9 सितंबर, 2024 को, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जारी किए गए आदेश पर रोक लगा दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा जारी मेरिट सूची को रद्द करते हुए इसे दोबारा तैयार करने के निर्देश दिए थे, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अस्थायी रूप से रोक दिया है।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा शामिल थे, ने हाईकोर्ट के आदेश पर नोटिस जारी करते हुए मेरिट सूची को पुन: तैयार करने की प्रक्रिया पर रोक लगाई। कोर्ट ने कहा, “डिवीजन बेंच के निर्णय के तहत सूची को फिर से तैयार करने के आदेश को निलंबित किया जाता है।”
विवाद का केंद्र:
मामले में मुख्य प्रश्न यह था कि क्या आरक्षित वर्ग का कोई उम्मीदवार सामान्य श्रेणी में स्थानांतरित हो सकता है? हाईकोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार द्वारा 1 जून 2020 और 5 जनवरी 2022 को जारी की गई मेरिट सूची को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने आदेश दिया था कि उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विसेज रिजर्वेशन एक्ट, 1994 के तहत आरक्षण की प्रक्रिया मेरिट सूची के तैयार होने के समय लागू की जानी चाहिए, और जो आरक्षित श्रेणी का उम्मीदवार सामान्य श्रेणी के बराबर अंक प्राप्त करता है, उसे सामान्य श्रेणी में शामिल किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा (ATRE) में सामान्य श्रेणी के लिए 65 अंक और आरक्षित श्रेणी के लिए 60 अंक न्यूनतम अर्हक अंक निर्धारित किए गए थे। ऐसे में जो उम्मीदवार अनुसूचित जाति से हैं, वे दोनों सूचियों में शामिल हो रहे थे। 1 जनवरी 2019 की अधिसूचना के अनुसार, जो भी आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार 65 अंक या उससे अधिक प्राप्त करते थे, उन्हें केवल सामान्य श्रेणी में रखा जाता था, जबकि 65 से कम अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को आरक्षित श्रेणी में रखा जाता था।
आरक्षण के मुद्दे पर बहस:
मामले में यह भी सवाल उठाया गया कि ATRE केवल एक अर्हक परीक्षा है या चयन प्रक्रिया का हिस्सा है। यदि यह केवल अर्हक परीक्षा है, तो आरक्षण इसके आधार पर तय नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को अपने पक्ष में लिखित में तर्क प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जबकि अन्य पक्षों को भी अपने तर्क संक्षेप में प्रस्तुत करने के लिए कहा गया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का संक्षिप्त विवरण:
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि ATRE केवल अर्हक परीक्षा है और यह आरक्षण व चयन प्रक्रिया का हिस्सा नहीं है। अदालत ने कहा था कि मेरिट सूची ATRE के अंकों के साथ-साथ अन्य योग्यताओं के आधार पर तैयार की जानी चाहिए। अदालत ने कहा कि एक बार जब आरक्षित श्रेणी का उम्मीदवार सामान्य श्रेणी में स्थानांतरित हो जाता है, तो उसे फिर से आरक्षित श्रेणी में वापस नहीं जा सकता।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा जारी की गई पुरानी मेरिट सूची को रद्द कर दिया था और नए सिरे से मेरिट सूची तैयार करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को फिलहाल निलंबित कर दिया है, और मामले में अंतिम निर्णय आने तक पुरानी सूची प्रभावी रहेगी।
यह मामला उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण के लागू होने और मेरिट सूची की तैयारी को लेकर उठे कानूनी विवाद का हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगाते हुए मामले की गहराई से सुनवाई का निर्देश दिया है, जिससे आने वाले समय में इस मुद्दे पर स्पष्टता आएगी।