'ठिकाना नहीं बल्कि घर' के तहत सरकार खाते में ट्रांसफर करेगी 1.5 लाख रुपये

नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा हुई रकम का इस्तेमाल सराकर प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत 'ठिकाना नहीं बल्कि घर' में लगाने की योजना बना रही है। केंद्र सरकार ने बताया कि इस रकम से अगले वित्त वर्ष में करीब 44 करोड़ लोगों को रहने के लिए छत, खाना बनाने के लिए एलपीजी और पानी के कनेक्शन दिए जाएंगे। इस योजना के तहत लाभार्थियों के खाते में 1.3 से 1.5 लाख रुपये जमा कराने की बात कही गई है।
क्या है 'ठिकाना नहीं बल्कि घर' योजना?
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत केंद्र सरकार मैदानी और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए घर देने की योजना बना रही है। केंद्र सरकार ने अपने इस लक्ष्य पर कहा कि इससे अगले वित्त वर्ष में 44 करोड़ लोगों को छत मिल सकेगी बल्कि उन्हें एलपीजी, बिजली और पानी के कनेक्शन भी उपलब्ध होंगे। ग्रामीण विकास सचिव अमरजीत सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत केंद्र मैदानी और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लाभार्थियों के खातों में रकम ट्रांसफर करेगी।
खाते में ट्रांसफर होगी 1.3 से 1.5 लाख रुपये की रकम
इस योजना के तहत सरकार लाभार्थियों के खाते में 1.30 लाख से 1.50 लाख रुपये स्थानांतरित करेगी। इसके अलावा सभी लाभार्थियों को शौचालय के निर्माण के लिए 12,000 रुपये अतिरिक्त उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही उन्हें मनरेगा के तहत अपने घर के निर्माण के लिए 90 दिन का रोजगार भी दिया जाएगा। यह राशि 18,000 रुपये बैठेगी। सरकार ने पहले कहा था कि अगले वित्तीय साल में 33 करोड़ लाभार्थियों को घर मिलेगा, इसे अब बढ़ाकर 44 करोड़ कर दिया गया है।
योजना पर एक नजर
1- प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत केंद्र सरकार मैदानी और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लाभार्थियों के खातों में सीधे क्रमश: 1.30 लाख और 1.50 लाख रुपए स्थानांतरित करेगी।
2- इसके अलावा सभी लाभार्थियों को शौचालय के निर्माण के लिए 12,000 रुपए अतिरिक्त उपलब्ध कराए जाएंगे।
3- मनरेगा के तहत अपने घर के निर्माण के लिए 90 दिन का रोजगार भी दिया जाएगा।
4- अगले साल के लिए लक्ष्य 33 लाख लाभार्थियों को घर देने का था, इसे अब बढ़ाकर 44 लाख कर दिया गया है।
5- प्रधानमंत्री की दिशा इस मामले में स्पष्ट है- लोगों को बेहतर जीवन मिलना चाहिए। उन्हें ठिकाना नहीं घर मिलना चाहिए।
6- सरकार का व्यापक लक्ष्य उन लोगों को घर देना है जो बेघर हैं। वहीं, कच्चे मकानों में रहने वालों को कंक्रीट का घर देना है।
7- केंद्र ने राज्यों से ऐसे लाभार्थियों को जमीन हस्तातंरण करने को कहा है जो बेघर हैं।
8- एक अनुमान के अनुसार इन मकानों का जिन लोगों के लिए निर्माण किया जा रहा है उनमें से 60 फीसदी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से हैं।
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