
पेरिस में 10 और 11 फरवरी 2025 को आयोजित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक्शन समिट ने वैश्विक स्तर पर AI के विकास, उपयोग, और इसके नैतिक और सामाजिक प्रभावों पर महत्वपूर्ण चर्चा का मंच प्रदान किया। इस शिखर सम्मेलन में विभिन्न देशों के प्रमुख, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के नेता, उद्योग जगत के प्रतिनिधि, शिक्षाविद, गैर-सरकारी संगठनों के सदस्य, कलाकार, और नागरिक समाज के प्रतिनिधि शामिल हुए।
इतिहास और पृष्ठभूमि
AI एक्शन समिट की नींव 2023 में बलेटचली पार्क में आयोजित शिखर सम्मेलन और मई 2024 में सियोल में आयोजित वर्चुअल समिट के दौरान रखी गई थी। इन बैठकों में AI के सुरक्षा पहलुओं, नैतिकता, और वैश्विक सहयोग पर चर्चा की गई थी। पेरिस समिट का उद्देश्य इन पहलों को आगे बढ़ाना और AI के सामाजिक, आर्थिक, और पर्यावरणीय लाभों को सुनिश्चित करना था।
महत्व और उद्देश्य
इस समिट का मुख्य उद्देश्य AI के विकास में सार्वजनिक हित को प्राथमिकता देना, कार्यस्थल में AI के प्रभावों पर संवाद को बढ़ावा देना, नवाचार और सांस्कृतिक क्षेत्रों में AI के उपयोग को प्रोत्साहित करना, AI में विश्वास स्थापित करना, और वैश्विक AI शासन के लिए एक समावेशी ढांचा तैयार करना था।

मुख्य घोषणाएँ और निवेश योजनाएँ
- यूरोपीय संघ: AI क्षेत्र में €200 बिलियन (लगभग $206 बिलियन) के निवेश की घोषणा, जिसमें €50 बिलियन सार्वजनिक कोष और €150 बिलियन निजी निवेश से आएंगे।
- फ्रांस: राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने €109 बिलियन के निवेश का ऐलान किया, जिसमें कनाडा की ब्रुकफील्ड से €20 बिलियन और UAE से €50 बिलियन शामिल हैं।
- भारत: प्रधानमंत्री ने समिट की सह-अध्यक्षता की और AI के नैतिक व समावेशी विकास में भारत की भूमिका को रेखांकित किया। भारत AI के वैश्विक शासन में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।
अमेरिका और ब्रिटेन की असहमति
पेरिस में आयोजित AI Action Summit के दौरान, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम ने “Inclusive and Sustainable Artificial Intelligence” पर तैयार किए गए घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इस घोषणा पत्र का उद्देश्य AI को समावेशी, पारदर्शी, नैतिक, सुरक्षित, और सभी के लिए भरोसेमंद बनाना है। चीन, भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, और कनाडा सहित 61 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने यूरोप के “AI विनियमों” की आलोचना करते हुए कहा कि इससे नवाचार(Innovation) बाधित हो सकता है। उन्होंने AI के आर्थिक लाभों पर जोर देते हुए इसे नई औद्योगिक क्रांति के समान बताया, लेकिन अत्यधिक नियमन से सावधान रहने की बात कही।
ब्रिटिश अधिकारियों ने कहा कि वे AI सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध हैं और सततता और साइबर सुरक्षा पहलों का समर्थन जारी रखेंगे। हालांकि, उन्होंने घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए, जिससे सहयोगात्मक AI विकास के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के उद्देश्य पर असर पड़ा है।
भारत की भागीदारी
भारत के प्रधानमंत्री ने इस समिट में सह-अध्यक्षता की, जिसमें उन्होंने AI के नैतिक और समावेशी विकास पर भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने वैश्विक AI शासन में भारत की भूमिका को रेखांकित किया और विकासशील देशों के लिए AI के लाभों को सुनिश्चित करने पर जोर दिया।
AI एक्शन समिट ने वैश्विक स्तर पर AI के विकास, नियमन, और नैतिकता पर महत्वपूर्ण संवाद को प्रोत्साहित किया। हालांकि विभिन्न देशों के बीच दृष्टिकोण में भिन्नता रही, लेकिन समिट ने AI के जिम्मेदार और समावेशी विकास के लिए एक मंच प्रदान किया, जो आने वाले वर्षों में AI के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।