प्रदेश के तीन करोड़ ग्रामीणों को मिलेगा स्वच्छ पेयजल

बुंदेलखंड के गाँव में पहले पीने का पानी एक बड़ी समस्या होती थी। यह समस्या इतनी विकराल थी कि लोग अपनी बेटियों कि शादी यहां नहीं करते थे। आज उसी बुंदेलखंड कि जलजीवन मिशन ने तस्वीर बदल दी। 98 प्रतिशत से अधिक घरों तक स्वच्छ पेयजल पहुंच चुका है। यह सब पारंपरिक जल-श्रोतों एवं अमृत सरोवरों के संरक्षण के कारण संभव हो सका है। बुंदेलखंड के साथ विंध्य क्षेत्र की भी तस्वीर बदली है। मिर्जापुर व सोनभद्र में बड़ी संख्या में नल से जल पहुंच चुका है। इस वर्ष प्रदेश के कुल तीन करोड़ ग्रामीण परिवारों तक नल से जल मिलने की उम्मीद है।

जल संरक्षण और जल प्रबंधन के लिए कई अभिनव प्रयोग भी किए गए हैं। इसका लाभ जल प्रबंधन के साथ-साथ किसानों को सिंचाई में भी मिला है। प्रदेश में सिंचाई व्यवस्था बेहतर करने के लिए कुल छह हजार से अधिक चेक डैम व एक हजार तालाबों का निर्माण कराया गया है। जल संरक्षण के लिए सरकार ने 31360 सरकारी भवनों में वर्षा जल संचयन परियोजना का निर्माण कराया है। प्रदेश में 27368 पारंपरिक जल निकायों का पुनरुद्धार किया जा चुका है जबकि 17279 अमृत सरोवरों का निर्माण कराया गया है। इसी का नतीजा है कि 34 शहरों में औसत भूजल स्टार में सुधार आया है। जल प्रबंधन व संरक्षण के लिए प्रदेश को राष्ट्रपति राष्ट्रीय पुरस्कार भी दे चुकी हैं।

करीब ढाई वर्ष पहले जब योगी सरकार ने स्वछता मिशन की तरह जल संरक्षण को भी जन आंदोलन बनाने की शुरुवात की थी तो उस समय इसकी इतनी सफलता की उम्मीद नहीं की जा रही थी। हालांकि सरकार का लक्ष्य स्पष्ट था कि युद्ध स्तर पर गाँव-गाँव जल संरक्षण की योजनाओं को पूरा कराने व लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्र्म में तेजी लाई जाए। जल को बचाना और उसे दोबारा उपयोग में कैसे लाया जाएं इसके बारे में जागरूक किया गया।

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