SC ने कहा- जाति, धर्म पर वोट मांगना अवैध, सबने इस फैसले को सराहा

देश की सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि जाति, समुदाय, धर्म और भाषा के आधार पर वोट मांगना अवैध है। सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने जन प्रतिनिध अधिनियम की धारा 123(3) के आधार पर तीन के मुकाबले चार मतों से यह आदेश दिया। असहमति जताने वालों में न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित रहे।
फैसले को धार्मिक समूहों ने सराहा
राजनीतिक पार्टियों द्वारा धर्म, जाति, समुदाय, नस्ल या भाषा के नाम पर वोट मांगने पर सर्वोच्च न्यायालय के रोक लगाने के सोमवार के फैसले का देश भर के तमाम धार्मिक संगठनों ने स्वागत किया है। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने कहा है कि जाति, समुदाय तथा धर्म के आधार पर राजनीति से देश का नुकसान हुआ है। वीएचपी के अंतर्राष्ट्रीय महासचिव सुरेंद्र जैन ने आईएएनएस से कहा, 'हम सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के स्वागत करते हैं।'
'वोट बैंक की राजनीति को आघात पहुंचा'
वीएचपी नेता ने कहा, 'इस फैसले से वोट बैंक की राजनीति पर आघात हुआ है। यह फैसला राष्ट्र निर्माण में मील का पत्थर साबित होगा।' मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद (जेएचआई) ने कहा कि धर्म इत्यादि के नाम पर वोट मांगने पर रोक को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। जेआईएच के महासचिव मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा, 'सर्वोच्च न्यायालय का फैसला हालांकि कोई नया नहीं है, क्योंकि मौजूदा कानून धर्म के नाम पर वोट मांगने पर रोक लगाता है। लेकिन, अब इस आदेश को पूरे उत्साह के साथ लागू किया जाना चाहिए।'
पार्टियों ने अदालती फैसले का स्वागत किया
इस पूरे फैसले पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता डी. राजा ने कहा, 'पूरे फैसले का अध्ययन किए जाने की जरूरत है।' राजा ने कहा, 'जन प्रतिनिधि अधिनियम में यह सब स्पष्ट रूप से कहा गया है कि धर्म और राजनीति को अलग रखा जाना चाहिए और किसी को भी राजनीतिक या चुनावी लाभ के लिए इनका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।'उन्होंने कहा, 'यह एक मजबूत संदेश है।' राजा ने कहा कि देखना होगा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और संघ परिवार के अन्य गुट और विभिन्न कट्टरपंथी संगठन शीर्ष न्यायालय के फैसले का पालन करेंगे या नहीं।
कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, 'राजनीति पर जाति और धार्मिक समीकरणों का जिस प्रकार प्रभुत्व हो गया है, उसके मद्देनजर शीर्ष न्यायालय के इस व्यावहारिक संदेश का मैं स्वागत करती हूं। खासतौर पर कुछ पार्टियों ने इसे भारतीय राजनीति में आगे बढ़ने के लिए अपनी विचारधारा का हिस्सा बना लिया है।' कांग्रेस नेता ने कहा, 'इसे निरुत्साहित करना जरूरी है और मैं सर्वोच्च न्यायालय के इस कदम का स्वागत करती हूं।'
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता मनोज झा ने इस पर कहा, 'मुझे लगता है कि यह भारतीय राजनीति और सार्वजनिक जीवन के लिए मील के एक पत्थर के समान है।' झा ने साथ ही कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने 1990 में जब अपने फैसले में कहा था कि हिंदुत्व एक धर्म नहीं है, बल्कि जीवन जीने का तरीका है, तब एक विसंगति पैदा हो गई थी। राजद नेता ने साथ ही कहा कि जहां तक जाति का सवाल है तो यह एक अपरिभाषित क्षेत्र (ग्रे एरिया) है और इसे रेखांकित किया जाना जरूरी है।
राजद नेता ने साथ ही कहा, 'जातिवाद और असमानता की बात करना दो भिन्न बातें हैं, इसलिए मैं सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह करता हूं कि इस ग्रे एरिया पर भी विचार करे, नहीं तो भारी संसाधनों वाली राजनीतिक पार्टियां इसका इस्तेमाल ऐसी पार्टियों को हमेशा के लिए कानूनी दलदल में डालने के लिए कर सकती हैं।'
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