'प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना' लॉन्च, पढ़िए योजना से जुड़ी सभी बातें

आगरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी की परिवर्तन यात्रा की रैली में 'प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना' का लॉन्च करते हुए कहा, 'जब तक देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष (2022 में) पूरे करेगा, हर परिवार के पास पानी के कनेक्शन, शौचालय की सुविधा, चौबीस घंटे एवं सातों दिन विद्युत की आपूर्ति समेत एक पक्का मकान होगा।'
आपको बता दें इसी साल मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण आवास योजना 'ग्रामीण' के क्रियान्वयन को अनुमति प्रदान कर दी है। इस योजना के तहत सभी बेघर और जीर्ण-शीर्ण घरों में रहने वाले लोगों को पक्का मकान बनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
81,975 रुपये खर्च होंगे
इस परियोजना के क्रियान्वयन हेतु 2016-17 से 2018-19 तक तीन वर्षों में 81,975 रुपये खर्च होंगे। यह प्रस्तावित किया गया है कि परियोजना के अंतर्गत वर्ष 2016-17 से 2018-19 के कालखंड में एक करोड़ घरों को पक्का बनाने के लिए मदद प्रदान की जाएगी। दिल्ली और चंडीगढ़ को छोड़ कर यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में पूरे भारत में क्रियान्वित की जाएगी। मकानों की क़ीमत केंद्र और राज्यों के बीच बांटी जाएगी।
इस योजना से जुड़ी विस्तृत जानकारी निम्न हैः-
a) प्रधानमंत्री आवास योजना की ग्रामीण आवास योजना- ग्रामीण का क्रियान्वयन।
b) ग्रामीण क्षेत्रों में एक करोड़ आवासों के निर्माण के लिए 2016-17 से 2018-19 तक तीन वर्षों में मदद प्रदान की जाएगी।
c) समतल क्षेत्रों में प्रति एकड़ 1,20,000 तक एवं पहाड़ी क्षेत्रों में 1,30,000 तक सहायता में बढ़ोतरी।
d) 21,975 करोड़ रुपए की अतिरिक्त वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) से की जाएगी।
e) लाभान्वितों की पहचान के लिए सामाजिक-आर्थिक-जातीय जनगणना- 2011 का उपयोग।
f) परियोजना के तहत लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी सहायता हेतु नेशनल टेकनिकल सपोर्ट एजेंसी का गठन।
क्रियान्वयन की रणनीति एवं लक्ष्यः-
• पूर्ण पारदर्शिता एवं निष्पक्ष्ता सुनिश्चित करते हुए लाभान्वितों की पहचान का कार्य सामाजिक-आर्थिक-जातीय जनगणना की सूचनाओं का प्रयोग कर किया जाएगा।
• पूर्व में सहायता प्राप्त लाभान्वितों एवं अन्य कारणों से अयोग्य लोगों की पहचान के लिए सूची ग्राम सभा को दी जाएगी। अंतिम सूची का प्रकाशन किया जाएगा।
• घरों के निर्माण की क़ीमत केंद्र एवं राज्य द्वारा समतल क्षेत्रों में 60:40 के अनुपात में तथा पहाड़ी/ उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों हेतु 90:10 के अनुपात में रखी जाएगी।
• लाभान्वितों की वार्षिक सूची की पहचान ग्राम सभा द्वारा सहभागिता पूर्वक की जाएगी। मूल सूची की प्राथमिकता में परिवर्तन के लिए ग्राम सभा को लिखित में न्यायसंगत ठहराना होगा।
• लाभान्वित के खाते में सीधे धनराशि स्थानांतरित की जाएगी।
• फोटोग्राफ एप के माध्यम से अपलोड किए जाएंगे, भुगतान की प्रगति को लाभान्वित एप के माध्यम से देख पाएंगे।
• लाभान्वित मनरेगा के अंतर्गत 90 दिनों के अकुशल श्रम का अधिकारी होगा, सर्वर से लिंक कर तकनीकी आधार पर इसको सुनिश्चित किया जाएगा।
• मकानों की संरचना ऐसी होगी जो क्षेत्रीय आधार पर उपयुक्त हों, मकानों की रचना में ऐसी खासियतें रखी जाएंगी जो उन्हें प्राकृतिक आपदाओं से बचा सकें।
• मिस्त्रियों की संख्या में कमी को देखते हुए उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की जाएगी।
• मकान बनाने में प्रयुक्त सामग्री की अतिरिक्त ज़रूरत को देखते हुए ईंटों के निर्माण हेतु सीमेंट या फ्लाई एश का मनरेगा के अंतर्गत कार्य किया जाएगा।
• लाभान्वित को 70,000 रुपए तक का ऋण लेने की सुविधा प्रदान की जाएगी।
• मकान का क्षेत्रफल मौजूदा 20 वर्ग मीटर से बढ़ाकर भोजन बनाने के स्वच्छ स्थान समेत 25 वर्ग मीटर तक किया जाएगा।
• परियोजना से जुड़े सभी लोगों के लिए गहन क्षमता सर्जक प्रक्रिया रखी जाएगी।
• ज़िला एवं ब्लॉक स्तर पर आवासों के निर्माण हेतु तकनीकी सुविधाएं प्रदान करने के लिए मदद मुहैया कराई जाएगी।
• आवासों के निर्माण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एवं केंद्र और राज्य सरकारों को तकनीकी मदद देने के लिए एक नेशनल टेकनीकल सपोर्ट एजेंसी का गठन किया जाएगा।
कब शुरू हुई इसकी तैयारी
मई 2014 को संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण में सरकार ने घोषणा की कि "जब तक देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष (2022 में) पूरे करेगा, हर परिवार के पास पानी के कनेक्शन, शौचालय की सुविधा, चौबीस घंटे एवं सातों दिन विद्युत की आपूर्ति समेत एक पक्का मकान होगा।" इसके बाद केंद्रीय वित्त मंत्री ने 2015-16 के वार्षिक बजट को पेश करते वक़्त सरकार की '2022 तक सबके लिए मकान के इरादे' की घोषणा की। ग्रामीण विकास विभाग द्वारा इस बाबत तैयार प्रस्ताव ग्रामीण आवास पर मौजूदा कार्यक्रम को जीर्ण-शीर्ण स्थिति में जी रहे प्रत्येक घरविहीन हेतु पक्का मकान बनाने के लिए पुनर्गठित करेगा। इसका शहरी हिस्सा पहले ही 25 जून 2015 को स्वीकृत हो चुका है एवं क्रियान्वित हो रहा है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित मौजूदा ग्रामीण आवास योजना (इंदिरा आवास योजना) के अंतर्गत ग़रीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले ग्रामीणों को रहने के लिए मकान हेतु समतल क्षेत्रों में 70,000 रुपए की एवं पहाड़ी/ असमतल क्षेत्रों में 75,000 रुपए की वित्तीय सहायता, इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान वाले जनपदों समेत, दी जाती है। योजना की शुरुआत से अब तक 1,05,815.80 करोड़ रुपए की लागत से 351 लाख आवासों का निर्माण हो चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों में नई योजना निर्मित मकानों की गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए आवास मुहैया करवाने के दृष्टिकोण से एक बड़ा संवर्द्धन होगी।
(PIB से साभार)
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
