
प्रदेश मेँ तेल व प्राक्रतिक गैस के भंडार होने की संभावना बढ़ गई है। बलिया और अलीगढ़ मेँ सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। ऐसे मेँ अब गंगा बेसिन से जुड़े इलाके मेँ नए सिरे से सर्वे की तैयारी है। अब पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के मिशन अन्वेषण के तहत इसका सर्वे ओएनजीसी के निर्देशन में शुरू होगा। प्रशासन के स्तर से हैदराबाद की कंपनी को पांच तहसीलों में कार्य करने के लिए संबंधित एसडीएम को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
ओएनजीसी के एक अधिकारी के अनुसार गंगा पंजाब बेसिन (यूपी-बिहार) में 2 डी भूकंपीय डेटा अधिग्रहण करने का कार्य हैदराबाद की अल्फाजियो (इंडिया) लिमिटेड को दिया गया है। शुरुआती प्रक्रिया में होने वाले सेसमिक सर्वे के जरिए जमीन के नीच खनिज तत्वों का पता लगाया जाएगा। टू डी सेसमिक सर्वे में एक स्थान पर 22 मीटर तक ड्रिलिंग की जाती है। इसके बाद डाइनामाइट डालकर विस्फोट किया जाता है। कम तीव्रता के झटके उत्पन्न करने के लिए शॉट होल में विस्फोटकों को सेट करना और उत्पादित ऊर्जा को रिकॉर्ड करना शामिल है।
ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ओएनजीसी) को भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण के दौरान बलिया और अलीगढ़ में तेल भंडार की संभावना दिखी है। हालांकि बलिया में अधिक संभावना दिख रही है। यहां के सागरपाली में करीब आठ एकड़ जमीन लीज पर ली गई है। सरकार से पेट्रोलियम अन्वेषण लाइसेंस मिलने के बाद खोदाई शुरू की गई है। इसमें प्रथमदृष्टया सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं। इसलिए अब गंगा बेसिन के बलिया से लेकर मिर्जापुर होते हुए फाफामऊ तक नए सिरे से सर्वे कराने की तैयारी है।
पेट्रोलियम क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि खोदाई में जिस तरह के सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं, उससे उम्मीद है कि तेल भंडार के साथ ही प्राकृतिक गैस व अन्य तत्वों के भंडार भी मिल सकते हैं। चूंकि इस तरह की परियोजनाओं में करोड़ों रुपये खर्च होने के साथ ही वक्त लगता है। इसलिए खोदाई के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।
लगातार चलता रहेगा शोध कार्य
बलिया व अलीगढ़ में खोदाई के साथ ही अनुसंधान कार्य भी निरंतर चलता रहेगा। दोनों स्थानों पर भू वैज्ञानिकों की टीम कार्य करेगी। बलिया के सागरपाली गांव में करीब तीन हजार मीटर गहरे कुएं की खोदाई शुरू हो गई है। वहीं, अलीगढ़ के अतरौली क्षेत्र के भवीगढ़ में भी ड्रिलिंग शुरू की गई है। ओएनजीसी के एक अधिकारी ने बताया कि खोदाई के दौरान सुरक्षा मानकों का ध्यान रखना होता है। नीचे से निकलने वाली गैस से कार्य करने वाले लोगों को बचाने की भी जिम्मेदारी होती है। इसलिए यह कार्य की धीमी गति से चलता है। वहीं, भूकंपीय तरंगों के दबाव का आकलन करने के साथ ही कैमरे से खोदाई के दौरान तस्वीरें भी ली जाती हैं।