भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेनसनीति के तहत स्टांप एवं पंजीयन मंत्री रवीन्द्र जयसवाल ने मथुरा के पूरे रजिस्ट्री ऑफिस को निलंबित कर दिया है। आरोप था की लोगों को पंजीयन के बाद रजिस्ट्री की मूल डीड देने में जानबूझ का देरी की जा रही थी।
शिकायत पर जांच कमेटी का गठन किया गया था जिसकी रिपोर्ट के आधार पर बुधवार को उप निबंधक सहित तीन अधिकारी व कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया। भ्रष्टाचार के खिलाफ ये प्रदेश में अपनी तरह की पहली कार्यवाही है। तीन दिसंबर को वृन्दावन के साधुराम तौरनी ने फ्लैट की रजिस्ट्री के बाद मूल डीड एक दिन बाद देने पर स्टांप एवं पंजीयन मंत्री रवीन्द्र से फोन पर अधिकारियों ने शिकायत की थी।
नियमानुसार रजिस्ट्री के तत्काल बाद मूल डीड वापस करने का नियम है। मामले की प्रथिमिकी जांच में शिकायत सही पाई गई थी और उप निबंधन प्रथम अजय कुमार त्रिपाठी, कनिष्ठ सहायक प्रदीप उपाध्याय, और सतीश कुमार चौधरी को विभिन्न जनपदों से सम्बद्ध कर दिया गया था। साथ ही पूरे मामले की जांच करने के लिए अयोध्या मण्डल के उप महानिरीक्षक (निबंधन) निरंजन कुमार और उप महानिरीक्षक निबंधन अविनाश पांडे की जांच समिति गठित की गई थी।
क्या होती है मूल डीड
मूल डीड यानी विलेख, एक कानूनी दस्तावेज़ होता है जिसमें किसी संपत्ति के स्वामित्व या अधिकारों की घोषणा की जाती है। डीड में विक्रेता और खरीदार का नाम, संपत्ति का विवरण, बिक्री की कीमत, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी शामिल होती है। डीड पर विक्रेता और खरीदार के साथ-साथ दो गवाहों के हस्ताक्षर होते हैं। डीड को स्थानीय रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्टर कराना होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भरष्टाचार के विरुद्ध जीरो टोलरेंस की नीति के तहत निलंबन की सख्त कार्यवाही की गई है। जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद पूरे ऑफिस को निलंबित करने का फैसला लिया गया है जो प्रदेश में भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ नजीर बनेगा।
रवीन्द्र जयसवाल, स्टांप एवं पंजीयन