अमेरिका में जन्म लेने पर भी नहीं मिलेगी नागरिकता? जानिए ट्रंप के आदेश का प्रभाव

Us-Citizenship

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत एक विवादास्पद आदेश से की है। उन्होंने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें अमेरिका में जन्मे बच्चों को जन्मसिद्ध नागरिकता (Birthright Citizenship) देने की परंपरा को खत्म करने का प्रस्ताव है।

आदेश की मुख्य बातें

व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर प्रकाशित आदेश, जिसका शीर्षक है ‘Protecting the Meaning and Value of American Citizenship’, में यह स्पष्ट किया गया है कि जिन बच्चों के माता-पिता अमेरिकी नागरिक या स्थायी निवासी नहीं हैं, उन्हें अब जन्मसिद्ध नागरिकता नहीं मिलेगी।

भारतीय-अमेरिकी समुदाय पर प्रभाव

यह कदम भारतीय-अमेरिकी समुदाय पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में भारतीयों की संख्या 54 लाख से अधिक है, जिसमें से करीब दो-तिहाई पहली पीढ़ी के अप्रवासी हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह नीति लागू होती है तो:

  1. H-1B वीजा धारकों और ग्रीन कार्ड के लिए प्रतीक्षारत भारतीय परिवारों के अमेरिका में जन्मे बच्चों को नागरिकता नहीं मिलेगी।
  2. अस्थायी वीजा धारकों (जैसे छात्र और पर्यटक) के बच्चों के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लग जाएगा।
  3. अमेरिका में जन्मे बच्चे अपने माता-पिता को 21 साल की उम्र के बाद अमेरिका बुलाने का अधिकार खो देंगे।
  4. ‘बर्थ टूरिज्म’ पर रोक लगेगी, जिसमें महिलाएं विशेष रूप से बच्चे के लिए अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने के लिए अमेरिका जाती थीं।

भारतीय पेशेवरों और छात्रों के लिए चिंता

बेंगलुरु स्थित इमिग्रेशन फर्म XIPHIAS के मैनेजिंग डायरेक्टर वरुण सिंह के अनुसार,

“यह कदम भारतीय H-1B वीजा धारकों और छात्रों को हतोत्साहित करेगा। कई परिवारों के लिए यह अस्थिरता का कारण बनेगा और वे अन्य देशों जैसे कनाडा या ऑस्ट्रेलिया में अवसर तलाश सकते हैं।”

अर्थव्यवस्था पर असर

भारतीय समुदाय अमेरिकी टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इस नीति से न केवल अप्रवासी समुदायों में असुरक्षा बढ़ेगी बल्कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।

संवैधानिक चुनौतियां

संविधान के 14वें संशोधन (1868) के तहत जन्मसिद्ध नागरिकता का प्रावधान है। यह नीति सीधे संविधान में संशोधन की मांग करती है, जो एक लंबी और कठिन प्रक्रिया है।
ट्रंप के आदेश पर कानूनी चुनौतियां तय हैं। कई अमेरिकी राज्यों के अप्रवासी अधिकार संगठनों ने अदालत में इसे चुनौती देने की तैयारी शुरू कर दी है।

क्या होगा आगे?

हालांकि, यह आदेश लागू होने में कानूनी बाधाओं का सामना करेगा, लेकिन इससे अप्रवासी समुदायों में असुरक्षा और अनिश्चितता का माहौल बन गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिकी न्यायालय और कांग्रेस इस पर क्या रुख अपनाते हैं।

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