
राजकीय व अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक स्कूलों के आकस्मिक निरीक्षण में लापरवाही बरतने और मुआयना न करने पर माध्यमिक शिक्षा विभाग ने 8 मंडलों के संयुक्त शिक्षा निदेशकों, 11 उप शिक्षा निदेशक व 44 जिलों के जिला निरीक्षकों व छह डीआईओएस द्वितीय को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया गया है।
शिक्षा विभाग के अनुसार, इन अधिकारियों पर विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में लापरवाही बरतने के आरोप हैं। साथ ही, स्कूलों का निरीक्षण न करना, शिक्षकों की गैरहाजिरी पर नियंत्रण न रखना और विभागीय निर्देशों की अनदेखी करना जैसे मामले सामने आए हैं। इन सभी मामलों की जांच के बाद अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है।
इस कार्रवाई के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। अधिकारियों को नोटिस में उनसे जवाब मांगा गया है कि उन्होंने अपने कर्तव्यों का निर्वहन क्यों नहीं किया। यदि उनका जवाब संतोषजनक नहीं होता है, तो उनके खिलाफ और कठोर कार्रवाई की जा सकती है।
शिक्षा विभाग का बयान
शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमारा उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाना है। जो अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह नोटिस उन्हें सचेत करने के लिए जारी किए गए हैं।”
अधिकारियों पर दबाव
इस कार्रवाई के बाद अब अधिकारियों पर अपने कर्तव्यों को गंभीरता से निभाने का दबाव बढ़ गया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, अब स्कूलों का निरीक्षण और शिक्षकों की उपस्थिति पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। साथ ही, विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी भी तेज कर दी गई है।
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि अधिकारी अपने जवाब में संतोषजनक तर्क नहीं दे पाते हैं, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, भविष्य में भी लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा। यूपी शिक्षा विभाग की यह कार्रवाई शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इससे अधिकारियों और कर्मचारियों में अनुशासन बढ़ने की उम्मीद है, जिसका सीधा फायदा छात्रों और शिक्षा व्यवस्था को मिलेगा।