कुंभ मेले का अनोखा बैंक जहां चलती है राम नाम की मुद्रा, ब्याज में मिलती है शांति

दुनिया के सबसे बड़े मेले कुम्भ में एक अनोखा बैंक चल रहा है जहां भगवान श्रीराम नाम की मुद्रा चलती है और ब्याज के रूप में आत्मिक शांति मिलती है। 'राम रमापति' ऐसा बैंक है जिसमें आत्मिक शांति की तलाश कर रहे लोग करीब एक सदी से पुस्तिकाओं में भगवान राम का नाम लिखकर जमा करा रहे हैं। तकरीबन 91 साल से चल रहे इस बैंक में देश ही नहीं, बल्कि विदेश के लाखों भक्तों ने अब तक लगभग एक लाख से ज्यादा राम नाम जमा करा चुके हैं, जिसे यह बैंक सहेज कर रखे हुए है। इस बैंक के खाताधारकों का मानना है कि इससे इनका यह जन्म तो सुधरता ही है, साथ ही राम नाम की इस पूंजी के ब्याज से इनका परलोक भी सुधरता है।
20वीं सदी की शुरुआत में हुई स्थापना
इस अनूठे बैंक का प्रबंधन देखने वाले आशुतोष वार्ष्णेय के दादा ने काशी में 20वीं सदी की शुरुआत में संगठन की स्थापना की थी। आशुतोष अपने दादा की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। आशुतोष ने कुम्भ मेले के सेक्टर छह में अपना शिविर लगाया है। उन्होंने बताया, ‘इस बैंक की स्थापना मेरे दादा ईश्वर चंद्र ने की थी, जो कारोबारी थे। अब इस बैंक में विभिन्न आयु वर्गों एवं धर्मों के एक लाख से अधिक खाता धारक हैं।’ उन्होंने बताया, ‘यह बैंक एक सामाजिक संगठन ‘राम नाम सेवा संस्थान’ के तहत चलता है और कम से कम नौ कुंभ मेलों में इसे स्थापित किया जा चुका है।’
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प्रेम रंग की प्रतीक स्याही से लिखा जाता है नाम
बैंक में कोई मौद्रिक लेनदेन नहीं होता। इसके सदस्यों के पास 30 पृष्ठीय एक पुस्तिका होती है जिसमें 108 कॉलम में वे प्रतिदिन 108 बार ‘राम नाम’ लिखते हैं। यह पुस्तिका व्यक्ति के खाते में जमा की जाती है। उन्होंने कहा कि भगवान राम का नाम लाल स्याही से लिखा जाता है क्योंकि यह रंग प्रेम का प्रतीक है।
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जारी की जाती है पासबुक
बैंक की अध्यक्ष गुंजन वार्ष्णेय ने बताया, ‘खाताधारक के खाते में भगवान राम का दिव्य नाम जमा होता है। अन्य बैंकों की तरह पासबुक जारी की जाती है। ये सभी सेवाएं नि:शुल्क दी जाती है। इस बैंक में केवल भगवान राम के नाम की मुद्रा ही चलती है।’ उन्होंने बताया कि राम नाम को ‘लिखिता जाप’ कहा जाता है। इसे लिखित ध्यान लगाना कहते हैं। स्वर्णिम अक्षरों को लिखने से अंतरात्मा के पूर्ण समर्पण एवं शांति का बोध होता है। सभी इन्द्रियां भगवान की सेवा में लिप्त हो जाती हैं।
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विभिन्न धर्मों के जुड़े हैं लोग
आशुतोष ने कहा कि केवल किसी एक धर्म के लोग ही नहीं बल्कि विभिन्न धर्मों के लोग उर्दू, अंग्रेजी और बंगाली में भगवान राम का नाम लिखते है। ईसाई धर्म का पालन करने वाले पीटरसन दास (55) वर्ष 2012 से भगवान राम का नाम लिख रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘ईश्वर एक है, भले ही वह राम हो, अल्लाह हो, यीशु हो या नानक हो।’ पांच साल से इस बैंक से जुड़े सरदार पृथ्वीपाल सिंह (50) ने कहा, ‘भगवान राम और गुरू गोविंद सिंह महान थे। उनके विचारों का अनुसरण करना हर मनुष्य का परम कर्तव्य है।’

आसान नहीं खाता खुलवाना
यहां खाता खुलवाना आसान नहीं। इसके लिए बैंक की अपनी नियमावली है। इसके तहत खाता धारक के आचार-विचार, मन, वचन और कर्म के साथ आहार-व्यवहार पर भी ध्यान दिया जाता है। इन सभी बंदिशों को पूरा करने का शपथ लेने वाला ही यहां खाता खोल सकता है। खाता खोलने के लिए बैंक से बाकायदा राम नाम लिखनने का कागज मिलता है। उस पर कागज पर राम नाम लिखना होता है। बैंक के कर्मचारी विकास महाराज बताते हैं कि राम नाम का कर्ज लेने वालों के लिए कुछ नियम हैं, जिसके तहत वह मदिरा, मांस, मछली, प्याज, लहसुन आदि का पूर्णतया परित्याग करना होता है।
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