उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज प्राकृतिक खेती और कृषि विज्ञान पर क्षेत्रीय परामर्श कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। केंद्र सरकार की पहल पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
यूपी के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने बताया कि इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत होंगे। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत कई वीवीआईपी गेस्ट भी शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि यूपी की मेजबानी में आयोजित हो रहे इस सम्मेलन में यूपी सहित 12 राज्यों राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, झारखंड, उत्तराखंड, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, बिहार, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख एवं चंडीगढ़ के लगभग 500 प्रतिनिधि अपने अनुभव एवं विशेषज्ञताओं को साझा करेंगे। इसमें आहार परंपरा में प्राकृतिक खेती और श्री अन्न के महत्व से लोगों को अवगत कराया जाएगा। कार्यक्रम का आयोजन होटल सेंट्रम में किया जाएगा।
कृषि मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की मेजबानी में होने वाले इस कार्यक्रम में केंद्र, राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारी, 15 कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति और डीन, 180 कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों के साथ ही प्राकृतिक खेती करने वाले अग्रणी किसान भी शामिल होंगे।
इस कार्यक्रम में प्राकृतिक खेती के उत्पादों का Display Counter भी लगाए जा रहे हैं। इनमें प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों द्वारा उपजाए जा रहे उत्पाद पेश किए जाएंगे। सम्मेलन में प्राकृतिक खेती पर वैज्ञानिक एवं किसानों के बीच संवाद के अलावा आचार्य देवव्रत द्वारा हरियाणा के कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती के व्यवहारिक पहलुओं पर किए जा रहे प्रयोगों से किसानों को अवगत कराया जाएगा।
इस कार्यक्रम में प्राकृतिक खेती के उत्पादों का Display Counter भी लगाए जा रहे हैं। इनमें प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों द्वारा उपजाए जा रहे उत्पाद पेश किए जाएंगे। सम्मेलन में प्राकृतिक खेती पर वैज्ञानिक एवं किसानों के बीच संवाद के अलावा आचार्य देवव्रत द्वारा हरियाणा के कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती के व्यवहारिक पहलुओं पर किए जा रहे प्रयोगों से किसानों को अवगत कराया जाएगा।
यूपी में प्राकृतिक खेती पर जोर
उन्होंने बताया कि यूपी में प्राकृतिक खेती के प्रसार की असीमित संभावनाओं को हकीकत में तब्दील करने की योगी सरकार की कार्ययोजना के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की पहल पर यूपी में प्राकृतिक खेती एवं कृषि विज्ञान के आपसी समन्वय पर जोर दिया जा रहा है। गौरतलब है कि प्राकृतिक खेती पर आचार्य देवव्रत ने शोधपरक अध्ययन कर इसके व्यवहारिक पहलुओं को एक पुस्तक में भी संकलित किया है।
प्राकृतिक खेती में पर्याप्त अवसर: शिवराज सिंह चौहान
इससे पहले केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किसानों और कृषि क्षेत्र का हित सर्वोपरि है और केंद्र सरकार राज्यों को हर तरह से पूरी सहायता प्रदान करती रहेगी। उन्होंने कहा कि यह बहुत अच्छी बात है कि राज्यों में नवाचार हो रहे हैं, जिसे अन्य राज्यों तक भी पहुंचाना चाहिए, ताकि देशभर के किसानों को इनका ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके। चौहान ने कहा कि उ.प्र. में फसल विविधीकरण और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की भरपूर संभावनाएं हैं।
आयल पाम की खेती के सहित दलहन-तिलहन उत्पादन को और बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने दोहराया कि केंद्र, म.प्र. सहित सभी राज्यों में उड़द, अरहर और मसूर की शत-प्रतिशत खरीद के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए उन्होंने राज्यों से संबंधित पोर्टल पर पंजीयन करने के लिए किसानों को प्रचार-प्रसार कर जागरूक करने को कहा।
प्राकृतिक खेती का महत्व
भारतवर्ष में प्राचीन काल से प्राकृतिक खेती होती आ रही है। प्राकृतिक खेती 2.0 प्राकृतिक खेती के विकसित या आधुनिक संस्करण को संदर्भित करता है, जो सिंथेटिक उर्वरकों या कीटनाशकों पर निर्भर किए बिना टिकाऊ कृषि पद्धतियों पर जोर देता है। यह दृष्टिकोण मिट्टी के स्वास्थ्य, जैव विविधता और फसल उत्पादकता में सुधार के लिए समकालीन नवाचारों और वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि के साथ पारंपरिक खेती के तरीकों को एकीकृत करता है। मुख्य सिद्धांतों में अक्सर जैविक इनपुट, फसल चक्रण, कवर फसल, न्यूनतम जुताई और संतुलित और आत्मनिर्भर कृषि प्रणाली को बनाए रखने के लिए प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र प्रक्रियाओं को बढ़ाना शामिल होता है।