
उप्र राज्य विधयुत उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में देश के अन्य राज्यों से कम बिजली दिये जाने का मुद्दा उठाया है। परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन तथा प्रदेश सरकार से मांग की है कि बिजली कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया से पहले ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य राज्यों की तरह भरपूर बिजली देने का काम करे। उनका कहना है कि नागालैंड को छोड़ प्रदेश के ग्रामीणों को सबसे कम बिजली मिल रही है। पड़ोसी राज्य बिहार से भी कम बिजली उप्र के ग्रामीण क्षेत्रों में दी जा रही है।
उन्होंने कहा है कि ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार का कानून कहता है कि सभी राज्यों में कृषि फीडर को छोड़कर शहरी और ग्रामीण के सभी उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए। नागालैंड को छोड़ दिया जाए तो दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश ही ऐसा राज्य है जो अपने ग्रामीण उपभोक्ताओं को सबसे कम बिजली दे रहा है।
यूपी में बिजली सप्लाई का सबसे बुरा हाल
परिषद ने दावा किया कि भारत सरकार के ऊर्जा क़ानून के तहत सभी राज्यों में कृषि फ़ीडर को छोड़कर शहरी और ग्रामीण सभी उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए। लेकिन नागालैंड के बाद यूपी अकेला ऐसा राज्य है जो सबसे कम ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली मुहैया करवा पा रहा है। इसके लिए कॉरपोरेशन को देश के कंज्यूमर राइट रूल 2020 के तहत ग्रामीण उपभोक्ताओं से माफी मांगनी चाहिए कि उनके साथ न्याय नहीं किया जा रहा है।
अवधेश वर्मा ने तीन फरवरी को राज्यसभा पटल पर रखे गए ग्रामीण क्षेत्र में बिजली आपूर्ति के आंकड़ों को हवाला देते हुए कहा कि देश के दूसरे राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजाना औसतन 21-23 घंटे की बिजली सप्लाई हो रही है जबकि उत्तर प्रदेश में रोजाना सिर्फ 18.1 घंटे ही बिजली की सप्लाई हो पा रही है। ये आंकड़े मार्च 2024 तक के बताए जा रहे हैं।
आकंड़ों के मुताबिक देश में सबसे कम नागालैंड में ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे और शहरों 20 घंटे प्रतिदिन बिजली की सप्लाई हो पा रही है। जबकि यूपी के गांवों में 18.1 घंटे शहरों में 23.4 घंटे बिजली मिलती है। बिहार के गांवों में 22.2 घंटे और शहरी क्षेत्र में 23.6 घंटे, उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्र में 21.4 और शहरी क्षेत्र में 23.7 घंटे प्रतिदिन बिजली दी जा रही है। इसी तरह अन्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में ग्रामीण क्षेत्रों में 21-23 घंटे तक की बिजली सप्लाई हो रही है।