संभल के जिस जामा मस्जिद को लेकर हुई हिंसा उसका यह है इतिहास, बाबरनामा में भी है जिक्र

यूपी के जिले संभल में मुगलकाल में बनी जामा मस्जिद के सर्वे के लिए कोर्ट ने आदेश दिया था। रविवार को एक टीम सर्वे के लिए मस्जिद में गई। इसके बाद कोर्ट के आदेश का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव और आगजनी की। इसमें हुई फायरिंग के दौरान 4 लोगों की मौत हो गई।

पूरे इलाके के लोग जानते हैं कि ये हमारा मंदिर है। ये लोगों की आस्था का केंद्र है। बाबर ने अयोध्या का राम मंदिर और संभल का हरिहर मंदिर तोड़कर उस पर मस्जिद बनाई थी।

उत्तर प्रदेश के संभल में केला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी जामा मस्जिद को लेकर बस ये दावा ही नहीं करते, वो पूरे भरोसे के साथ कहते हैं कि ये हमारा मंदिर है और हमारा ही रहेगा।

जानिए आखिर क्या है पूरा विवाद…

हिंदू पक्ष काफी वक्त से जामा मस्जिद की जगह पर पहले मंदिर होने का दावा कर रहा है। 19 नवंबर को 8 लोग इस मामले को लेकर कोर्ट पहुंचे और एक याचिका दायर की। इसमें सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णुशंकर जैन प्रमुख हैं। ये दोनों ताजमहल, कुतुब मीनार, मथुरा, काशी और भोजशाला का मामला भी देख रहे हैं। इनके अलावा याचिकाकर्ताओं में वकील पार्थ यादव, केला मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी, महंत दीनानाथ, सामाजिक कार्यकर्ता वेदपाल सिंह, मदनपाल, राकेश कुमार और जीतपाल यादव का नाम शामिल है।

हिंदू पक्ष का दावा

हिंदू पक्ष का दावा है कि ये जगह पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करती थी, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। संभल कोर्ट में हिंदू पक्ष ने याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की 150 साल पुरानी एक रिपोर्ट शामिल है।

दावा-1: बाबरनामा किताब के इस अंश का दिया हवाला

हिन्दू बेग कुचिन 932 हिजरी (एएच) में हुमायुं का सेवक था। 933 हिजरी में संभल में उसने एक हिंदू मंदिर को मस्जिद में बदल दिया था। यह बाबर के आदेश पर किया गया। मस्जिद पर आज भी मौजूद एक शिलालेख में इसकी याद दिलाई जाती है।

दावा-2: आइन-ए-अकबरी किताब के इस अंश का दिया हवाला

संभल में हरि मंडल (विष्णु का मंदिर) नाम का एक मंदिर है, जो एक ब्राह्मण का है। जिसके वंशजों में से दसवां अवतार इसी जगह प्रकट होगा। ये एक प्राचीन जगह है, जो शेख फरीद-ए-शकर गंज के उत्तराधिकारी जमाल का विश्राम स्थल है।

हिंदू पक्ष की याचिका में कही गई बातें…

  • बाबरने 1526 ईसवी में भारत पर आक्रमण किया। इस्लाम की ताकत दिखाने के लिए उसने हिंदू मंदिर नष्ट करा दिए थे। 1527-28 में बाबर के सेनापति हिरगु बेग ने श्री हरिहर मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया था। मुसलमानों ने मंदिर की इमारत पर कब्जा कर लिया और उसे मस्जिद के रूप में इस्तेमाल किया।
  • मुख्य हिंदू मंदिर की दीवारें पत्थर की बड़ी ईंटों से बनी लगती हैं, लेकिन मुस्लिमों ने दीवारों पर जो प्लास्टर लगाया है, उससे ये तथ्य छिप जाता है कि वो किस सामग्री से बनी है। हमें कई जगह प्लास्टर टूटा हुआ मिला, वहां कुछ जगहों पर पत्थर दिख रहे। वो पत्थर हटा दिए गए, जो हिंदू धर्म के निशान थे।

मंदिर हमारा था, हमारा है और हमेशा हमारा ही रहेगा: महंतऋषिराज गिरी (याचिकाकर्ता)

