
यूपी सरकार ने नए पेराइ सत्र के लिए गन्ने का राज्य परामर्शी मूल्य 370 रुपए प्रति कुंतल बरकरार रखने का निर्णय लिया है। सूत्रों ने कहा कि शुरुआती किस्म के लिए कीमत 370 रुपये प्रति क्विंटल बरकरार रखी गई है। सामान्य किस्म के गन्ने का एसएपी भी 360 रुपये क्विंटल पूर्ववत रखा गया है। चीनी सीजन अक्टूबर से सितंबर तक चलता है।
एसएपी वह दर होती है, जिस भाव पर राज्य की चीनी मिलें अनिवार्य रूप से किसानों को गन्ने का भुगतान करती हैं। यूपी के अलावा पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड ने अपना अलग मूल्य तय कर रखा है, जिसे एसएपी कहा जाता है।
पिछले पेराई सीजन 2023-24 में यूपी सरकार ने गन्ना मूल्य 20 रुपये बढ़ाकर अगैती किस्मों के लिए 370 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। सामान्य प्रजाति के लिए 360 रुपये प्रति क्विंटल और अनुपयुक्त प्रजाति के लिए 355 रुपये प्रति क्विंटल का दाम तय किया गया था। लेकिन चालू पेराई सत्र 2024-25 में राज्य सरकार ने गन्ना मूल्य में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। इस निर्णय का ऐलान भी अधिकांश पेराई सीजन बीतने के बाद किया गया। जबकि किसान खेती की बढ़ती लागत और रोगों से फसल नुकसान को देखते हुए गन्ने का भाव 400 पार होने की आस लगा रहे थे। सरकार के इस फैसले से किसानों में मायूसी है और किसान संगठन रोष जाता रहे हैं।
जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष भारती ने कहा कि इससे किसान कर्ज में आ जाएंगे और इसका ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। कुछ दिन पहले यूपी की निजी चीनी मिलों ने राज्य सरकार से संपर्क कर एसएपी न बढ़ाने का अनुरोध किया था।
सूत्रों ने कहा कि चीनी मिलों ने कहा था कि 2024-25 सत्र में रिकवरी में 0.3 से 1 प्रतिशत तक की तेज गिरावट आई है, जिससे उत्पादन लागत औसतन 140 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ गई है।
चुनाव से पहले सरकार बढ़ा सकती है दाम
हालांकि, माना जा रहा है कि 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सरकार अगले वर्ष गन्ना मूल्य में वृद्धि कर सकती है। गन्ना किसानों की ओर से काफी समय से मूल्य बढ़ाने की मांग की जा रही थी।
दूसरी तरफ, यूपी शुगर मिल एसोसिएशन मूल्य न बढ़ाने की मांग कर रही थी। एसोसिएशन का कहना था कि गन्ने में इस बार रिकवरी भी कम है। लागत बढ़ने पर भुगतान में दिक्कत आएगी, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया है।