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जाने क्या है हाइड्रोजन ट्रेन तकनीक और कैसे यह करेगी प्रदूषण में कमी?
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हाइड्रोजन फ्यूल सेल और बैटरी से 1200 किलोवाट की पावर!
भारत में पहली बार ऐसे संयोजन का प्रयोग रेल परिवहन में किया जा रहा है।
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हाइड्रोजन ट्रेन की लागत लगभग ₹80 करोड़ प्रति ट्रेन और ₹70 करोड़ प्रति रूट का है।
शुरुआत में खर्च अधिक है, लेकिन अधिक ट्रेनें जुड़ने पर लागत में कमी आएगी।
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"शून्य कार्बन उत्सर्जन से यह ट्रेनें पर्यावरण के लिए अनुकूल हैं। इनके संचालन से वायु प्रदूषण में भी कमी होगी।"
भारत का लक्ष्य 2030 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन का है।
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"पुरानी ट्रेनों को हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स से रेट्रोफिट किया जाएगा, जिससे मौजूदा ट्रेनों का हरित विकल्प के रूप में इस्तेमाल होगा।"
यह पहल भारतीय रेल को पर्यावरण अनुकूल बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगी।
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देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन जल्द ही हरियाणा के जींद-सोनीपत रूट पर चलेगी।
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इस प्रोजेक्ट में इंडियन रेलवे ने Medha Servo Drives और कनाडा की Ballard Power Systems के साथ साझेदारी की है।
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यह ट्रेन लगभग 70 किमी/घंटा की रफ़्तार से चलेगी, जिससे ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम होगा और भारत का कार्बन फुटप्रिंट घटेगा।
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अगर यह ट्रायल सफल होता है, तो देश के विभिन्न हिस्सों में हाइड्रोजन ट्रेनों का विस्तार हो सकता है, जिससे देश की रेलवे प्रणाली और भी हरित और स्वच्छ बन सकेगी।
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