उत्तर प्रदेश के गांवों की कोरोना से रक्षा कर रही निगरानी समितियां

उत्तर प्रदेश के गांवों में कोरोना रोकने में काफी कारगर निगरानी समिति रही है। निगरानी समितियां ने बेहतर कार्य करके जल्द ही उत्तर प्रदेश के गांवों को कोरोना संक्रमण से काफी हद तक बचा लिया है। समितियों के बेहतर काम करने की वजह से अब उत्तर प्रदेश के गांवों की हालत बदलने लगी है।
इस समय गांव-गांव कोरोना संक्रमण की पहचान कराने के लिए सरकार की तरफ से मेडिकल किट का वितरण किया जा रहा है। सरकार की तरफ से गांवों की निगरानी समिति को मेडिकल किट का वितरण किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में 05 मई से 97 हजार राजस्व गांवों में निगरानी समिति कोरोना संक्रमण की पहचान कर रही हैं। इस टीम की तरफ से गांवों में मेडिकल किट निःशुल्क बांटी जा रही है। निगरानी समितियों के द्वारा गांव में रहने वाले लोगों से सम्पर्क कर कोविड लक्षणों की जानकारी ली जा रही है।

कोविड लक्षण मिलने वाले लोगों का आरआरटी टीम द्वारा एंटीजन कोविड टेस्ट किया जा रहा है। यदि लक्षण हैं परन्तु एन्टीजन टेस्ट में निगेटिव आता है तो उनका आरटीपीसीआर टेस्ट भी किया जा रहा है। जो 1.50 लाख से अधिक आरटीपीसीआर के टेस्ट हुए हैं उनमें से आधे से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों के टेस्ट किये गये हैं। गाँव में संक्रमित लोगों को होम आइसोलेशन में रखने के लिए गांव में ही पंचायत भवन/स्कूल/सरकारी इमारतों में आइसोलेट करके उनका उपचार किया जा रहा है।
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सीएम योगी निगरानी समिति से पूछ रहे सवाल
उत्तर प्रदेश के गांवों में निगरानी समिति आखिर कैसे जांच कर रही है, इसकी हकीकत स्वयं मुख्यमंत्री ले रहे हैं। आज सीएम योगी आदित्यनाथ ने सिद्धार्थनगर और बस्ती के गांव में जाकर स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने गांवों में जाकर निगरानी समिति से पूछा कि आखिर कैसे करके आप लोग काम रहे हैं। जमीनी स्तर पर काम करने वाली आशा बहू से भी उन्होंने जानकारी ली। इसके अलावा निगरानी समिति के अध्यक्ष ग्राम प्रधान से भी सीएम योगी आदित्यनाथ हकीकत पूछ रहे हैं।
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