बुंदेलखंड में किसानों की झोली भरने की तैयारी, इस खेती को दिया जाएगा विस्तार

बुंदेलखंड क्षेत्र के किसानों के चेहरों पर मुस्कान लाने के लिए तथा उनकी आय बढ़ाने के लिए सरकार एक नई खेती को विस्तार देने जा रही है। सूखे जैसी गंभीर समस्या से निपटने के लिए यहां पर अब औषधीय खेती को विस्तार करके किसानों को संजीवनी देने जा रही है।
औषधीय खेती का प्रोजेक्ट फेल न होने पाए इसके लिए अब यहां पर पूरी तरह से केंद्रीय आयुष मंत्रालय की मदद से राज्य आयुष मिशन व जैव ऊर्जा विकास बोर्ड संयुक्त रूप से इस अभियान में जुटे हुए हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) किसानों के समूह का कंपनी एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन का खर्च वहन करेगा। साथ ही किसानों को प्रशिक्षण उपलब्ध कराने की व्यवस्था जैव ऊर्जा विकास बोर्ड के साथ मिलकर करेगा। इस प्रोजेक्ट को बुंदेलखंड समेत उत्तरप्रदेश के 15 जिलों में औषधीय खेती के व्यापक विस्तार का खाका तैयार किया गया है। जुलाई से बड़े पैमाने पर इसकी शुरुआत हो जाएगी।
मुनाफे का सौदा साबित होगी ये खेती
बुंदेलखंड क्षेत्र में खेती करना बहुत ही मुश्किल काम हो गया है। यहां पर परंपरागत फसलें लगातार घाटे का सौदा साबित हो रही हैं। लेकिन औषधीय खेती किसानों के लिए वरदान साबित होगी क्योंकि 48 डिग्री तापमान के बावजूद यह युक्ति काम करेगी। इसका हर स्तर पर सफल परीक्षण कर लिया गया है। अश्वगंधा, सर्पगंधा, सनाय (सोनामुखी), लेमन ग्रास, तुलसी व नीम के पौधे लगाए जाएंगे, जो सूखी जमीन, कम पानी और अधिक तापमान जैसे हालात में भी ये यह घाटे का सौदा साबित नहीं बल्कि मुनाफे की गारंटी साबित हुआ है। कम लागत, कम पानी, कम रखरखाव और भरपूर पैदावार तो होती ही है, जानवरों द्वारा फसल चट कर जाने की चिंता भी नहीं रहती। जानवर इन पौधों को नहीं चरते हैं। इस तरीके से ये खेती करने में किसानों को ज्यादा समस्या नहीं होगी।
किसानों को प्रशिक्षण देने की तैयारी
औषधीय खेती का प्रोजेक्ट फेल न हो पाए तथा किसानों को खेती करने में किसी प्रकार की तकनीकि दिक्कत न आए इन सब बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए किसानों को पूरी तरह से तैयार किया जा रहा है। जैव ऊर्जा विकास बोर्ड द्वारा जिलों में प्रशिक्षित किसानों की एक खेप पहले से तैयार की जा चुकी है। अब इन प्रशिक्षित समूहों के जरिये उनके क्षेत्र के अन्य किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। किसान के बीच जागरूकता भी बढ़ाई जा रही है। वे खुद भी जानकारी के लिए संपर्क कर रहे हैं। यही नहीं किसानों की फसल बिकने में कोई समस्या न आए इसके लिए बोर्ड ने किसानो की उपज को बाजार उपलब्ध कराने के लिए जिला स्तर पर व्यापारियों को साथ जोड़ रहा है। इनके साथ भी किसान समूहों के मुख्य सदस्यों से इनके साथ बैठकें भी आयोजित कराई जा रही हैं। खास करके जिन प्रशिक्षित किसानों ने शुरुआत कर दी है, उनकी उपज को आसानी से बाजार उपलब्ध हो रहा है।
प्रदेश के इन जनपदों में होगी शुरुआत
उत्तरप्रदेश के हिस्से में आने वाले बुंदेलखंड के चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर जिलों के अलावा मिर्जापुर, सहारनपुर, प्रतापगढ़, सीतापुर, उन्नाव, रायबरेली, फतेहपुर व कासगंज में पहले चरण की शुरुआत होगी। यहां पर यह प्रोजेक्ट सफल होने के बाद अन्य जनपदों में इसको विस्तार दिया जाएगा। सरकार की प्राथिमकता में बुंदेलखंड है इसलिए यहां पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
यहां पर मिल सकती है जानकारी
संबंधित जिलों के किसान विभाग की वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू. बायो-एनर्जी.यूपी. एनआइसी.इन, ईमेल सपोर्ट.बायोएनर्जी-यूपी एट एनआइसी.इन और हेल्पलाइन नंबर 0522- 2236213 पर संपर्क कर औषधीय खेती की इस योजना के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
औषधियों का ऐसे किया जाता है प्रयोग
आंवला
एंटीबायोटिक, ज्वर नाशक, मूत्रवर्धक, भूख बढ़ाने वाला, पेप्टिक अल्सर को रोकने व अपच दूर करने में उपयोगी है।
बेल
उत्तम पाचक, कब्ज, पेचिश, हैजा और पेट के रोगों के साथ- साथ सूखा पाउडर व टानिक के रूप में उपयोग किया जाता है।
एलोवेरा
सर्दी, संक्रमण, मुहांसे, शूल, मासिक धर्म, दाद, एलर्जी आदि बीमारियों को रोकने के साथ- साथ टानिक के रूप में प्रयोग होता हैै।
अश्वगंधा
केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार, मिरगी, अल्जाइमर, तनाव, रक्तचाप, कमजोरी, शुक्राणुओं की कमी, अनिद्रा, थकान आदि में कारगर है।
स्टीविया
मध्य पेरुग्वे का यह पौधा मधुमेह के रोगियों के लिए लाभदायक है। मोटापा से पीड़ित लोग भी इससे लाभान्वित होते हैं।
अशोक
अपच, रक्त विकार, मितली, ट्यूमर, पेट बढ़ना, पेट दर्द, बवासीर, अल्सर, अस्थि भ्रंश आदि में इसका उपयोग होता है।
नीम
रक्तशोधक, चर्मरोग, एंटीबायोटिक, नेत्र रोग, कुष्ठ रोग, मधुमेह, पेट के कीड़े, बुखार, मसूड़ों की बीमारी, हृदय रोग में उपयोगी है।
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