WORLD CUP 1983 : वह ऐतिहासिक दिन जब टीम इंडिया ने उठाया वर्ल्ड कप
भारतीय क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप क्रिकेट के इतिहास में 02 बार विजेता ट्रॉफी को उठाया है। वर्ष 1983 में टीम के कप्तान कपिल देव ने पहली बार वर्ल्ड कप जीतकर पूरे विश्व को सन्न कर दिया था। यह जीत इस मायने में भी खास थी क्योंकि उस समय वेस्टइंडीज की टीम का पूरे विश्व में कहर था। सर विवियम रिचर्ड्स, माइकल होल्डिंग, क्लाइव लॉयड जैसे खिलाड़ियों के आगे किसी प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी के खड़ा होने की हिम्मत नहीं होती थी। आज हम आपको 23 जून 1983 के उस ऐतिहासिक दिन का पूरा लेखा जोखा देंगे। जब कपिल देव की कप्तानी वाली टीम इंडिया ने पूरे देश को झूमने को मजबूर कर दिया था।
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टॉस जीतकर वेस्टइंडीज ने चुनी बल्लेबाजी
23 जून 1983 के दिन भारतीय टीम एक इतिहास लिखने जा रही थी। कपिल देव और वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड टॉस के लिए मैदान पर थे। टॉस वेस्टइंडीज ने जीता और क्लाइव लॉयड ने पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया था। भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर और श्रीकृष्णामचारी श्रीकांत बल्लेबाजी करने क्रीज पर उतर चुके थे। सुनील से भारत को काफी उम्मीदें थे, लेकिन वह निर्णायक मैच में उस पर खरा नहीं उतर सके। सुनील केवल 02 रन बनाकर एंडी रॉबर्ट्स की खतरनाक गेंद का शिकार हो गए। उनके जाने के बाद क्रीज पर महेन्द्र अमरनाथ बल्लेबाजी के लिए आए थे।
अब भारत को श्रीकांत और अमरनाथ से ही उम्मीदें थीं। श्रीकांत ने मैदान में कुछ अच्छे शॉट्स लगाए। उन्होंने 57 गेंदों पर 38 रन की धीमी पारी खेली। इस दौरान उन्होंने 07 चौके और 01 छक्का लगाया। उनका अमरनाथ ने अच्छा साथ निभाया। उन्होंने 80 गेंदों पर 26 रन बनाए। जब टीम का स्कोर 59 था, तभी श्रीकांत को मैल्कम मार्शल ने पगबाधा आउट कर दिया। उसके बाद क्रीज पर यशपाल शर्मा थे। उन्होंने 32 गेंदों पर 11 रन की पारी खेली। अमरनाथ को माइकल होल्डिंग ने बोल्ड कर भारतीय टीम में सनसनी फैला दी। इसके बाद आए एसएम पाटिल ने 27 रनों की उपयोगी और तेज पारी खेली। भारतीय टीम इस फाइनल मैच में 60 ओवर के खेल 54.4 ओवर में 183 रनों पर सिमट गई थी।
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वेस्टइंडीज टीम ने शुरू कर दिया था जश्न
भारतीय क्रिकेट टीम को 183 रनों पर समेट कर वेस्टइंडीज की टीम ने अपनी जीत पक्की मान ली थी। तब टीम के कप्तान क्लाइव लॉयड ने शैम्पेन की बोतल खोलकर जश्न भी मनाना शुरू कर दिया था। वेस्टइंडीज की टीम शुरुआती 02 वर्ल्ड कप लगातार जीत चुकी थी। उसका आत्मविश्वास साफ नजर आ रहा था। लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था। वेस्टइंडीज की टीम के पास मैल्कम मार्शल, विवियम रिचर्ड्स, माइकल होल्डिंग जैसे घातक गेंदबाज थे, जिनकी बदौलत वेस्टइंडीज को यकीन था कि वह 184 का स्कोर आसानी से पा लेगी।
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वो ऐतिहासिक पल जब टीम ने उठाया वर्ल्ड कप
184 रनों का पीछा करने क्रीज पर उतरी वेस्टइंडीज की टीम अपनी जीत के प्रति आश्वस्त थी। टीम के सलामी बल्लेबाज सीजी ग्रीनीज और डीएल हायनेस क्रीज पर आ चुके थे। अभी वेस्टइंडीज की टीम केवल 05 रनों के स्कोर पर पहुंची थी, तभी स्पिनर बलविंदर सिंह संधू ने ग्रीनीज को 01 रन पर आउट कर भारतीय टीम को झूमने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद बल्लेबाजी के लिए महान बल्लेबाज विवियम रिचर्ड्स क्रीज पर थे।
टीम का स्कोर 50 तक पहुंचा था कि मदनलाल ने अपनी गेंदबाजी से हायनेस को रोजर्स बिन्नी के हाथों कैच आउट करा दिया। इसके बाद वेस्टइंडीज की टीम संभल नहीं पाई। बिन्नी ने कप्तान क्लाइव लॉयड को 08 रन के निजी स्कोर पर कपिल देव के हाथों कैच आउट करा दिया। क्लाइव लॉयड के जाते ही भारतीय टीम में जीत की उम्मीद बंध चुकी थी, वेस्टइंडीज की टीम भी दबाव में आ चुकी थी। टीम को अभी भी जीत के लिए 127 रनों की जरूरत थी। 57 रन पर उसके 03 अहम बल्लेबाज पवेलियन की ओर लौट गए थे।
वेस्टइंडीज की ओर से केवल डुजॉन आखिरी में 25 रन की पारी उपयोगी पारी खेल पाए। उन्हें अमरनाथ ने बोल्ड किया। जब वेस्टइंडीज की टीम 140 रन पर अपने 09 विकेट गंवा कर संघर्ष कर रही थी, तभी अमरनाथ ने एतिहासिक गेंद फेंकी। उन्होंने माइकल होल्डिंग को पगबाधा से आउट कर दिया। टीम इंडिया के सदस्यों को यकीन नहीं हो रहा था कि उन्होंने अपने समय की सबसे प्रभावशाली टीम को हराकर ट्रॉफी उठा ली थी।
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