बाबूजी चेहरा तो दिखाओ तब तो खुले कम्प्युटर

दफ्तर आने में बाबुओं की मनमानी पर परिवहन विभाग रोक लगाने जा रहा है। विभाग से लेकर आरटीओ कार्यालय तक में बाबुओं के कम्प्युटर बायोमेट्रिक व फेस आर्थेंटिकेशन के जरिये ही खुलेंगे। जबकि पहले ओटीपी से कम्प्युटर खुलते थे। जिससे बाबू ओटीपी देकर सिस्टम ऑन करवा लेते थे और देरी से दफ्तर आते थे।

इसे लेकर परिवहन विभाग ने तकनीकी विशेषज्ञों से बातचीत शुरू की है तथा बाबुओं का डाटा दिया जा रहा है। बैंकों में यह सिस्टम लागू है जिसे अब परिवहन विभाग भी लागू करने जा रहा है। इससे आरटीओ ऑफिस में भी बाबुओं की मनमानी थम सकेगी।

दरअसल आरटीओ बाबू मनमाने ढंग से काम करते हैं। आवेदक कतारों में लगते हैं पर बाबुओं के दफ्तर आने का समय निर्धारित नहीं है। ऐसे में आवेदकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। स्थिति यहाँ तक आ जाती है की मोबाइल पर आने वाली ओटीपी को दूसरों को देकर बाबू अपना सिस्टम लॉगिन करवा लेते हैं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा बैंकों की तरह बायोमेट्रिक व फेस आर्थेटिकेशन से सिस्टम लॉगिन होगा।

परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया की इसका यह भी फायदा होगा की समय से कर्मचारी कार्यालय पाहुचेंगे। जिससे जनता के काम कम समय पर हो सकेंगे और किसी तरह के अवैध कम ही नहीं हो पाएंगे। एक महीने के अंदर इसे लागू करने की योजना है।

आपको बता दें प्रदेश के कई कार्यालयों से ऐसी शिकायतें आईं कि कार्यालय के बाबू समय पर आते नहीं और दूसरों को अपना पासवर्ड देकर कंप्यूटर ऑन कर देते हैं और काम शुरू हो जाते हैं, जिससे कई जगहों पर विभिन्न तरह के खेल भी सामने आए। इस तरह की कंप्लेन आने पर अब परिवहन विभाग के अधिकारियों ने प्लान बनाया कि जल्द ही बैंकिंग की तरह ही परिवहन विभाग के कार्यालय में भी बायोमेट्रिक और फेस ऑथेंटिकेशन की व्यवस्था लागू की जाए. विभाग को यह परिवर्तन इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि अगर बाबू को ड्यूटी पर आने में देरी होती है तो किसी अन्य को अपना ओटीपी देकर कंप्यूटर ऑन करा दिया जाता है। 

कई बार तो बाहरी व्यक्तियों ने सेटिंग कर ओटीपी से कंप्यूटर ऑन कर लिया और अपने कामों को अंजाम दे दिया। अब ये संभव नहीं हो पाएगा। आरटीओ कार्यालय में यह व्यवस्था लागू करने के पीछे परिवहन विभाग के सीनियर अधिकारी तर्क देते हैं कि जब बायोमेट्रिक या फेस ऑथेंटिकेशन की व्यवस्था शुरू होगी तो मजबूरन कार्यालय के कर्मचारियों को सही समय पर दफ्तर पहुंचना होगा। बायोमेट्रिक या फेस ऑथेंटिकेशन के बाद उन पर यह दबाव रहेगा कि समय से पहुंचना है नहीं तो कार्यालय में जनता अपने काम को लेकर परेशान होगी. अधिकारियों तक शिकायत पहुंचेगी और कार्रवाई भी हो सकती है। पूर्व में ऐसे कुछ मामले हो चुके हैं जिसके चलते अब बायोमेट्रिक या फेस ऑथेंटिकेशन की व्यवस्था लागू करने पर विचार किया जा रहा है।

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