ड कार्ड खरीदने वालों को ग्रीन कार्ड के समान अधिकार मिलेंगे।
- ट्रम्प का दावा है कि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को फायदा होगा और टैक्स संग्रह बढ़ेगा।
ट्रम्प की रणनीति और इस योजना के पीछे उद्देश्य
ट्रम्प ने इस नए वीजा प्रोग्राम के पीछे तीन प्रमुख कारण बताए हैं:
- अमेरिका का वित्तीय घाटा कम करना: ट्रम्प ने कहा कि इस प्रोग्राम के तहत 10 लाख गोल्ड कार्ड बेचे जाएंगे, जिससे अमेरिका को बड़ा राजस्व मिलेगा।
- विदेशी निवेश को आकर्षित करना: अमेरिका को अधिक पूंजी निवेश की जरूरत है, और गोल्ड कार्ड प्रोग्राम से विदेशी अमीर नागरिकों को अमेरिका में लाया जाएगा।
- EB-5 प्रोग्राम की धोखाधड़ी रोकना: ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि EB-5 प्रोग्राम में कई फर्जी निवेश और धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं, जिन्हें नए वीजा प्रोग्राम से रोका जा सकता है।
भारतीय नागरिकों पर प्रभाव
अमेरिकी नागरिकता की कीमत बढ़ेगी:
भारतीय निवेशकों और पेशेवरों के लिए अमेरिका की नागरिकता पाना अब पहले से ज्यादा महंगा हो जाएगा।
EB-5 प्रोग्राम के खत्म होने से नुकसान:
जो भारतीय नागरिक EB-5 वीजा के जरिए अमेरिका में निवेश कर स्थायी निवास (ग्रीन कार्ड) पाना चाहते थे, उन्हें अब अधिक कीमत चुकानी होगी।
स्किल्ड प्रोफेशनल्स पर असर:
भारतीय आईटी पेशेवर और अन्य स्किल्ड वर्कर्स, जो पहले से ही दशकों तक ग्रीन कार्ड बैकलॉग में फंसे हैं, उनके लिए इमिग्रेशन सिस्टम और अधिक कठिन हो सकता है।
क्या ग्रीन कार्ड से अमेरिकी नागरिकता मिलती है?
- अमेरिका ग्रीन कार्ड धारकों को स्थायी निवास देता है, लेकिन यह अमेरिकी नागरिकता की गारंटी नहीं होती।
- गोल्ड कार्ड ग्रीन कार्ड जैसा अधिकार देगा, लेकिन नागरिकता के लिए अलग से आवेदन करना होगा।
- ग्रीन कार्ड धारकों को अमेरिका में रहने, काम करने और व्यापार करने की अनुमति होती है, लेकिन वे चुनाव में मतदान नहीं कर सकते।
क्या यह योजना सफल होगी?
ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि गोल्ड कार्ड प्रोग्राम से अमेरिका को आर्थिक रूप से लाभ होगा, क्योंकि इससे अरबों डॉलर की आमदनी होगी। हालांकि, यह देखा जाना बाकी है कि क्या इतनी ऊंची कीमत पर निवेशक इस योजना में रुचि लेंगे या नहीं। ट्रम्प की यह योजना अमेरिका की नागरिकता प्राप्त करने के इच्छुक लोगों के लिए एक बेहद महंगा विकल्प बन सकती है। इस नए बदलाव से भारतीय निवेशकों और पेशेवरों को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है, क्योंकि उनके लिए अमेरिका में स्थायी निवास प्राप्त करने का खर्च और समय दोनों बढ़ जाएंगे।