पर्यटन स्थलों पर बनाए जाएंगें नो सेल्फी जोन, जानिए इसके पीछे का कारण

लगातार बढ़ता सेल्फी क्रेज कई बार जान का दुश्मन भी बन बैठता है। आए दिन खबरें आती हैं कि सेल्फी लेते दौरान हादसा हुआ। इसको संज्ञान में लेते हुए केंद्र ने राज्य सरकारों से उन पर्यटन स्थलों को चिह्नित करने को कहा हैं जहां सेल्फी लेने के दौरान अक्सर हादसे हो जाते हैं।
लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने मंगलवार को कहा कि पर्यटकों के लिए सुरक्षा के उपाय मुख्य रूप से राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है। इन उपायों में किसी भी अवांछित घटना से बचने के लिए लोकप्रिय पर्यटन स्थलों पर ‘नो सेल्फी जोन’ घोषित करना शामिल है। समय-समय पर सेल्फी लेने के दौरान हादसों की खबरें आती रहती हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘पर्यटन मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी है कि वे पर्यटन स्थल पर सेल्फी लेने वाले पर्यटकों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएं।’ केंद्र की तरफ से जारी एडवाइजरी में दुर्घटना संभावित पर्यटन स्थलों की पहचान, साइन बोर्ड लगाना, सेल्फी लेने के दौरान खतरे की चेतावनी आदि शामिल हैं।
आपको बता दें कि रूस दुनिया का पहले ऐसा देश है जिसने 'सेफ सेल्फी कैंपेन' चलाया था। इस कैंपेन का उद्देश्य युवाओं को खतरनाक परिस्थितियों और स्थान पर सेल्फी लेते वक्त सावधान करना था। यहां सेल्फी के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा था। इस कैंपेन के जरिये युवाओं को जागरूक किया गया कि वह खतरनाक स्थितियों में सेल्फी लेने से पहले कम से कम दो बार सोचें। रूस में यह कदम कई घटनाओं के बाद उठाया गया। सेल्फी की वजह से कई लोग घायल हुए और कुछ की मौत भी हुई। इस कैंपेन का सिद्धांत था कि 'सोशल मीडिया पर मिलने वाले लाखों लाइक्स आपकी जिंदगी और स्वास्थ्य के लिए काफी नहीं है।' साथ ही इस बुकलेट में ये भी कहा गया है कि सेल्फी पूरी सावधानी के साथ लें, ताकि आपकी वह आपकी आखिरी सेल्फी साबित न हो।
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