उत्तर प्रदेश के मथुरा में आईटीआई संस्थानों में हुई धांधली के बाद सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने छात्रवृत्ति घोटाले में शामिल प्रदेश के 27 निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) को काली सूची में डाल दिया है। सरकार की तरफ भ्रष्टाचार करने वाले इन संस्थानों के प्रबंधकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश भी दिए गए हैं। बता दें, उत्तर प्रदेश में घोटाले में 25 अन्य निजी आईटीआई की मिलीभगत का खुलासा हो चुका है। अब सरकार की तरफ से इनको ब्लैकलिस्ट करने के साथ ही इन पर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा और सरकार की तरफ से इन संस्थानों से घोटाले की राशि भी वसूली जाएगी।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आईटीआई संस्थानों के मामले में बेहद ही कड़ा रुख अपनाया है। मथुरा (Mathura) जिले में निजी आईआईटी (ITI) संस्थानों में अनियमितता, गबन और भ्रष्टाचार के प्रकरण में 23 दिसंबर को सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने यहां के जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी को निलंबित कर दिया है। यही नहीं, इस मामले में उनके निर्देश पर जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी सहित विभाग के तीन कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश भी दिए गए हैं। सरकार की तरफ से इन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से घोटाले की रकम की वसूली किए जाने के निर्देश दिए हैं।
इस तरह से किया गया था गबन
मथुरा के आईआईटी संस्थानों (ITI College) में गबन का मामला प्रकाश में आने के बाद सरकार ने इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) को जब कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भेजी तो उसमें जिले के अधिकारियों से लेकर मंडल अधिकरियों की मिलीभगत पाई गई। जांच समिति की तरफ से यह सही पाया गया कि 11 मान्यताविहीन शिक्षण संस्थानों में करीब 253.29 लाख रुपये का गबन किया है। मथुरा के 23 कॉलेजों में पांच हजार से अधिक छात्रों ने कोर्स ही पूरा नहीं किया और उन्हें करीब 969 लाख की छात्रवृत्ति जिला समाज कल्याण की तरफ से भेजी गई। जांच में यह भी पाया गया कि कई निजी आईटीआई कॉलेजों (Private ITI College) में स्वीकृत सीट के सापेक्ष करीब पांच हजार दाखिले अतिरिक्त कर लिए गए। अधिकारियों ने इन्हें भी छात्रवृत्ति की राशि दी। यहां के 38 कॉलेजों में 100 से अधिक समान नाम, पिता का नाम और समान जन्म तिथि वाले फर्जी छात्रों को भी शुल्क प्रतिपूर्ति कराई गई।