नीलगाय से भी छुटकारा दिलाएगा ये कीटनाशक, फ्री में होता है तैयार

उत्तर प्रदेश में किसानों के सामने बड़ी समस्या नीलगाय और अन्ना जानवर हैं। इन मवेशियों से किसानों को अपनी फसल बचाने के लिए कई जुगत भिड़ानी पड़ती हैं। चाहे सर्दी हो या बरसात किसान रात-रात भर जागकर फसलों की निगरानी करते हैं। इसी परेशानी को देखकर उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के एक किसान ने घर पर ही गोमूत्र और विभिन्न वनस्पतियों से एक कीटनाशक तैयार किया है जिसके छिड़काव से खेत के आस-पास भी अन्ना जानवर नहीं फटकते। ये कीटनाशक हर किसान अपने घर पर बना सकता है और इसकी लागत शून्य रुपये आती है।
फतेहपुर के बोधी खेड़ा गांव के रहने वाले किसान शैलेश पटेल आए दिन नीलगाय द्वारा अपनी फसल को नष्ट होते देखते रहते थे। शैलेश बताते हैं कि कई महीनों तक रात में फसल की मवेशियों से निगरानी भी की, लेकिन फसल को नष्ट होने से बचा नहीं पाया। नीलगाय या अन्ना जानवरों का झुंड अगर एक बार भी खेत में घुस जाता है तो पूरी फसल नष्ट कर देता है। इस समस्या से छुटकारा के लिए मैंने गोमूत्र और कई वनस्पतियों के मिश्रण से एक कीटनाशक तैयार किया है। फसलों पर इसके छिड़काव के बाद न तो कीट फटकते हैं और न ही मवेशी। इस कीटनाशक की तीक्ष्ण गंध खेत के आस-पास एक सुरक्षा कवच के रूप में काम करती है। जिस कारण नीलगाय और अन्ना जानवर खेत से दूर रहते हैं।
सफल रहा प्रयोग
कीटनाशक की गंध ऐसी है कि कीट मरता नहीं बल्कि भागता है। अन्ना मवेशी भी गंध के कारण फसल को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। शैलेश ने सबसे पहले अपनी फसल पर कीटनाशक का प्रयोग किया, जिसका परिणाम अच्छा रहा। अब करीब एक हजार किसान उनके पास से कीटनाशक ले जाकर प्रयोग कर रहे हैं। इटावा, बुलंदशहर, लखनऊ सहित अन्य कई जिलों से भी किसान आ रहे हैं, जिनको वह कीटनाशक बनाने का तरीका बताते हैं।
नहीं आती कोई लागत
शैलेश पटेल अपने द्वारा बनाए गए कीटनाशक के बारे में बताते हैं कि इसको बनाने में कोई भी पैसे का खर्च नहीं होता है। जो भी चीजें इसमें प्रयोग होती हैं वो सब गांव में उपलब्ध होती हैं। इस कीटनशक को बनाने के लिए गोमूत्र, नीम की पत्ती, अकौड़ा, धतूरा, पीला कनेर, भटकटइया, देसी तंबाकू, पपीता पत्ती, हरसिंगार आदि चीजों की जरूरत होती है।

कीटनाशक तैयार करने की विधि
15 लीटर गोमूत्र, नीम, धतूरा, अकौड़ा की पत्ती (ढाई-ढाई किलो ), कनेर की पत्ती 1.5 किलो, हरसिंगार की पत्ती एक किलो, बेशर्म की पत्ती दो किलो (पिसी हुई), 250 ग्राम तंबाकू की पत्ती, 500 ग्राम पपीता की पत्ती (बिना पिसी), शरीफा की पत्ती दो किग्रा (बिना पिसी), हरी मिर्च तीन किलो (पिसी), सभी चीजों को एक बड़े बर्तन में मिलाकर उबालें। मिश्रण तब तक उबालें जब तक दस लीटर शेष रह न जाए। अब मिश्रण को ठंडा कर छान लें। अब तैयार हो गया कीटनाशक।
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ऐसे करें उपयोग
इस घोल की 50 मिलीलीटर मात्रा 15 लीटर पानी में मिला कर तैयार कर लें। ये तैयार घोल एक बीघा फसल के लिए काफी है। इस घोल को कीटनशक छिड़काव मशीन से किसी भी फसल में छिड़काव कर सकते हैं। ये कीटनाशक फसल को नुकसान भी नहीं पहुंचाता है। इस घोल का फसल पर 20 दिनों तक प्रभाव रहता है।
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