अमेरिका के डिप्टी NSA जॉन फाइनर (उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) गुरुवार को कार्नेगी एंडोवमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में भाषण देने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने एडवांस मिसाइल तकनीकि हासिल कर ली है। इसमें लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम और बड़े रॉकेट मोटर्स के परीक्षण शामिल हैं। अगर पाकिस्तान का ये रवैया जारी रहता है तो पाकिस्तान के पास एशिया के अलावा अमेरिका तक हमला करने की क्षमता होगी। इससे पाकिस्तान के इरादों पर सवाल खड़ा होता है।
इस तरह अमेरिका के लिए नई चुनौती बना ‘पाकिस्तान’
फाइनर ने कहा कि पाकिस्तान अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा बनता दिखाई दे रहा है। फाइनर के मुताबिक ऐसे सिर्फ तीन ही देश हैं जिनके पास परमाणु हथियार और अमेरिका तक मिसाइल हमला करने की क्षमता है। इनमें रूस, चीन और नॉर्थ कोरिया हैं। ये तीनों ही देश अमेरिका के विरोधी हैं। ऐसे में पाकिस्तान के ये कदम अमेरिका के लिए एक नई चुनौती की तरह उभर रहा है।
फाइनर ने कहा,
“पाकिस्तान का ये कदम चौंकाने वाला है क्योंकि वह अमेरिका का सहयोगी देश रहा है। हमने पाकिस्तान के सामने कई बार अपनी चिंता जाहिर की है। हमने उसे मुश्किल समय में समर्थन दिया है और आगे भी सहयोग संबंध बनाए रखने की इच्छा रखते हैं। ऐसे में पाकिस्तान का ये कदम हमें ये सवाल करने पर मजबूर करता है कि वह ऐसी क्षमता हासिल क्यों करना चाहता है, जिसका इस्तेमाल हमारे खिलाफ किया जा सकता है!”
क्या अब सिर्फ भारत नहीं है पाकिस्तान का टारगेट
नए मिसाइल प्रोग्राम ने इस बारे में भी सवाल उठाए कि क्या पाकिस्तान ने परमाणु हथियारों और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों के उद्देश्यों को बदल दिया है, जो लंबे समय से भारत के साथ मुकाबला करने के लिए बनाए गए थे, जिसके साथ 1947 से अब तक तीन युद्ध हुए हैं और तीनों में पाकिस्तान हारा है। पाकिस्तान की तरफ से अब तक इस अमेरिकी टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
पाकिस्तान की 4 डिफेंस कंपनियों पर लगाया बैन
अमेरिका ने बुधवार को पाकिस्तान पर लंबी दूरी की मिसाइल बनाने के आरोप में उसकी 4 डिफेंस कंपनियों पर बैन लगाया था। इनमें पाकिस्तान की सरकारी एयरोस्पेस और डिफेंस एजेंसी, नेशनल डेवलपमेंट कॉम्पलेक्स (NDC) भी शामिल है। इसके अलावा एफिलिएट्स इंटरनेशनल, अख्तर एंड संस प्राइवेट लिमिटेड, रॉकसाइट एंटरप्राइज पर भी बैन लगाया गया है।
कार्यकारी आदेश 13382 के तहत बैन
न्यूज एजेंसी ANI ने अमेरिका के हवाले से बताया कि बैन की गई चारों कंपनियां पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम के लिए जरूरी टूल मुहैया करा रही थीं। अमेरिका आगे भी इस तरह की गतिविधियों के खिलाफ एक्शन लेता रहेगा। अमेरिका ने गुरुवार को बताया कि 4 संस्थाओं को कार्यकारी आदेश 13382 के तहत प्रतिबंधित किया गया, जो विनाशकारी हथियारों और उनके वितरण के साधनों के प्रचार से जुड़े लोगों पर लागू होता है।
क्या बोला पाकिस्तान
अमेरिका के प्रतिबंधों की पाकिस्तान ने कड़ी निंदा करते हुए इसे पक्षपाती करार दिया है और कहा कि यह फैसला क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए खतरनाक परिणाम लाएगा।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा,
“पाकिस्तान की रणनीतिक क्षमताएं उसकी संप्रभुता की रक्षा और दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए है। प्रतिबंध शांति और सुरक्षा के उद्देश्य को विफल करते हैं।”
पाकिस्तान ने यह भी कहा कि उसके रणनीतिक कार्यक्रम को 24 करोड़ लोगों का समर्थन प्राप्त है और इसे कमजोर नहीं किया जा सकता।
NDC की मदद से बनाई शाहीन सीरीज की बैलिस्टिक मिसाइलें
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक पाकिस्तान की शाहीन-सीरीज बैलिस्टिक मिसाइलें NDC की मदद से ही तैयार की गई हैं। इसके अलावा कराची की अख्तर एंड संस प्राइवेट कंपनी पर आरोप है कि उसने मिसाइल से जुड़ी मशीनों को खरीदनें में NDC की मदद की है। वहीं एक और पाकिस्तानी कंपनी रॉकसाइट इंटरप्राइज और एफिलिएट इंटरनेशनल पर भी पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम में सहयोग करने का आरोप है।इससे पहले इसी साल अप्रैल में अमेरिका ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम के लिए तकनीकि सप्लाई करने पर चीन की 3 कंपनियों पर बैन लगा दिया था। इस लिस्ट में बैलारूस की भी एक कंपनी शामिल थी।
