कस्तूरबा विद्यालय के शिक्षकों ने कहा- हमारा जेंडर बदल दीजिए पर नौकरी से न निकालें

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग (Basic Education Department) में इस समय सब ‘ऑल इज वेल’ है, ऐसा नहीं कहा जा सकता है। यहां पर बजट का अभाव कहे या फिर अफसरों की तानाशाही कहे, जिसकी वजह से विभाग के सैकड़ों शिक्षकों को एक ही झटके में बाहर निकाल दिया गया है। उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग के महानिदेशक (The Director-General of the Basic Education Department) ने वर्षों से कस्तूरबा विद्यालयों में पढ़ा रहे अंशकालिक पुरुष शिक्षकों (Part Time Teachers) को बाहर निकालने का फरमान जारी कर दिया है। महानिदेशक के इस आदेश के बाद प्रदेश के सैकड़ों शिक्षक (Part Time Teachers) बेरोजगार हो गए हैं। ऐसे में इन शिक्षकों ने सरकार और विभाग के अधिकारियों से कहा है कि साहेब! हमारा जेंडर चेंज करा दीजिए पर हम लोगों को विभाग (Basic Education Department) से बाहर मत निकालिए।

सैकड़ों शिक्षकों (Part Time Teachers) ने विभाग के अफसरों को इस संबंध में पत्र भेजकर सरकार से फिर विभाग  में बुलाए जाने की अपील की है। बता दें, राज्य परियोजना निदेशक के इस तुगलकी फरमान से प्रदेश के कस्तूरबा विद्यालयों (KGBV) में 15 वर्षों से पढ़ा रहे अंशकालीन शिक्षकों (Part Time Teachers) को हटा दिया जाएगा। महानिदेशक के इस आदेश से प्रदेश के शिक्षकों (Part Time Teachers) के सामने अब इस बुढ़ापे में रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है। महानिदेशक के इस आदेश से मची हलचल से कस्तूरबा विद्यालय (KGBV) के शिक्षक संघ ने सीएम से लेकर मुख्य सचिव तक से फिर से ज्वाइनिंग कराए जाने का निवेदन किया है। शिक्षा विभाग में इस समय मची हलचल में एक शिक्षक की हार्ट अटैक से मौत भी हो गई है।

हम लोगों के साथ हो रहा अन्याय: दुबे

कस्तूरबा विद्यालय में वर्षों से पढ़ा रहे शिक्षकों को हटाने का आदेश जारी कर दिया गया है जबकि यह शिक्षक वर्षों से विभाग में पढ़ा रहे थे। इन शिक्षकों की नियुक्ति आरटीई एक्ट तक ही पढ़ा रहे थे। इस संबंध में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय शिक्षक संघ एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी संगठन (KGBV) के प्रदेश अध्यक्ष देशदीपक दुबे ने बताया कि विभाग महनिदेशक के इस आदेश से उत्तर प्रदेश के 746 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका स्कूल (KGBV) में वर्षों से पढ़ा रहे अंशकालीन शिक्षक (Part Time Teachers) बेरोजगार हो गए हैं। 

उन्होंने बताया कि हम लोगों ने अपनी जिंदगी के करीब 15 साल विभाग को दिए हैं, अब बुढ़ापे में विभाग की तरफ से हटाकर सिर्फ अन्याय किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विभाग (Basic Education Department)  के अधिकारियों से लेकर राष्ट्रपति, प्रदेश के मुखिया और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को भी अवगत कराया गया है, लेकिन अभी तक हम लोगों की कहीं पर कोई सुध नहीं ली गई है। उन्होंने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि आप हमारा जेंडर ही बदलावा दीजिए, लेकिन हम लोगों को नौकरी से मत निकालिए। उन्होंने कहा कि महानिदेशक हम लोगों से संवैधानिक हक भी छिन रहे हैं जबकि हम लोगों की संवैधानिक तरीके से सही है। उन्होंने सीधे-सीधे लिंग भेद का आरोप लगाया है।

14 जुलाई को हटाने का दिया आदेश

उत्तर प्रदेश की बेसिक शिक्षा व्यवस्था (Basic Education Department) को सुधारने की कमान संभालने वाले आईएएस अफसर (The Director-General of the Basic Education Department) एक के बाद एक करके तुगलकी फरमान जारी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के महानिदेशक (The Director-General of the Basic Education Department) ने 14 जुलाई को आदेश जारी करके हम अंशकालिक पुरूष शिक्षकों को हटाने का फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि विभाग (Basic Education Department) ने कस्तूरबा विद्यालयों में पूर्णकालिक शिक्षक के तौर पर पढ़ाने वाली शिक्षिकाओं को अब अंशकालिक (Part Time Teachers) करने का आदेश जारी किया है। उन्होंने कहा कि इस तरह से अंशकालिक शिक्षक (Part Time Teachers) के रूप में 9800 रुपये वेतन पा रहे शिक्षक बेरोजगार हो गए हैं, तो वहीं पूर्णकालिक शिक्षक रूप में 22 हजार रुपये वेतन पा रही शिक्षिकाओं की संविदा अंशकालिक (Part Time Teachers) कर दिया गया है। 

उन्होंने कहा कि अब इन शिक्षिकाओं की नियुक्ति या संविदा अंशकालिक शिक्षिका (Part Time Teachers) के तौर पर की जा रही है। सरकारी आदेश के अनुसार स्कूलों में वर्षों से पूर्णकालिक के रूप में कार्यरत खेल व शारीरिक शिक्षा, गृहशिल्प, कम्प्यूटर, व संगीत, कला/क्राफ्ट पढ़ाने वाले शिक्षिकाओं का अब अंशकालिक (Part Time Teachers) के रूप में संविदा की जाएगी। उन्होंने बताया कि हम लोगों के साथ में इस तरह का अन्याय किया जा रहा है। बता दें, प्रदेश में 2004-05 से संचालित हो रहे हैं। इस संबंध में प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि स्कूलों में हम लोग वर्षों से पढ़ा रहे हैं। हम लोगों की नियुक्ति नियमों के हिसाब से और चयन समित के द्वारा की गई है, लेकिन अब हम लोगों को हटाया जाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

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