
कर चोरी की आशंका में आयकर विभाग ने देश के दिग्गज इस्पात और स्टेनलेस स्टील बनाने वाली कंपनी रिमझिम इस्पात के देश भर में स्थित 30 से अधिक प्रतिष्ठानों पर छापा मारा। कंपनी के मालिक योगेश अग्रवाल के कानपुर स्थित आवास, कारपोरेट कार्यालय, उन्नाव और हमीरपुर की फैक्ट्रियों पर गुरुवार को कार्यवाही की गई। इसी तरह नोएडा, गाजियाबाद, पीलीभीत में भी टीमों ने जांच की।
रिमझिम इस्पात समूह की चार अन्य कंपनियों के प्रतिष्ठानों और उनसे जुड़े दो दर्जन से अधिक कारोबारियों के यहां भी जांच की गई है। प्रारम्भिक जांच में बड़े पैमाने पर कर चोरी के दस्तावेज़ मिले हैं। एक दर्जन से ज्यादा बोगस कंपनियाँ मिली है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं की गई है। टीम ने दस्तावेजों के साथ लैपटॉप, मोबाइल जब्त किए हैं।
आयकर विभाग के 100 से ज्यादा अफसरों की टीमें देर रात तक पड़ताल करती रहीं। टीमों ने कंपनी मालिक के तिलक नगर स्थित आवास, आज़ाद नगर स्थित कार्पोरेट कार्यालय, फजलगंज के मेंटिनेस डिपो, उन्नाव और हमीरपुर के भरुवा सुमेरपुर स्थित फैक्ट्रियों पर एकसाथ कार्यवाही की।
कई बार सुर्खियों में आ चुके हैं योगेश अग्रवाल
रिमझिम इस्पात के मालिक योगेश अग्रवाल कई बार सुर्खियों में आ चुके हैं। चार साल पहले उन्होने एलएमएल को खरीदने के लिए 243 करोड़ की सबसे बड़ी बोली लगाई थी। हालांकि बात आगे नहीं बढ़ पाई थी। 10 लाख रुपए से खड़ी हुई थी कंपनी वर्ष 1983 की बात करें तो एलएमएल की गिनती देश की 10 टॉप कंपनियों में होती थी। कंपनी के वेस्पा स्कूटर को देश में सबसे लोकप्रिय ब्रांड का खिताब भी हासिल हुआ था। एलएमएल कंपनी को समझने के लिए इतिहास में झांकना जरूरी है। लोहिया मशीन्स लिमिटेड का अतीत बेहद गौरवशाली रहा है। एलएमएल के संस्थापक लोहिया परिवार की मूल जड़ें फरुखाबाद में हैं, जहां 1850 तेल का छोटा व्यापार शुरू किया था। आजादी के बाद हालात बदले तो ऋषभ लोहिया ने 1955 में कानपुर को अपना ठिकाना बना लिया। उद्योगों की नगरी में उन्होंने जितेन्द्र राइस एंड ऑयल मिल की नींव रखी। तकनीक की ओर रुझान के चलते 1963 में भाई के साथ लोहिया इंजीनियरिंग वक्र्स की बुनियाद रखकर कूलर के पम्प बनाना शुरू किया। कारोबार बढऩे पर फर्रुखाबाद की दौड़ कम हुई तो 1965 में पूरा लोहिया परिवार कानपुर में बस गया। कुछ वक्त बाद यानी 19 नवम्बर 1972 में लाला सोहन लाल सिंघानिया के साथ साझेदारी के चलते लोहिया मशीन्स का जन्म हुआ। इस कंपनी पर दोनों ने दस लाख रुपए की पूंजी लगाई थी।
तीन साल में छीनी थी बजाज की बादशाहत
एलएमएल स्कूटर के जरिए ऑटो मोबाइल बाजार में बजाज जैसे दिग्गज कारोबारी घराने की बादशाहत को चुनौती देने का माद्दा कानपुर की मिट्टी और पानी में खुली उद्यमिता की एक मिसाल है। स्टाइल, पिकप, कलर और स्पीड के दम पर एलएमएल देश की पहली ऐसी कंपनी थी, जिसने बजाज स्कूटर का अस्तित्व उस समय खतरे में डाल दिया था। फैक्ट्री में स्कूटर उत्पादन की इकाई लगाई गई। उस समय स्कूटर की दुनिया में बजाज का एकछत्र राज था। किस्मत और मेहनत ने साथ दिया और नए डिजायन और स्टाइल के एलएमएल स्कूटर देखते ही देखते देशभर में छा गए। 1983 में लोहिया मशीन्स का नाम शीर्ष 10 कंपनियों में शामिल हो गया। उसी साल एलएमएल को देश के सासे लोकप्रिय ब्रांड का दर्जा दिया गया। सफलता के चरम दौर में साझेदारों में विवाद हुआ। नतीजे में लोहिया मशीन्स लिमिटेड से लोहिया परिवार ने नाता तोड़ लिया।
सितंबर 2016 में सेंट्रल एक्साइज और डीजीजीआई ने कर चोरी के आरोप में देशव्यपी छापा मारा था। 23 अरब रुपए की कर चोरी के आरोप लगे थे। जब छापा पड़ा था तब योगेश विदेश में थे। देश में आते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। सूत्रों के अनुसार पिछले साल उन्नाव जिले में लोहा और स्टेनलेस स्टील प्लांट लगाने के लिए योगेश की कपनी ने ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के दौरान 2100 करोड़ रुपए का एमओयू किया था। उस समय इसे बड़ा निवेश बताया गया था। हालांकि निवेश अभी तक धरातल पर नहीं आ सका है।बताया गया उन्नाव में जो प्लांट लगाया गया है वह करीब 1000 करोड़ रुपए की लागत से बना है। इसमें बड़ी संख्या में कर्मचारी काम करते हैं। दस तरह के स्टेनलेस स्टील उत्पाद तैयार किए जाते हैं।