अब हर महीने बदल सकती है बिजली की दरें: उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग नियमों में करेगा संशोधन

उत्तर प्रदेश में बिजली की दरों में अब सालाना या तिमाही नहीं, बल्कि हर महीने बदलाव हो सकता है। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) बिजली कंपनियों को प्रत्येक माह स्वतः फ्यूल एंड पावर पर्चेज एडजस्टमेंट सरचार्ज (FPPCA) लागू करने का अधिकार देने की तैयारी कर रहा है। इस संदर्भ में मौजूदा नियमों में संशोधन के लिए आयोग ने 19 सितंबर को जन सुनवाई की घोषणा की है।

वर्तमान व्यवस्था में फ्यूल सरचार्ज का मुद्दा

अभी तक फ्यूल सरचार्ज तीन माह की अवधि के बाद तय किया जाता है, लेकिन इसे लागू करने से पहले बिजली कंपनियों को नियामक आयोग से मंजूरी लेनी पड़ती है। इस प्रक्रिया के दौरान कई बार प्रस्ताव लंबित रह जाते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को या तो राहत नहीं मिल पाती या फिर बिजली महंगी नहीं हो पाती। उदाहरणस्वरूप, एक साल पहले फ्यूल सरचार्ज की वजह से विभिन्न श्रेणियों की बिजली दरों में 18 से 69 पैसे प्रति यूनिट की कमी होनी थी, लेकिन इसे लागू न किए जाने से उपभोक्ता लाभ से वंचित रह गए।

इसी तरह वर्ष 2022-23 में उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन (UPPCL) ने बिजली की दरों में 61 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी का प्रस्ताव फ्यूल सरचार्ज के तहत दाखिल किया था, लेकिन इसे भी विभिन्न कारणों से मंजूरी नहीं मिल सकी।

केंद्र सरकार के नए नियमों के आधार पर बदलाव

केंद्र सरकार ने पहले ही फ्यूल सरचार्ज लागू करने के नियमों में बदलाव कर दिया है, जिसके अनुसार अब हर तीन महीने की बजाय हर महीने के हिसाब से उपभोक्ताओं पर यह सरचार्ज लागू किया जाएगा। इसी दिशा में उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग भी अपने नियमों में बदलाव करने जा रहा है। आयोग ने इस बदलाव के लिए जन सुनवाई की घोषणा की है, जो 19 सितंबर को आयोजित की जाएगी।

क्या हैं प्रस्तावित बदलाव?

नियामक आयोग द्वारा प्रस्तावित संशोधन के प्रारूप में यह साफ किया गया है कि बिजली कंपनियों को हर महीने स्वतः फ्यूल सरचार्ज लागू करने का अधिकार होगा। इसका मतलब है कि बिजली कंपनियों को अब फ्यूल सरचार्ज लागू करने के लिए आयोग की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। आयोग के संशोधित नियमों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद राज्य सरकार की गज़ट नोटिफिकेशन के साथ ये नियम लागू हो जाएंगे।

उपभोक्ताओं पर असर

नए नियम लागू होने के बाद उपभोक्ताओं को हर महीने बिजली की दरों में बदलाव का सामना करना पड़ सकता है। फ्यूल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के आधार पर बिजली सस्ती या महंगी हो सकती है। इससे उपभोक्ता या तो लाभान्वित हो सकते हैं या उन्हें अधिक खर्च करना पड़ सकता है, लेकिन इस प्रक्रिया से फ्यूल की कीमतों का असर बिजली दरों पर तेजी से दिखाई देगा।

बिजली की दरों में हर महीने होने वाले बदलाव उपभोक्ताओं को फ्यूल की कीमतों में आई कमी का लाभ जल्द पहुंचाने में मदद करेंगे। हालांकि, इससे बिजली की दरों में अस्थिरता भी आ सकती है, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक सतर्क रहना पड़ेगा।

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