अब कानपुर में बनेगी 'धनुष', जानिए क्यों खास है यह स्वदेशी तोप
थल सेना के लिए युद्ध के दौरान तोप एक बेहद कारगर हथियार रही है। इसका इस्तेमाल शत्रुओं को रोकने के लिए सैकड़ों साल से किया जा रहा है। भारत की सेना के पास भी तोपों का काफी बड़ा बेड़ा है। हालांकि अभी तक इस बेड़े में विदेशी तकनीक पर आधारित बोफोर्स तोप का बोलबाला था।
अब रक्षा मंत्रालय ने बोफोर्स तोपों की जगह पर इसे पूरी तरह से इस्तेमाल करने को हरी झंडी दे दी है। देश की कई फैक्ट्रियों को इसे बनाने के ऑर्डर मिल चुके हैं। धनुष इससे पहले कारगिल युद्ध के दौरान भी भारतीय सेना की मदद कर चुकी है। यह स्वदेशी आधुनिक तकनीक पर आधारित है। उत्तर प्रदेश के कानपुर की आयुध निर्माणी कानपुर (ओएफसी) और फील्ड गन फैक्ट्री को 114 तोपों का ऑर्डर मिला है। यह तोपें 2022-23 तक सेना को दे दी जाएंगीं।
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इन मामलों में बोफोर्स से है बेहतर
इस अत्याधुनिक तोप की बात करें तो इसकी मारक क्षमता 38 से 40 किलोमीटर की है। वहीं बोफोर्स की तोप की मारक क्षमता 25 से 28 किलोमीटर है। इसकी एक तोप की लागत 15 करोड़ रुपये है वहीं बोफोर्स तोप की लागत 30 से लेकर 50 करोड़ रुपये है जो धनुष से कई गुना महंगी पड़ती है।
बोफोर्स तोप जहां सेमी ऑटोमेटिक है, वहीं धनुष फुल्ली ऑटोमेटिक है। इसका वजन बोफोर्स की तोपों से काफी कम है। वहीं यह बेहद ठंड, गर्मी और बारिश के मौसम में भी अचूक निशान साधती है। बोफोर्स की तोपों के साथ समस्या है कि यह बेहद भारी हैं और तेज ठंड व गर्मी में निशाना चूकने की घटनाएं सामने आती रहती हैं।
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भारत में ही तैयार हुआ है सॉफ्टवेयर
धनुष तोप का कई मायनों में बोफोर्स तोपों से बेहतर हैं। इसका सॉफ्टवेयर भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड ने तैयार किया है। यह बोफोर्स तोप से करीब 10-15 किलोमीटर ज्यादा दूरी तक गोले फेंक सकती है। धनुष में 155 एमएम/ 45 कैलिबर की गन का प्रयोग किया गया है।
इसका बैरल बोफोर्स की तुलना में बड़ा है, जिसके चलते यह ज्यादा दूरी तक गोला फेंकने में सक्षम है। इसमें इनर्शियल नेवीगेशन आधारित साइटिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाता है। साथ ही ऑटो लेइंग व ऑनबोर्ड बैलिस्टिक गणना का भी फंक्शन है। यह दिन या रात दोनों समय दुश्मन के लक्ष्य को भेदने में पूरी तरह से सक्षम है।
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