प्रदेश को बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की कोशिशे योगी सरकार ने शुरू कर दी है। किसानों को प्रदेश की कृषि जलवायु के अनूकूल उच्च क्वालिटी के बीज उपलब्ध कराने के लिए पांच सीड पार्क बनाने की योजना पर अमल शुरू कर दिया गया है। प्रदेश में तैयार होने वाले बीजों से उपज की क्वालिटी में भी सुधार होगा। फिलहाल प्रदेश की सभी प्रमुख फसलों के लिए करीब 50 प्रतिशत बीज दक्षिण भारत के राज्यों से आते हैं।
सरकार ने निजी क्षेत्र के सहयोग से बीज उत्पादन की व्यापक योजना तैयार की है। इसके तहत प्रदेश के 9 कृषि जलवायु क्षेत्र में होने वाली फसलों के मद्देनजर पांच बीज पार्क पीपीपी मॉडल पर बनाए जाएंगे। हर पार्क का न्यूनतम रकबा 200 हेक्टेयर होगा। कृषि विभाग के पास बुनियादी सुविधाओं के साथ ऐसे 6 फार्म उपलब्ध हैं। इनमें से 2 फार्म 200 हेक्टेयर, 2 फार्म 200 से 300 और 2 फार्म 400 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल के हैं। उल्लेखनीय है की कृषि योग्य भूमि का सर्वाधिक रकबा उत्तर प्रदेश का है।
यूपी खाद्यान और दूध के उत्पादन में देश में नंबर एक, फलों और फूलों के उत्पादन में दूसरे और तीसरे नंबर पर है। सबसे उर्वरक भूमि सर्वाधिक सिंचित रकबे के बावजूद प्रति हेक्टेयर प्रति उपज के मामले में यूपी पीछे है। इनकी एक वजह बीजों की क्वालिटी है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार गेहूं का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 26.75 क्विंटल है जबकि पंजाब का 40.35 क्विंटल। इसी तरह धान का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 37.35 क्विंटल है, जब की हरियाणा का 45.33 क्विंटल है। अन्य राज्यों की तुलना में चना और सरसों का उत्पादन भी कम है।
दूसरे राज्यों से मंगाने पड़ते हैं सालाना तीन हजार करोड़ के बीज
उत्तर प्रदेश को कुल उपयोग का करीब आधा बीज दूसरे राज्यों से लेना पड़ता है। इसके लिए सरकार को हर साल करीब तीन हजार करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं। सभी फसलों के हाईब्रीड तमिलनाडू और आंध्र प्रदेश से आते हैं। विभागीय आंकड़ों के अनुसार गेहूं के 22 प्रतिशत, धान के 51, मक्का के 74, जौ के 95, दलहन के 50 और तिलहन के करीब 52 प्रतिशत बीज दूसरे राज्यों से आते हैं। सीड पार्क की स्थापना से सालाना करीब तीन हजार करोड़ रुपए की बचत होगी और प्रदेश में निवेश भी आएगा।