दिल दा मामला है! मोदी सरकार ने की इसके इलाज के खर्चों में 85% की कमी

दिल के मरीजों के लिए एक खुशखबरी आई है। भारत सरकार ने दिल के मरीजों को बड़ी राहत देते हुए कॉरनरी स्टेंट की कीमतों में 85 फीसदी तक की कमी की है। अब इसके हिसाब से मेटल के स्टेंट 7,260 रुपये में और ड्रग इल्यूट स्टेंट की कीमत 29,600 रुपये होगी।
जनता के हित में फैसला
नेशनल फार्मासूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने एक नोटिफिकेशन जारी कर इस बात की जानकारी दी कि जनता के हित में यह फैसला लिया गया है जिसके तहत स्टेंट की कीमतें सरकार ने तय कर दी है। मौजूदा समय में स्टेंट की कीमत 25 हजार रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक है। NPPA पर मौजूद डेटा के मुताबिक हॉस्पिटल्स स्टेंट में सबसे ज्यादा मुनाफा कमाते हैं जिसमें उनका मार्जिन करीब 654 प्रतिशत तक होता है।
क्या है स्टेंट?
आपको बता दें, दिल की बीमारी में बंद रक्त धमनियों को खोले जाने के लिए उपयोग में आने वाली प्रकिया को स्टेंट कहते हैं। स्टेंट का काम किसी मरीज की धमनी को चालू रखने के लिए किया जाता है। जिस धमनी में रुकावट होती है, उसे स्टेंट डालकर खोला जाता है जिससे खून का बहाव बिना रुकावट चलता रहता है। इसकी सबसे ज्यादा जरूरत बाईपास सर्जरी और किडनी से जुड़ी समस्याओं में पड़ती है।
बायोडिग्रेडेबल स्टेंट, लेटेस्ट टेक्नॉलजी का स्टेंट है। यह एक ऐसे पदार्थ से बना होता है जो समय के साथ धीरे-धीरे खत्म हो जाता है और शरीर उसे सोख लेता है। फिलहाल इस स्टेंट की कीमत 1 लाख 80 हजार रुपये है।
इस वजह से फिक्स हुई कॉरनरी स्टेंट की कीमत
NPPA ने अपने इस फैसले के पीछे कुछ कारण भी बताए। इसके मुताबिक, यह देखा गया कि कॉरनरी स्टेंट के सप्लाई चेन में अलग-अलग स्टेज पर अनैतिक तरीके से कीमत बढ़ायी जा रही है। एनपीपीए का कहना है कि स्टेंट के मामले में अस्पताल सबसे ज्यादा मुनाफा कमाते हैं। इनसे 654 प्रतिशत तक का मुनाफा कमाया जाता है। डॉक्टरों और मरीजों के बीच जानकारी की विषमता होने की वजह से मरीजों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
इस तरह की परिस्थितियों को देखते हुए जनता के हित में यह बेहद जरूरी हो जाता है कि कॉरनरी स्टेंट की कीमत फिक्स कर दी जाए ताकि मरीजों को कुछ राहत मिल सके। सरकार ने कॉरनरी स्टेंट को जुलाई 2016 में आवश्यक दवाओं की नैशनल लिस्ट 2015 में शामिल किया जबकि दिसंबर 2016 में इसे ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर 2013 में शामिल किया गया।
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