
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय सिलिंडर में गैस चोरी रोकने की नई रणनीति अपनाने जा रहा है। अप्रैल से कानपुर, लखनऊ, वाराणसी सहित सात शहरों में क्यूआर कोड वाले सिलिंडर की आपूर्ति शुरू होगी। इसे स्कैन करके सिलिंडर जारी होने, वजन सहित सभी जानकारी मिलेगी।
केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राक्रतिक गैस मंत्रालय की ओर से सभी कंपनियों को गैस सिलिंडर उपभोक्ताओं की शिकायत दूर करने का निर्देश दिया गया है। गैस उपभोक्ताओं की शिकायत रहती है कि वेंडर सिलिंडर में एक से दो किलो गैस निकाल लेते हैं। अभी तक ट्रेसिंग का एक अच्छा सिस्टम न हो पाने के कारण ये पता नहीं चल पाता है कि कौन लोग गैस की चोरी कर रहे है। अब गैस चोरी करने वाले लोगों को पकड़ने के लिए कंपनियां क्यूआर कोड का सिस्टम अपनाना शुरू करेंगी। उत्तर प्रदेश में घरेलू गैस सिलिंडर के कुल 4.61 करोड़ उपभोक्ता हैं जिनमें से 1.75 करोड़ उज्जवला योजना के लाभार्थी है। इन लाभार्थियों को सीधे इसका फायदा मिलेगा। भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन के कार्यकारी निदेशक सैय्यद अब्बास अख्तर ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ की कुछ एजेंसियों पर यह प्रयोग किया गया जो सफल है।
अब लखनऊ के साथ ही प्रदेश के वाराणसी, गोरखपुर, कानपुर, बरेली, मेरठ, आगरा में भी क्यूआर कोड वाले सिलिंडर की आपूर्ति कराई जाएगी। मार्च के बाद इस प्रोजेक्ट को विस्तार दिया जाएगा। उन्होने बताया कि भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने इसका नाम प्योर फार श्योर दिया है।
यह देश में अपनी तरह की पहली सेवा है। क्यूआरकोड को स्कैन करने पर ग्राहकों को एक सिग्नेचर ट्यून के साथ एक विशिष्ट प्योर फार श्योर पाप अप दिखाई देगा। इस पाप-अप में सिलिंडर से जुड़ी सारी जानकारी मौजूद होगी। उदाहरण के लिए भरते समय सिलिंडर का कुल वजन कितना था, सील मार्क था या नहीं आदि। यदि सिलिंडर सील के साथ कोई छेड़-छाड़ होती है तो क्यूआर कोड स्कैन करने योग्य नहीं रह जाता है जिससे डिलिवरी रूक जाती है। उन्होने बताया कि अन्य राज्यों में भी क्यूआर कोड लागू किया जा रहा है। गैस आपूर्ति करने वाली विभिन्न कंपनियां इस दिशा में आगे बढ़ रही हैं।
क्यूआर सिस्टम से कैसे मिलेगा फायदा
हर सिलिंडर पर क्यूआर होगा उसे मोबाइल से स्कैन करने पर उपभोक्ता के पास पूरी डिटेल आ जाएगी। क्यूआर कोड के इस सिस्टम के आने के बाद गैस की ट्रेकिंग करना काफी आसान है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति गैस की चोरी करता है तो इस स्थिति में क्यूआर कोड के जरिये उसकी ट्रेसिंग आसानी से की जा सकेगी। पहले ये पता करना काफी मुश्किल होता था कि डीलर ने गैस को कहां से निकाला है।