
उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम 2023 में जल्द शिक्षकों की सेवा सुरक्षा से जुड़ी शर्तें भी शामिल की जाएंगी। अधिनियम में इस कमी के चलते शिक्षकों की पदोन्नति न होने व उनके उत्पीड़न का मुद्दा उच्च सदन में प्रमुखता से उठा। नेता सदन व उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बजट सत्र समाप्त होने के बाद मामले को लेकर बैठक बुलाये जाने का भरोसा दिलाया। सभापति कुँवर मानवेन्द्र सिंह ने दो माह में इसका हल कराये जाने का निर्देश दिया।
शिक्षक दल के सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने इस मुद्दे को उठाकर सदन की कार्यवाही रोककर चर्चा कराये जाने की मांग की। कहा कि अधिनियम लागू होने पर यूपी माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 समाप्त हो गया था। जिसमें माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की पदोन्नति व सेवा शर्तों संबंधी धाराएं समाप्त हों गई है। शिक्षकों की सेवा शर्तों को आयोग के अधिकारों की सीमा से बाहर रखा गया है।
इससे माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों के सामने अपनी पदोन्नति व सेवा सुरक्षा की गंभीर परिस्थितियां उत्पन्न हो गई हैं। स्पष्ट व्यवस्था न होने से शिक्षक प्रबन्धक के शोषण व उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं। कई जिलों में प्रबन्धक मनमाने ढंग से शिक्षकों को निलंबित कर रहे हैं और उनकी सेवा भी समाप्त कर दी जा रही है। 11 अगस्त 2023 को विधान मण्डल के दोनों सदनों से अधिनियम पारित होने के बाद अब तक एक भी शिक्षक की पदोन्नति नहीं हुई है। भाजपा सदस्य देवेन्द्र प्रताप ने इसका समर्थन किया और अधिनियम में सेवा सुरक्षा का प्रावधान किए जाने की मांग की। उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि आयोग का गठन छह माह पूर्व हुआ है।