लोकसभा में पास हुआ बिल, अब प्राइवेट कर्मचारियों को मिलेगी 20 लाख तक टैक्स फ्री ग्रेच्युटी

लोकसभा ने गुरुवार को दो अहम बिल को मंजूरी दे दी। ये बिल पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी अमेंडमेंट बिल और स्पेसिफिक रिलीफ अमेंडमेंट बिल हैं। लोकसभा में ये दोनों बिल बिना बहस के पास हो गए। विपक्षी सदस्यों ने इन बिलों पर बहस और मत विभाजन की मांग की थी लेकिन, विपक्ष के हंगामे के बीच बिल को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
मौजूदा समय में 10 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी पर किसी भी तरह का टैक्स नहीं देना होता है। ग्रेच्युटी संगठित क्षेत्र के उन कर्मचारियों को मिलती है, जो किसी कंपनी में 5 साल या उससे ज्यादा समय के लिए अपनी सेवा देते हैं, उन्हें ग्रेच्युटी नौकरी छोड़ने पर या फिर सेवानिवृत्ति के समय पर दी जाती है।
क्या है ग्रेच्युटी
ग्रेच्युटी भुगतान विधायक, 1972 को फैक्ट्री, खदानों, बंदरगाहों समेत अन्य कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए लागू किया गया था। यह कानून उन पर लागू होता है, जिस कंपनी में कम से कम 10 कर्मचारी हों। इसके साथ ही कर्मचारी ने 5 साल या उससे ज्यादा समय के लिए यहां काम किया हो। ग्रेच्युटी दरअसल कर्मचारी की कंपनी के लिए लंबी सेवा की सराहना करने का एक जरिया है।
इससे पहले ग्रेच्युटी की टैक्स फ्री सीमा 2010 में तय की गई थी। तब से लेकर अब तक इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है लेकिन लोकसभा में इस बिल के पास होने के बाद टैक्स फ्री ग्रेच्युटी का 20 लाख रुपये होने का रास्ता साफ हो गया है। ट्रेड यूनियंस काफी लंबे समय से प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए करने की मांग कर रही थीं।
आरएसपी सदस्य एनके प्रेमचंद्रन और कांग्रेस के दस्य अधीर रंजन चौधरी ने कटौती प्रस्ताव पेश किया, लेकिन उनका प्रस्ताव ध्वनि मत से खारिज हो गया और सरकार की ओर से पेश किए गए अमेंडमेंट को मंजूर कर लिया गया।
बिल पास होने से अब सरकार तय कर सकेगी कि किसी कर्मचारी को अधिकतर कितनी मैटरनिटी लीव दी जा सकती है। 1991 एक्ट के तहत अधिकतम मैटरनिटी लीव को मैटरनिटी बेनेफिट अमेंडमेंट एक्ट 2017 के जरिए 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह तक कर दिया गया था। अब यह बिल केंद्र सरकार को यह अधिकार देता है कि वह अधिकतम मैटरनिटी लीव की संख्या तय कर सके।
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