जामा मस्जिद की जगह पर मंदिर होने का दावा करने और याचिका लगाने वालों में केला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी भी हैं। महंत कहते हैं, हरिहर मंदिर के लिए हमारी लड़ाई काफी सालों से चल रही है। बस दुनिया के सामने आज आई है। हम इसे लेकर अब कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। हमारे पास जो भी सबूत है, हमने वो कोर्ट में जमा करा दिए हैं। जो भी फोटो और वीडियोग्राफी हुई है, वो भी 29 नवंबर को कोर्ट के सामने पेश की जाएगी। मुस्लिम पक्ष को शांति से हमें हमारा मंदिर सौंप देना चाहिए और हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करनी चाहिए। हमने 19 नवंबर को गाजियाबाद जाकर वकील विष्णुशंकर जैन से मुलाकात की। फिर वहां से हम 8 याचिकाकर्ता मंदिर के दावे को लेकर संभल सिविल कोर्ट गए। डीएम और एसपी ने दोनों पक्षों को बैठाकर समझाया और सर्वे किया।

महंत आगे कहते हैं, पूरे इलाके के लोग जानते हैं कि ये हमारा मंदिर है। ये लोगों की आस्था का केंद्र है। अयोध्या में जब तक राम मंदिर नहीं बना, तब तक लोगों ने पगड़ी नहीं पहनी थी। यहां सब शांतिपूर्ण तरीके से कानूनी प्रक्रिया से किया जाएगा।

हमारा तो ये भी मानना है कि मस्जिद के अंदर से गुफा दिल्ली के लिए जाती है। आम जनता इस बारे में हमसे ज्यादा जानती है। बस डर की वजह से बोलती नहीं है। मां केला देवी ने मुझे इस काम के लिए चुना है। मंदिर हमारा था, हमारा है और हमारा रहेगा।

मुस्लिम पक्ष का दावा

मुस्लिम पक्ष के वकील जफर अली शाही जामा मस्जिद कमेटी के सदर भी हैं। वो सर्वे के दौरान टीम में शामिल थे। जफर कहते हैं, हिंदू पक्ष के पास कोई सबूत नहीं है, जिससे ये पता चलता हो कि जामा मस्जिद से पहले यहां कोई मंदिर हुआ करता था। उन्हें ये भी नहीं पता कि मंदिर को किस साल या सदी में बनवाया गया था। अगर मंदिर था तो उसका कहीं न कहीं रिकॉर्ड होता। हिंदू पक्ष के पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है कि मंदिर किस साल में और किसने बनवाया था। ये इस बात का सबूत है कि वहां कभी मंदिर था ही नहीं।  बाबरनामा और बाकी जिन किताबों में भी हिंदू पक्ष जिक्र होने की बात कर रहा है, उसे समझना कोर्ट का काम है।

वे आगे कहते हैं…

आजादी के बाद से इस तरह का कोई दावा कभी अदालत में पेश नहीं किया गया। आजादी से पहले 1877 और 1879 में जरूर कुछ वाद दायर किए गए थे। वो खारिज हुए और फैसला जामा मस्जिद के हक में रहा था। हमारे पास जजमेंट की कॉपी भी है।

ASI का दावा

ASI के सर्वेक्षण में दावा किया गया कि मस्जिद में ऐसे कई संकेत और अवशेष मौजूद हैं जो इसकी प्राचीनता और हिंदू मंदिर से जुड़े होने की ओर इशारा करते हैं। हालांकि, यह मामला अदालत में विचाराधीन है और सर्वेक्षण के हालिया निष्कर्ष 29 नवंबर को अदालत में पेश किए जाएंगे। इस रिपोर्ट से आगे की सच्चाई स्पष्ट हो सकेगी।भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 1875 की रिपोर्ट में मिले कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। यह रिपोर्ट ACL कार्यालय द्वारा तैयार की गई थी और “Tours in the Central Doab and Gorakhpur1874-1875 and 1875-1876” शीर्षक के तहत प्रकाशित हुई थी।

1870 की ASI रिपोर्ट के निष्कर्ष

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तत्कालीन अधिकारी ए. सी. एल. कार्लाइल (A. C. L. Carlleyle) द्वारा तैयार रिपोर्ट, “Tours in the Central Doab and Gorakhpur 1874-1875 and 1875-1879”,में संभल की जामा मस्जिद का विस्तृत सर्वेक्षण दर्ज है।

रिपोर्ट के अनुसार

मस्जिद के अंदर और बाहर के खंभो को पुराने हिंदू मंदिरों का बताया गया है, जिन्हें प्लास्टर लगाकर छिपाने का प्रयास किया गया। मस्जिद के खंभे से प्लास्टर हटने पर लाल रंग के प्राचीन खंभे दिखाई दिए, जो हिंदू मंदिरों में इस्तेमाल होने वाले डिज़ाइन और संरचना के थे।

