यूपी के लाखों बच्चों के भविष्य के लिए योगी सरकार का ये फैसला है तारीफ के काबिल

ज्यादातर निजी स्कूलों में मनमाने ढंग से फीस वसूली जाती है जिससे हर साल अभिभावकों की मुश्किलें बढ़ती जाती हैं लेकिन यूपी सरकार ने अभिभावकों को इससे राहत दिलाने की तैयारी कर ली है। योगी सरकार ने कैबिनेट फैसले के जरिए स्कूलों पर नकेल कस दी है। मंगलवार को लिए गए कैबिनेट फैसले के मुताबिक, अब निजी स्कूल अधिकतम सात या आठ फीसदी ही फीस बढ़ा सकते हैं। 2018-19 से ये आदेश प्रभावी होगा। इस संबंध में सरकार अध्यादेश लाने जा रही है। फीस बढ़ोतरी के मुद्दे पर यूपी के अलग अलग हिस्सों से हिंसक प्रदर्शन की खबरें भी सामने आती रही हैं।
प्रदेश में निजी स्कूलों की सालाना फीस वृद्धि के लिए सरकार ने एक फॉर्मूला तय कर दिया है। इसके मुताबिक़ अब फीस बढ़ाने के लिए स्कूल में टीचर्स के मासिक वेतन में बढ़ोत्तरी के अनुपात के हिसाब से बढ़ाई जाएगी। योगी सरकार ने कहा है कि निजी स्कूल हर साल 7-8 फीसदी से ज्यादा फीस वृद्धि नहीं कर सकते हैं। कक्षा 12वीं तक सिर्फ एक ही बार एडमिशन फीस ली जा सकेगी। 20 हजार से ज्यादा फीस लेने वाले स्कूल दायरे में आएंगे। अगर निजी स्कूल नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो ऐसा पहली बार करने पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा। दूसरी बार ऐसा करने पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा। तीसरी बार भी नियमों को उल्लंघन किया गया तो स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
इसके अलावा निजी स्कूलों को कमर्शियल एक्टिविटी से हुई आय को स्कूल की आय में दिखाना होगा। स्कूल रजिस्ट्रेशन फीस, एडमिशन फीस, परीक्षा शुल्क समेत 4 शुल्क अनिवार्य होंगे। जबकि बस, मेस, हॉस्टल जैसी सुविधाएं वैकल्पिक होंगी। स्कूल शैक्षिक सत्र के 60 दिन पहले अलग-अलग मदों के खर्च को सार्वजनिक करेंगे। पांच वर्षों तक ड्रेस में परिवर्तन नहीं कर सकते। अगर ऐसा होगा तो मंडलायुक्त स्तर पर एक कमेटी होगी जो इसकी जांच करेगी। सभी खर्चों को वेबसाइट पर प्रदर्शित करना होगा। त्रैमासिक, अर्ध वार्षिक शुल्क ही लिया जा सकता है और सालभर की फीस एक साथ लेने पर भी पाबंदी लगाने का फैसला किया गया है।
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