नक्सलियों की फंडिंग पर रोक लगाने की तैयारी में मोदी सरकार

सुकमा में हुए नक्सलियों हमले के बाद चौतरफा आलोचना झेल रही मोदी सरकार अब हरकत में आ गई है। सरकार ने नक्सलियों को आर्थिक रूप चोट पहुंचाने के लिए कमर कस ली है।
नक्सलियों की कमाई का मुख्य स्रोत गैरकानूनी खनन, अफीम की खेती और फिरौती है। सरकार विभिन्न विभागों और एजेंसियों से चर्चा करने के बाद इस फंडिंग को रोकने के सभी तरीकों को लागू कर सकती है। सरकार को पता चला है कि पिछले कुछ सालों में तीन राज्यों में माओवाद प्रभावित इलाकों से 3.72 लाख अवैध खनन के मामले सामने आ चुके हैं। इसके साथ ही, विस्फोटकों की चोरी की घटनाओं पर भी सरकार काफी चिंतित है।
8 को हाईपावर मीटिंग करेंगे राजनाथ
जानकारी के मुताबिक आगामी 8 मई को इस संबंध में गृह मंत्री राजनाथ सिंह एक उच्च स्तरीय बैठक करेंगे जिसमें माओवादी हमले रोकने के लिए सभी सिफारिशों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। सूत्रों ने बताया, 'विस्फोटकों और पेट्रोलियम पदार्थों की छिट-पुट चोरियां भी बड़े हमलों में सहायक हो सकती हैं इसलिए हमने राज्यों के विभिन्न विभागों से कहा है कि इस तरह की चोरियों पर लगाम लगाने का विशेष प्रयास करें और जहां भी विस्फोटकों का इस्तेमाल किया जाता है वहां निगरानी और सख्त करें।' सरकार की नजर छत्तीसगढ़, झारखंड और तेलंगाना के उन इलाकों पर भी है जहां गैरकानूनी तौर पर अफीम की खेती की जाती है। माओवादी ड्रग नेटवर्क के जरिए भी पैसा उगा रहे हैं।
सुरक्षा एजेंसियों को सख्त निर्देश
बता दें कि मंत्रालय ने पहले ही सुरक्षा एजेंसियों को यह निर्देश दिए हैं कि वह माओवादियों के खिलाफ किए जा अभियानों में स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रसीजर का पालन करें ताकि माओवादी किसी भी तरह की घटना को अंजाम देने में सफल न हो सकें।
अधिकारी ने बताया, 'सरकार माओवादियों की कमर तोड़ने के लिए काफी गंभीर है और इसलिए उनकी फंडिंग पर रोक लगाने के लिए सभी संभव उपाय किए जाएंगे ताकि आगे सुकमा जैसी घटनाएं न हों। गौरतलब है कि 24 अप्रैल को सुकमा में माओवादियों द्वारा किए गए हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए थे।
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