
अमेरिकी सीनेट ने पेडरल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन के निदेशक के रूप में काश पटेल के नाम पर मुहर लगा दी। गुरुवार को वोटिंग के दौरान उन्हें 51-49 के मामूली बहुमत से पद के लिए चुना गया।
काश पटेल ने अपनी नियुक्ति के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अटॉर्नी जनरल पाम बॉम्डी को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया है। एक्स पर एक पोस्ट में काश पटेल ने कहा,
“संघीय जांच ब्यूरो का नौवां निदेशक नियुक्त किए जाने पर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। एफबीआई की लंबी विरासत है, जो देश की सुरक्षा से जुड़ी है। अमेरिकी लोग ऐसी एफबीआई के हकदार हैं, जो जवाबदेह और न्याय के प्रति प्रतिबद्ध हो। राजनीतिकरण ने जनता के इस एजेंसी में विश्वास कम किया है। मैं साफ करना चाहता हूं कि एफबीआई अब उनको छोड़ेगी नहीं, जो अमेरिकों को नुकसान पहुंचाएंगे। हम ऐसे लोगों को ढूंढकर न्याय के कटघरे में लाएंगे।”
कौन हैं काश पटेल
काश पटेल भारतीय प्रवासी के बेटे हैं। उनका जन्म एक गुजराती परिवार में हुआ था। काश पटेल के माता-पिता युगांडा के शासक ईदी अमीन के देश छोड़ने के फरमान से डरकर 1970 के दशक में भागकर कनाडा के रास्ते अमेरिका पहुंचे थे। 1988 में काश पटेल के पिता को अमेरिका की नागरिकता मिलने के बाद एक एरोप्लेन कंपनी में नौकरी मिली।
2004 में कानून की डिग्री हासिल करने के बाद जब पटेल को किसी बड़ी लॉ फर्म में नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने एक सरकारी वकील के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। हालांकि, ड्रीम जॉब के लिए उन्हें 9 साल का इंतजार करना पड़ा।
काश पटेल 2013 में वॉशिंगटन में न्याय विभाग में शामिल हुए। यहां तीन साल बाद 2016 में पटेल को खुफिया मामले से जुड़ी एक स्थायी समिति में कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया गया। इस विभाग के चीफ डेविड नून्स थे जो ट्रंप के कट्टर सहयोगी थे।
ट्रंप की निगाहों में ऐसे आए काश पटेल
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति रहने के दौरान ट्रंप ने 2019 में जो बाइडेन के बेटे के बारे में जानकारी जुटाने के लिए यूक्रेन पर दबाव बनाया था। इस वजह से विपक्ष उन पर नाराज हो गया। किसी कानूनी पचड़े से बचने के लिए ट्रंप ने इस मामले में मदद के लिए सलाहकारों की एक टीम बनाई। इसमें काश पटेल का भी नाम था। तब उनका नाम देख हर किसी को हैरानी हुई थी।
ट्रंप प्रशासन से जुड़ने के बाद बदली किस्मत
काश पटेल 2019 में ट्रंप प्रशासन से जुड़ने के बाद तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए। ट्रंप प्रशासन में वे सिर्फ 1 साल 8 महीने रहे, लेकिन सबकी नजरों में आ गए। मैगजीन द अटलांटिक की एक रिपोर्ट में पटेल को ट्रंप के लिए कुछ भी करने वाला शख्स बताया गया था।
ट्रंप प्रशासन में जहां पहले से लगभग सभी लोग ट्रंप के वफादार थे, वहां काश पटेल को भी ट्रंप के सबसे वफादार लोगों में गिना जाने लगा था। यही वजह है कि कई अधिकारी उनसे डरते थे।
ट्रंप के एजेंडे को बढ़ाने की कोशिश में जुटे रहे काश
काश पटेल नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर के सीनियर एडवाइजर के तौर पर काम कर चुके हैं। इस दौरान वे 17 खुफिया एजेंसियों का कामकाज देखते थे। इस पद को संभालने के दौरान पटेल कई अहम मामलों में शामिल थे। वे ISIS लीडर्स, अल-कायदा के बगदादी और कासिम अल-रिमी जैसे नेताओं के खात्मे के अलावा कई अमेरिकी बंधकों को वापस लाने के मिशन में भी शामिल रहे हैं।
ट्रंप के पद छोड़ने के बाद काश पटेल पूर्व राष्ट्रपति के एजेंडे को बढ़ाने की कोशिश करते रहे हैं। काश ने ‘गवर्नमेंट गैंगस्टर्स: द डीप स्टेट, द ट्रुथ, एंड द बैटल फॉर अवर डेमोक्रेसी’ नाम की एक किताब लिकी है. इसमें उन्होंने बताया है कि सरकार में किस कदर भ्रष्टाचार फैला हुआ है।
बच्चों में ट्रंप को लोकप्रिय बनाने के लिए ट्रंप पर लिखी किताब
काश पटेल ने ट्रंप को बच्चों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए एक किताब ‘द प्लॉट अगेंस्ट द किंग’ भी लिखी है। इसमें उन्होंने एक जादूगर का किरदार निभाया है, जो हिलेरी क्लिंटन से ट्रंप को बचाने में उनकी मदद करता है। कहानी के अंत में जादूगर लोगों को यकीन दिलाने में कामयाब हो जाता है कि ट्रंप ने हिलेरी क्लिंटन को धोखा देकर सत्ता हासिल नहीं की है।
काश पटेल, ट्रंप के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ का कामकाज भी देखते हैं। पटेल ने 2022 फीफा विश्व कप के दौरान कतर के लिए सुरक्षा सलाहकार के रूप में भी काम किया था।