रूस-यूक्रेन युद्ध: मैक्रों की ट्रम्प को चेतावनी, बोले- रूस से समझौते में जल्दबाजी न करें ट्रम्प

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात के बाद एक इंटरव्यू में यूक्रेन युद्ध को लेकर अपने विचार साझा किए। उन्होंने ट्रम्प को चेतावनी दी कि रूस के साथ जल्दबाजी में कोई समझौता न करें, क्योंकि इससे यूरोप की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

मैक्रों की मुख्य चिंताएँ और सुझाव:

  1. यूक्रेन युद्धविराम की संभावना:
    मैक्रों का मानना है कि आने वाले हफ्तों में रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम समझौता संभव है। लेकिन इस समझौते में जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि 2014 में रूस के साथ किए गए शांति समझौते को उसने बार-बार तोड़ा था।
  2. रूस पर भरोसा नहीं किया जा सकता:
    मैक्रों ने कहा कि 2014 में हुए मिन्स्क समझौते का रूस ने पालन नहीं किया। इसलिए इस बार किसी भी शांति समझौते में यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी सुनिश्चित करनी होगी।
  3. अमेरिका और रूस की बातचीत पहले होनी चाहिए:
    मैक्रों ने कहा कि युद्धविराम समझौते की प्रक्रिया में पहले अमेरिका और रूस के बीच बातचीत होनी चाहिए, फिर अमेरिका और यूक्रेन के बीच।
  4. यूक्रेन को दी गई वित्तीय सहायता:
    मैक्रों ने स्पष्ट किया कि अमेरिका और यूरोप ने यूक्रेन को जो पैसा दिया, वह एक ग्रांट (मदद) थी, न कि कोई कर्ज। इसलिए रूस से समझौते में इस आर्थिक मदद का ध्यान रखा जाना चाहिए।
  5. सऊदी अरब में अमेरिका-रूस बैठक और जेलेंस्की की नाराजगी:
    अमेरिका और रूस ने 18 फरवरी को सऊदी अरब में एक गुप्त बैठक की थी, जिसमें यूक्रेन को शामिल नहीं किया गया था। इससे यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की नाराज हुए, क्योंकि उन्हें लगा कि उनके देश को पीछे छोड़कर अमेरिका और रूस अपने हितों की रक्षा कर रहे हैं।

यूरोप की प्रतिक्रिया और बैठकें:

  1. पेरिस में यूरोपीय संघ की बैठक:
    रूस और अमेरिका की बैठक की खबर सामने आते ही फ्रांस ने 17 फरवरी को यूरोपीय संघ के नेताओं की पेरिस में बैठक बुलाई। इसमें फ्रांस, इटली और ब्रिटेन के नेताओं ने भाग लिया। सभी ने इस बात पर चर्चा की कि यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या किया जाना चाहिए।
  2. फ्रांस-यूके संयुक्त सेना प्रस्ताव:
    मैक्रों ने सुझाव दिया कि फ्रांस और ब्रिटेन मिलकर यूक्रेन में एक संयुक्त सेना भेज सकते हैं, जो रूस और यूक्रेन के बीच सहमत इलाकों में तैनात होगी। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना होगा कि रूस शांति समझौते का पालन करे। हालांकि, यह कदम अमेरिका की सहमति के बिना संभव नहीं होगा।

युद्धविराम और सुरक्षा की गारंटी:

  1. यूक्रेन की सुरक्षा:
    अगर युद्धविराम लागू होता है, तो यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी तय की जानी चाहिए। इसमें रूस के कब्जे से यूक्रेनी जमीन वापस लेने का मुद्दा भी शामिल होगा।
  2. यूक्रेन के नाटो में शामिल होने का मुद्दा:
    मैक्रों ने कहा कि यूक्रेन को नाटो में शामिल करने को लेकर अभी कोई सर्वसम्मति नहीं है। लेकिन अगर यूरोप ने यूक्रेन को अकेला छोड़ दिया, तो रूस फिर से हमला कर सकता है।

मैक्रों का स्पष्ट संदेश है कि रूस के साथ किसी भी शांति समझौते में जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए। यूरोप और अमेरिका को एकजुट होकर यह सुनिश्चित करना होगा कि यूक्रेन की संप्रभुता और सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो रूस अपने आक्रामक रवैये को जारी रख सकता है, जिससे यूरोप की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

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