
संपत्ति में महिलाओं का अधिकार बढ़ाने के लिए राज्य सरकार बड़ा तोहफा देने की तैयारी कर रही है। एक करोड़ रुपए तक की प्रापर्टी की रजिस्ट्री महिला के नाम करने पर एक फीसदी स्टांप छूट मिलेगी। ये सीमा अभी 10 लाख रुपए तक की प्रापर्टी पर है। इससे महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदने वालों की संख्या में वृद्धि होगी। महिलाओं के हाथों में संपत्ति का अधिकार आने के बाद उनकी परिवार में निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ेगी। इस प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट में पेश किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश सरकार के स्टाम्प-न्यायालय शुल्क पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल ने इस संबंध में अहम जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव पर उच्च स्तर पर सहमति बन चुकी है। जल्द ही इसे कैबिनेट से पास कराने की तैयारी है। इस फैसले से महिलाओं को अधिकतम 1 लाख रुपये तक की बचत हो सकेगी। उनके नाम पर संपत्ति खरीदने को प्रोत्साहन मिलेगा।
वर्तमान प्रस्ताव के तहत कोई संपत्ति यदि एक करोड़ रुपए की है तो महिला के नाम रजिस्ट्री कराने पर 90 लाख पर 7 फीसदी स्टांप शुल्क व 10 लाख पर 6 फीसदी स्टांप शुल्क का प्रावधान है। यानि अधिकतम 10 हजार रुपए की छूट मिलती है। कैबिनेट से प्रस्ताव पास होने के बाद 1 करोड़ की संपत्ति की रजिस्ट्री कराने पर स्टांप शुल्क 7 फीसदी के स्थान पर 6 फीसदी लगेगा।
राज्य सरकार ने इससे पहले भी महिलाओं को संपत्ति हस्तांतरण में प्रोत्साहन देने के लिए गिफ्ट डीड योजना के तहत केवल 5000 रुपये में संपत्ति हस्तांतरण की सुविधा दी थी। इससे महिलाओं के नाम पर करीब 4 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति दर्ज की गई।
महिलाओं के संपत्ति खरीद पर छूट प्रस्ताव को 18 फरवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र से पहले कैबिनेट में रखा जा सकता है। यूपी सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट 20 फरवरी को पेश किया जाएगा। सरकार को उम्मीद है कि केंद्र सरकार से महिला कल्याण के बजटीय आवंटन में से इस छूट की भरपाई हो सकेगी।
योगी सरकार के इस फैसले को महिला सशक्तीकरण के बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है, जिससे राज्य में महिलाओं की संपत्ति स्वामित्व में वृद्धि होने की संभावना है। यह प्रदेश के सामाजिक ताने-बाने पर भी असर डालेगा।
अब रेंट एग्रीमेंट की भी होगी रजिस्ट्री
संपत्ति की सुरक्षा के लिए रेंट एग्रीमेंट की रजिस्ट्री को प्रोत्साहित करने के लिए स्टांप शुल्क बेहद कम किया जाएगा। एक वर्ष से अधिक के रेंट एग्रीमेंट पर न्यूनतम स्टांप शुल्क 500 रुपए से अधिकतम 20 हजार रुपये तक होगा।
इसी के साथ रजिस्टर्ड एग्रीमेंट में लिखी शर्तें ही कानूनी रूप से मान्य होंगी, जिन पर कोर्ट में दावा किया जा सकेगा। इससे जुड़ा प्रस्ताव जल्द कैबिनेट में पेश किया जाएगा। स्टाम्प एवं पंजीयन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने कहा कि इससे मकान मालिक और किरायेदारी से जुड़े विवादों में भी कमी आएगी। वर्तमान में किराये और अवधि के हिसाब से स्टाम्प शुल्क तय होता है। किरायेनामे को पंजीकृत कराने से मकान मालिक और किरायेदार दोनों का हित सुरक्षित रहेगा। पंजीकरण कराने के बाद एग्रीमेंट में लिखी शर्तों की ही कानूनी मान्यता होगी।