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उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण मामले में लखनऊ की एनआईए अदालत ने 12 दोषियों को उम्रकैद और चार को 10-10 साल की सजा सुनाई है। गैर मुस्लिम मूक बधिर, महिलाओं, बच्चों एवं कमजोर वर्ग के लोगों को पैसा व नौकरी का प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराने के मुख्य आरोपी मौलाना मो. उमर गौतम समेत 12 दोषसिद्ध आरोपियों को एटीएस के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने उम्रकैद की सजा सुनाई है।
दोषी करार दिए गए शेष चार अभियुक्तों को अदालत ने 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा से दंडित किया है। जेल में बिताई गई अवधि सजा में शामिल होगी। कोर्ट ने यह फैसला 24 गवाहों के बयान और पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर सुनाया है। अवैध धर्मांतरण के देशभर में पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं और विभिन्न अदालतों में दोषियों को सजा भी सुनाई जा चुकी है।
गोमतीनगर में दर्ज हुआ था मुकदमा
पत्रावली के अनुसार धर्म परिवर्तन की रिपोर्ट एटीएस की नोएडा यूनिट के उप निरीक्षक विनोद कुमार ने 20 जून, 2021 को लखनऊ के गोमतीनगर एटीएस थाने में दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ देश विरोधी एवं असामाजिक तत्व, धार्मिक संगठन/ सिंडिकेट, विदेशी संस्थाओं के निर्देशों व उनसे प्राप्त वित्तीय मदद से धर्म परिवर्तन कर देश का जनसंख्या संतुलन बदल रहे हैं। धर्म परिवर्तन किए गए लोगों को मूल धर्म के प्रति द्वेष, नफरत का भाव पैदा कर कट्टरपंथी बना मानसिक तौर पर देश में वैमनस्य फैलाने के लिए तैयार किया जा रहा है।
खुद हिंदू से मुस्लिम बना उमर
बाटला हाउस जामिया नगर नई दिल्ली निवासी मोहम्मद उमर गौतम धर्मांतरण से पूर्व हिंदू था। इस बात का खुलासा गाजियाबाद के मंसूरी थाने में दर्ज एक मुकदमे की पूछताछ में पता चला। पुलिस से पूछताछ में उमर ने बताया कि उसने अभी तक लगभग एक हजार गैर मुस्लिम लोगों का धर्म परिवर्तन कराया है।
श्याम प्रताप सिंह के मोहम्मद उमर गौतम बनने की कहानी
मोहम्मद उमर गौतम का जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ था। मुस्लिम बनने से पहले उसका नाम श्याम प्रताप सिंह था। वह फतेहपुर के रमवां पथुवा का मूल निवासी है। श्याम प्रताप सिंह उर्फ उमर गौतम कृषि से इंटरमीडियट करने के दौरान मुस्लिम दोस्तों के संपर्क में आ गया था। वह मुस्लिम धर्म से बहुत प्रभावित था। घर पर रहकर वह सबकी नजरों में आ जाता इसलिए परिजनों पर दबाव बनाकर वह पढ़ाई के बहाने अलीगढ़ पहुंचा।
हनी ट्रैप में फंस कर श्याम ने बदला धर्म
अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान वह हनी ट्रैप के जरिए एक महिला से संपर्क में आया।उसे प्रोफेसर बनने का ऑफर दिया गया तो लालच में आकर उसने मुस्लिम महिला से शादी कर मुस्लिम धर्म अपना लिया। हालांकि इससे पहले उमर की शादी राजेश कुमारी से हो चुकी थी। उसके पहली पत्नी से एक बेटा और बेटी भी हैं। धर्म परिवर्तन के बाद जब वह पहली बार घर लौटा तो परिजनों को बात पता लगी। इस पर परिवार वालों को धक्का लगा। सभी ने उसे समझाया पर उस पर तो मानो मुस्लिम बनने का जुनून सवार था। पिता धनराज सिंह बेटे के फैसले से काफी आहत थे। उन्होंने कई बार समझाया पर वह नहीं माना। घरवालों के विरोध पर वह पत्नी राकेश कुमारी और बच्चों को भी अलीगढ़ ले गया और धर्म परिवर्तन करा दिया।उसने पत्नी राजेश का नाम बदलकर रजिया रख दिया। वहीं, बेटी का नाम तकदीश फातिमा गौतम और बेटे का नाम आदिल उमर गौतम रख दिया। पिता धनराज बेटे की इस करतूत से बिल्कुल टूट चुके थे। इसी गम में दो साल बाद उनकी मौत हो गई। पिता की मौत की खबर उमर को दी गई। उमर गांव तो पहुंचा लेकिन उसकी आंखों में आंसू नहीं छलके। उसके दोनों भाइयों ने पिता की अर्थी को कंधा दिया लेकिन उसने अपने पिता को हाथ भी नहीं लगाया।