आइए हिंदू पक्ष के दावे औरASI के साक्ष्यों के बीच संबंध को समझते हैं…

1-संभलकीशाहीजामामस्जिदकोलेकरहिंदूपक्षकादावाहै कि यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। इस दावे को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और ऐतिहासिक साक्ष्यों से जोड़ने की कोशिश की गई।

ASI का तर्क

रिपोर्ट के अनुसार-

मस्जिद में एक शिलालेख है, जिसमें लिखा है कि इसका निर्माण 933 हिजरी में मीर हिंदू बेग ने पूरा किया था। मीर हिंदू बेग बाबर का दरबारी था, जिसने एक हिंदू मंदिर को मस्जिद में परिवर्तित किया। ASI के मुताबिक, यह शिलालेख इस बात का प्रमाण है कि मस्जिद का निर्माण किसी हिंदू धार्मिक स्थल को बदलकर किया गया था।

2- संभल की जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि इसे भगवान विष्णु के हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। इस दावे का आधार बाबरनामा और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट को माना जाता रहा है।

ASI का तर्क

ASI की 1875 की रिपोर्ट में भी कई ऐसे साक्ष्य दर्ज हैं, जो हिंदू मंदिर के अस्तित्व की ओर संकेत करते हैं।

मस्जिद के खंभे: मस्जिद के हिंदू खंभे मुस्लिम खंभो से अलग हैं और विशुद्ध हिंदू वास्तुकला का प्रतीक हैं।

गुंबद का जीर्णोद्धार:ASI के अनुसार, मस्जिद के गुंबद का जीर्णोद्धार हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में हुआ था।

पुरातात्विक अवशेष: मस्जिद की संरचना में हिंदू मंदिर के कई चिह्न पाए गए, जिन्हें बाद में प्लास्टर से ढक दिया गया।

रविवार को कैसे शुरू हुआबवाल

19 नवंबर को ही वीडियोग्राफी कराने के बाद टीम वापस आ गई थी। दूसरे चरण का सर्वे करने के लिए रविवार सुबह एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघ एवं वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन व श्री गोपाल शर्मा, केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता विष्णु शर्मा एवं जामा मस्जिद कमेटी के सदर के साथ टीम मस्जिद में पहुंची। मस्जिद में आमतौर पर रविवार दोपहर में नमाज होती है। ऐसे में सर्वे करने वाली टीम को इससे पहले आने के लिए कहा गया था।

सर्वे टीम के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया

सुबह साढ़े 7 बजे टीम पहुंची और 10 बजे तक सर्वे चला। हम जरूरी तस्वीरें और वीडियो लेकर निकलने लगे तभी भीड़ ने घेर लिया और पथराव होने लगा। कुछ लोगों ने जामा मस्जिद में घुसने का प्रयास किया।

पुलिस के राकने पर भी बेकाबू हुए हालात

पुलिस फोर्स के रोकने पर हालात बेकाबू होते चले गए। करीब साढ़े 8 बजे भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया। पुलिस ने बल प्रयोग कर खदेड़ने की कोशिश की तो पथराव के साथ फायरिंग भी की जाने लगी। उपद्रवियों ने धार्मिक नारे लगाते हुए एक दरोगा की कार व दो दरोगाओं की मोटरसाइकिल समेत कई अन्य वाहनों में आग लगा दी। इसके बाद पुलिसफोर्स और भीड़ आमने-सामने आ गई।

पुलिस की ओर से रबर बुलेट, आंसू गैस के गोले छोड़ने पर भी हालत काबू में नहीं आए तब पुलिस ने भी फायरिंग की। पथराव व फायरिंग में तीन युवकों की शाम तक मौत हो गई। जामा मस्जिद में शुरू हुआ विवाद मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र नखासा तक पहुंच गया। 30 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए।

पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार ने कहा-

पुलिस पत्थरबाजी करने वालों की पहचान कर रही है। आरोपितों की पहचान के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। एहतियात के तौर पर आसपास के जिलों में पुलिस बल को संभल भेजा गया है। एडीजी जोन रमित शर्मा सहित व रेंज के कई अधिकारियों को भी मौके पर भेजा गया है। चार कंपनी पीएसी व रैपिड एक्शन फोर्स की एक कंपनी भी संभल में तैनात की गई है।

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