यूपी में 1 जनवरी तक राजकीय शोक घोषित

देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने सात दिन के राजकीय शोक का आदेश जारी किया है। इस दौरान 26 दिसंबर से लेकर एक जनवरी तक राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। राज्य सरकार की ओर से कोई भी मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे। इससे पहले कल ही केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शोक की घोषणा कर दी थी आज राज्य सरकार ने भी छह दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा कर दी है।

बतादें पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में दिल्ली के एम्स में गुरुवार रात 9.50 पर निधन हो गया था। दिवंगत मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे।

मनमोहन सिंह का राजनीतिक सफर

मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविध्यालय में शिक्षक के तौर पर अपना कैरियर शुरू किया। बाद में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत रहे। वह वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और रिजर्व बैंक के गवर्नर भी रहे। अर्थशास्त्री से राजनेता बने मनमोहन सिंह 1991 में असम से राज्यसभा के लिए चुने गए। नरसिंह राव ने जिस समय उन्हें वित्त मंत्री की ज़िम्मेदारी सौंपी थी उस समय वह संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे।

1991 से 1996 तक नरसिंह राव सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए उन्होने तमाम आर्थिक सुधार किए। वे लगातार पांच बार राज्यसभा सदस्य रहे। राजीव गांधी के शासन काल में मनमोहन सिंह को योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इस पद पर वह पांच वर्ष तक रहे। पंजाब विश्वविध्यालय से उन्होने स्नातक तथा स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। बाद में वह कैम्ब्रिज विस्वविध्यालय गए जहां से उन्होने पीएचडी की। इसके बाद उन्होने आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से डीफिल भी किया। डॉ सिंह ने अर्थशास्त्र के अध्यापक के तौर पर काफी ख्याति अर्जित की। वह पंजाब विश्वविध्यालय और बाद में प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकनामिक्स में प्राध्यापक रहे।

भारत के आर्थिक इतिहास में महत्वपूर्ण मोड तब आया जब वह 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री रहे। वह संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन सचिवालय में सलाहकार रहे और 1987 तथा 990 में जेनेवा में साउथ कमीशन में सचिव भी रहे। 1985 में राजीव गांधी ने उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया था। 1990 में वह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बनाए गए। जब पीवी नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने तो उन्होने मनमोहन सिंह को 1991 में मंत्रीमण्डल में सम्मिलित करते हुए वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंप दिया।   

डॉ मनमोहन सिंह का जीवन

मनमोहन सिंह का जन्म अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में 26 सितंबर 1932 को हुआ था। वह एक महान अर्थशास्त्री थे। एक महान अर्थशास्त्री और साल 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रह चुके डॉ मनमोहन सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। वह असम से 1991 में राज्यसभा गए।

मनमोहन सिंह लगातार पांच बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। वह वित्त मंत्री से लेकर योजना आयोग का उपाध्यक्ष और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर भी रह चुके हैं। डॉ मनमोहन सिंह के परिवार में पत्नी गुरशरण कौर और तीन बेटियां हैं।

क्या होता है राजकीय शोक

जब देश में किसी बड़े नेता, कलाकार या किसी ऐसी शख्सियत की मौत हो जाती है, जिसने देश के सम्मान के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया है। उस स्थिति में राजकीय या राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाती है। केंद्र सरकार के 1997 के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि राजकीय शवयात्रा के दौरान कोई सार्वजनिक छुट्टी जरूरी नहीं है। नियमों के मुताबिक अनिवार्य सार्वजनिक छुट्टी को खत्म कर दिया गया है। अब सिर्फ पद पर रहते हुए राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री की मृत्यु होती है, तो छुट्टी होती है। लेकिन सरकार चाहे तो छुट्टी का ऐलान कर सकती है।

कौन घोषित करता है राजकीय शोक

देश में राजकीय शोक की घोषणा पहले सिर्फ केंद्र सरकार करती थी। लेकिन नियमों में बदलाव होने के बाद राज्य सरकार भी राजकीय शोक की घोषणा कर सकती है। हालांकि पहले ये घोषणा केवल केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति ही कर सकते थे। देश के सभी राज्य अब खुद तय कर सकते हैं कि किसे राजकीय सम्मान देना है। इतना ही नहीं कई बार राज्य और केंद्र सरकार अलग-अलग राजकीय शोक घोषित करते हैं।

झुका होता है राष्ट्रीय ध्वज

वहीं राजकीय शोक के दौरान फ्लैग कोड ऑफ इंडिया नियम के मुताबिक विधानसभा, सचिवालय समेत महत्वपूर्ण कार्यालयों में लगे राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहते हैं। इसके इसके अलावा प्रदेश में कोई औपचारिक एवं सरकारी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाता है। इस अवधि के दौरान समारोहों और आधिकारिक मनोरंजन पर भी प्रतिबंध रहता है। राष्ट्रीय शोक, राजकीय शोक का महत्वपूर्ण पहलू राजकीय सम्मान से अंत्येष्टि भी है।

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