माफिया व कुख्यात अपराधियों को बार-बार जेल से कोर्ट लोने व ले जाने के दौरान पुलिस को अब कड़ा सुरक्षा घेरा नहीं बनाना पड़ेगा। लखनऊ में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां पेशी पर आया कैदी पुलिसकर्मियों की आंखों में धूल झोंककर फरार हो गया। पुलिस प्रशासन के लिए यह बड़ी अच्छी खबर है। अब उनका काम सुलभता से हो सकेगा। बंदी के जेल में रहते हुए ही किसी मामले में उसके विरुद्ध चल रहे मुकदमे का ट्रायल (विचारण) वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूरा हो सकेगा।
10 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत
कारागार प्रशासन इसके लिए जल्द प्रदेश की 72 जिलों में वीडियो कान्फ्रेंसिंग की 535 नई यूनिट स्थापित कराएगा। शासन ने इसके लिए 10 करोड़ रुपये का बजट भी स्वीकृत कर दिया है।
बंदी को बार-बार कोर्ट में पेश करने से पुलिस को मिलेगी मुक्ति
प्रदेश के जेलों में वर्तमान में 145 वीडियो कान्फ्रेंसिंग यूनिट हैं जिनके माध्यम से बंदियों की 14 दिनों में न्यायिक रिमांड अवधि बढ़ाने के लिए पेशी होती है। मुकदमें के ट्रायल के दौरान आरोप तय किए जाने, गवाही, बयान, साक्ष्य प्रस्तुत करने से लेकर सजा सुनाए जाने तक आरोपी को कई बार कोर्ट में पेश किया जाता है। पुलिस को बंदियों को कोर्ट में पेश कराने व वापस जेल में दाखिल कराने के लिए काफी भागदौड़ करनी पड़ती है।
पुलिस प्रशासन के लिए बड़ी राहत
माफिया व कुख्यात अपराधियों की पेशी के लिए कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था सुनिश्चित कराने की चुनौती भी हर बार होती है। ऐसे में नई व्यवस्था जेल व पुलिस प्रशासन को बड़ी राहत देने वाली है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 के तहत बंदी की वीडियो कांन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेशी कराकर ट्रायल की प्रक्रिया को पूरा कराने का प्राविधान किया गया है।
डीजी कारागर पीवी रामाशास्त्री का कहना है कि जेलों में वीडियो कान्फ्रेंसिंग की नई 535 यूनिट स्थापित कराए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कोर्ट जिन मामलों में अनुमति देगा, उनमें पूरे ट्रायल के दौरान बंदी की पेशी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनिश्चित कराई जाएगी। बड़ी जेलों में 10 से 12 नई वीडियो कान्फ्रेंसिंग यूनिट लगेंगी।
वीडियो कान्फ्रेंसिंग ने बढ़ाई सरकारी गवाही
अभियोजन निदेशालय भी सभी जिलों में वीडियो कान्फ्रेंसिंग यूनिट की संख्या बढ़ा रहा है। इसके माध्यम से सरकारी अधिकारियों व कर्मियों ने अपने तैनाती के जिले से ई-गवाही देनी शुरू कर दी है। खास बात यह है कि अब सेवानिवृत्त हो चुके अधिकारी व कर्मचारी अपने निवास के जिले से ही ई-गवाही देसकते हैं। वर्तमान व पूर्व कर्मियों को अब गवाही के लिए लंबी दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। अभियोजन निदेशालय ने बीते चार माह में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से लगभग चार हजार सरकारी गवाहों को पेश कराया है।