देश में इन दिनों अग्निवीर योजना को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है। पीएम मोदी कारगिल विजय दिवस पर दिए अपने संबोधन में कह चुके हैं कि फौज को युवा बनाने के लिए अग्निवीर योजना ट्रंप कार्ड साबित होगी। वहीं विपक्ष इसको लेकर मोदी सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। संसद से लेकर सड़क तक चौतरफा मोदी सरकार इस योजना को लेकर आलोचना झेल रही है।
इस बीच एक यूपी के गाजीपुर में एक गांव ऐसा है जहां के परिवार से 20 हजार फौजी देश की सेवा कर रहे हैं। इस गांव का नाम गहमर है। यह गांव यूपी का ही नहीं बल्कि भारत का भी सबसे बड़ा गांव है। इस गांव की आबादी 1.35 लाख के करीब है। इस गांव में हर दूसरे घर से कोई न कोई सेना में है। गांव का हर युवा सोते-जागते बस एक ही सपना देखता है कि उसे फौज में भर्ती होना है।
गहमर गांव में 15 हजार फौजी हैं रिटायर्ड
गाजीपुर के गहमर गांव में 15 हजार के करीब रिटायर्ड फौजी हैं। वहीं 42 फौजी ऐसे हैं जो लेफ्टिनेंट से ब्रिगेडियर की पोस्ट तक पहुंचे हैं। इस गांव में 35 लोग आज आर्मी में कर्नल के पद पर हैं। पूरा गांव 22 टोले में बंटा है। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार यहां के हर टोले का नामकरण किसी फौजी के नाम पर है। गांव में जाने पर पता चलता है कि यहां हर युवा फौज में जाने की तैयारी कर रहा है। कोई एक्सरसाइज कर रहा है तो कोई दौड़ लगा रहा है।
तैयारी के बनाया गया है 1600 मीटर का ट्रैक
गांव में 83 साल के पहलवान बली सिंह रोज मैदान पर युवाओं को ट्रेनिंग देने के लिए पहुंच जाते हैं। वहीं गांव के युवा सुबह 4 बजे मैदान में पहुंच जाते हैं। इसके बाद सुबह 8 बजे ट्रेनिंग चलती है। गांव में तैयारी के लिहाज से बड़ी-बड़ी हैलोजन लाइट भी लगवाई गई है। शाम को 6 बजे लेकर रात 9 बजे तक भी ऐसे ही ट्रेनिंग होती है। गांव के रिटायर्ड फौजियों ने आने वाली पीढ़ी को फौज में भर्ती कराने के लिए मठिया नामक मैदान में 1600 मीटर का स्पेशल ट्रैक बनाया है। इस ट्रैक पर जो युवा दिल से दौड़ लगाता है उसका सेना में सेलेक्शन तय माना जाता है। इस मैदान में दौड़े 12 हजार युवा अभी फौज में है।
झुंझुनूं के कई गांवों के लोग सेना में दे रहे सेवाएं
वहीं राजस्थान के झुंझुनूं जिले के कई गांव भी फौजियों वाले गांव के नाम से मशहूर हैं। कई गांवों में तीन-चार पीढ़ियों से लोग सेना में सेवाएं दे रहे हैं। जिले के धनूरी गांव के 1200 घरों ने देश को 600 से अधिक फौजी दिए हैं। इस गांव के 17 जवान देश के लिए शहीद भी हुए हैं।
नुआं गांव के कैप्टन अयूब खान ने 1971 में पाकिस्तान के पैंटन टैंकों पर कहर बरपाया था। इस गांव में 400 से अधिक सैनिक अब सेना में सेवा दे चुके हैं। 970 घरों वाले भिर्र गांव में भी हर घर से कोई न कोई सेना में है। इस गांव में देश को 3200 से अधिक सैनिक दिए हैं। जबकि 2100 से अधिक रिटायर्ड हो चुके हैं।