
आलू ने इस बार किसानों को कहीं का नहीं छोड़ा। मौसम की मार के चलते आलू की उपज 40 से 50 फीसदी तक घट गई है। जो आलू निकल भी रहा है वो बदसूरत है इसी कारण व्यापारी इसे खरीदने से कतरा रहे हैं।
इटावा, फ़र्रुखाबाद और कन्नौज में आलू की दो फसलें ली जाती हैं। पहली फसल खोदकर किसान बाजार में बेच देते हैं वहीं दूसरी फसल कोल्ड स्टोरेज या थोक मंडियों में व्यापारियों को बेची जाती है। लेकिन इस बार हुए मौसम के बदलाव से किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। इस साल पहले तो सर्दी देर से पड़ी और फिर गिने चुने दिनों में खत्म हो गई। नतीजा यह कि आलू को दम भरने का भी मौका नहीं मिला। अब धूप तेज होने से पूरा आलू दागी हो गया है। इस कारण व्यापारी और कोल्ड स्टोरेज कारोबारी इस आलू को खरीदने से कतरा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में आलू के उत्पादन पर इस बार मौसम की मार का पूरा असर है। आलू उत्पादक बड़े जिलों में 30 से 50 फ़ीसदी तक उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है। कन्नौज से लेकर आगरा तक आलू का यही हाल है। कम उत्पादन के चलते आलू के फुटकर दाम में भी लगातार बढ़ोतरी हुई है।
उत्पादन घटने से बढ़ने लगे आलू के भाव
आलू का उत्पादन कम होने की वजह से मंडी में आवक घटने लगी है। मार्च महीने में आलू की खुदाई के बाद उत्पादन को देखकर किसानों के होश उड़ गए। किसानों का कहना है कि पिछले साल एक बीघे में 100 से 105 क्विंटल तक आलू की पैदावार हुई थी जो इस बार घटकर 60 क्विंटल तक रह गई है। पद्मश्री से सम्मानित किसान राम शरण वर्मा का कहना है कि उन्होंने डेढ़ सौ एकड़ में आलू की बुवाई की थी लेकिन इस बार आलू की पैदावार कम हुई है। उनके खेतों में 30 फ़ीसदी तक आलू की पैदावार में गिरावट हुई है। उनके खेत से ही इस बार व्यापारियों के द्वारा 17 रुपये प्रति किलो के भाव से आलू की खरीदारी हो रही है। जलवायु परिवर्तन के असर के चलते इस बार आलू की पैदावार में गिरावट हुई है।