इस्लामिक सेंटर बनाकर शुरू किया धर्मांतरण
उमर ने पढ़ाई खत्म करने के बाद देश-दुनिया में इस्लाम पर व्याख्यान देना शुरू कर दिया था। इतना ही नहीं वह अपने व्याख्यानों में अपने हिंदू से मुस्लिम बनने की कहानी को प्रेरणादायक बताकर सुनाता था जिससे लोग इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए प्रेरित हों। धीरे-धीरे उसने इस्लामिक दावा सेंटर का गठन किया जो दिल्ली के जामिया नगर के बटला हाउस इलाके की नूंह मस्जिद के पास है। इस सेंटर के जरिए वह दूसरे धर्म के लोगों को इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित करने का काम करने लगा।
भाषण से लोगों को धर्म परिवर्तन करने के लिए करता था प्रेरित
मौलाना उमर की गिरफ्तारी के वक्त एटीएस को उसका एक वीडियो मिला था जिसने पूरी जांच को अहम दिशा दी। वीडियो में वह खुलेआम इस्लाम कबूल करने के लिए प्रेरित करने का भाषण कहता दिख रहा था। वह बोल रहा था कि मैं 18 बार इंग्लैंड और चार बार अमेरिका जा चुका हूं। गोरखपुर के एक व्यक्ति का धर्मांतरण कराने की बात भी उसने खुले आम मंच से बोली थी। यह वीडियो नोयडा डेफ सोसायटी की 16वीं वर्षगांठ का बताया जा रहा है जिसमें कई विदेशी भी पहुंचे थे।
विदेशों से फंडिंग, खातों में मिले थे 57 करोड़
धर्मांतरण के मामले में यूपी एटीएस ने जब उमर मामले की जांच की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ था। उसके अलग-अलग खाते खंगाले गए तो उसमें करीब 57 करोड़ रुपये पाए गए। गौरतलब है कि यह रकम विदेशों से भेजी गई थी। इन पैसों को धर्म परिवर्तन करने वालों में बांटा जाता था। इस पूरे काम को उमर का बेटा अब्दुल्ला करता था। अब्दुल्ला का साथ जहांगीर आलम, कौसर और फराज शाह भी देते थे। यूपी समेत देशभर से 17 लोगों को दबोचा गया था।
इन दोषियों को हुआ आजीवन कारावास
विशेष अदालत ने मौलाना मो. उमर गौतम, इरफान शेख उर्फ इरफान खान, सलाहुद्दीन जैनुद्दीन शेख, प्रसाद रामेश्वर कांवरे, भुप्रियबंदो देवीदास मानकर उर्फ अरसलन मुस्तफा, कौसर आलम, डॉ फराज शाह, मौलाना कलीम सिद्दीकी, धीरज गोविंद राव जगताप, सरफराज अली जाफरी, मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी को उम्र कैद की सजा सुनाई है।उमर गौतम और अब्दुल्ला उमर को 1.85 लाख तथा बाकी को 1.60 लाख जुर्माने से दंडित किया है।
इन्हें हुई 10 वर्ष की जेल
धर्मांतरण मामले में अदालत ने डॉक्टर फराज बाबुल्लाहशाह, मो. सलीम, मन्नू यादव उर्फ अब्दुल, भोला उर्फ राहुल अहमद को 10 वर्ष कठोर कारावास तथा 1.60 लाख जुर्माने की सजा सुनाई है।
जब दोषियों की तरफ सेलगाई गई कम सजा की गुहार
बुधवार दोपहर करीब एक बजे सभी आरोपी जेल से अदालत में पेश किए गए। सजा के प्रश्न पर न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने विस्तार पूर्वक सुनवाई की। दोषियों की ओर से कहा गया कि उनकी आयु एवं परिस्थिति को देखते हुए कम से कम सजा दी जाए जबकि अभियोजन की ओर से सभी को अधिकतम सजा की मांग की गई। अदालत ने अपने निर्णय नें कहा है कि आरोपियों द्वारा अवैध तरीके से गरीब, मूकबधिर, बच्चों एवं महालाओं के अलावा अनुसूचित जाति के लोगों को अपने जाल में फंसा कर उन्हें भ्रमित करते हुए धर्म परिवर्तन कराया गया है जिसके कारण उनके प्रति नरमी बरता जाना न्यायोचित नहीं होगा।