कितनी ताकतवर है पाकिस्तान की शाहीन बैलिस्टिक मिसाइल
नवंबर 2019 में पाकिस्तान ने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम शाहीन-1 मिसाइल का परीक्षण किया था। इसकी रेंज 650 किमी तक है। ये सभी तरह के हथियार ले जा सकती है। इसके अलावा पाकिस्तान शाहीन-2 और शाहीन-3 मिसाइल का परीक्षण भी कर चुका है।
80 के दशक में शुरू हुआ पाकिस्तान का मिसाइल प्रोग्राम
पाकिस्तान ने 1986-87 में अपने मिसाइल प्रोग्राम हत्फ की शुरुआत की थी। भारत के मिसाइल प्रोग्राम का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के नेतृत्व में इसकी शुरुआत हुई थी। हत्म प्रोग्राम में पाक रक्षा मंत्रालय को फौज से सीधा प्रदर्शन हासिल था। इसके तहत पाकिस्तान ने सबसे पहले हत्फ-1 और फिर हत्फ-2 मिसाइलों का सफल परीक्षण किया था। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, हत्फ-1 80 किमी और वहीं हत्फ-2 300 किमी तक मार करने में सक्षम थी।
यह दोनों मिसाइलें 90 के दशक में सेना का हिस्सा बनी थी। इसके बाद हत्फ-1 को विकसित कर उसकी मारक क्षमता को 100 किमी बढ़ाया गया। 1996 में पाकिस्तान ने चीन की मदद से बैलिस्टिक मिसाइल की तकनीकि हासिल की। फिर 1997 में हत्फ-3 का सफल परीक्षण हुआ, जिसकी मार 800 किमी तक थी। साल 2002 से 2006 तक भारत के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान ने सबसे ज्यादा मिसाइलों का परीक्षण किया।
अमेरिका ने भारत का किया दिल खोलकर स्वागत, मिसाइल तकनीकि देने की तैयारी
भारत के लिए अपनी मिसाइल तकनीकि के निर्यात से जुड़े कानून में संशोधन करने का संकेत अमेरिका ने मंगलवार को डिप्टी एनएसए जोनाथन फाइनर, उप विदेश मंत्री कुर्ट एम कैंपबेल और भारत के राजदूत विनय क्वात्रा के बीच जानसन स्पेस सेंटर में बैठक के दौरान दिया है। बैठक के बाद जारी सूचना में कहा गया-
“दोनों देशों के उद्योगों के बीच नए अवसर पैदा करने के लिए मिसाइल तकनीकि निर्यात में समीक्षा का काम आगे बढ़ रहा है। इसका एक उद्देश्य दोनों देशों की कंपनियों के बीच अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण में सहयोग करना भी है।”
मालूम हो कि दशकों तक अमेरिका भारत के मिसाइल कार्यक्रम का विरोधी रहा है और उसकी वजह से ही भारत लंबे समय तक मिसाइल टेक्नालॉजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) का सदस्य नहीं बन सका। बाद में जब अमेरिका के साथ रिशतों में सुधार हुआ, तब वर्ष 2016 में भारत इस समझौते का सदस्य बना। अब जबकि दोनों देशों के बीच सैन्य, रक्षा और अंतरिक्ष जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग जा रहा है तो अमेरिका अब मिसाइल तकनीकि भारत को साझा करने को तैयार है। अमेरिका ने यह बात तब कही है कि जब भारत के साथ वह अंतरिक्ष रक्षा सहयोग को प्रगाढ़ करने को तैयार हो गया है।
2025 में परवान चढ़ेगा भारत-अमेरिका संबंध
वर्ष 2025 भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय अंतरिक्ष सहयोग के लिए नए युग की शुरुआत करेगा। वास्तव में अमेरिका के अंतरिक्ष कार्यक्रम में जो स्थान अब भारत को दिया जा रहा है, वैसा सहयोग वह किसी और देश के साथ स्थापित नहीं कर रहा। एक तरफ भारतीय मूल में अंतरिक्ष यात्रियों को अमेरिकी अंतरिक्ष यान व दल के साथ अंतरिक्ष में भेजने की योजना का अंतिम चरण चल रहा है। अगले वर्ष इसके लिए एक्सिओम-4 नाम से अंतरिक्ष मिशन लांच किया जाएगा।
दूसरी तरफ, भारत रूस के साथ मिलकर अपने अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने के कार्यक्रम को तेज किए हुए है। इस तरह से दोनों धुर विरोधी वैश्विक ताकतों के साथ भारत करीबी अंतरिक्ष सहयोग स्थापित करने वाला इकलौता देश है। अमेरिका और भारत मिलकर अंतरिक्ष सेक्टर के अपने स्टार्टअप को भी आपस में सहयोग करने को प्रोत्साहित कर रहे हैं।