
प्रदेश सरकर के सख्त निर्देश के बावजूद लगभग डेढ़ लाख राज्यकर्मियों ने अब तक अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया है। पहले इसकी निर्धारित तिथि 31 जनवरी तक थी जिसे बाद में बढ़ाकर 28 फरवरी तक कर दिया गया था। राज्य कर्मचारियों को मानव सम्पदा पोर्टल पर अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा भरना था। 28 फरवरी तक पोर्टल पर पिछले वर्ष 31 दिसंबर तक की चल-अचल संपत्ति न बताने वाले कार्मिकों को मार्च में वेतन नहीं मिलेगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से जारी शासनादेश के मुताबिक 1 फ़रवरी की समीक्षा में यह संज्ञान में आया है कि पोर्टल पर कुल पंजीकृत 831844 अधिकारियों कर्मचारियों के सापेक्ष कुल 689826 कर्मचारियों (83 प्रतिशत) ने ब्यौरा दिया है। पिछली बार यह संख्या 593873 अधिकारियों कर्मचारियों (71 प्रतिशत) थी। उन्होंने बताया कि शासन के स्पष्ट निर्देशों के बाद भी निर्धारित समयावधि में कार्मिकों द्वारा चल-अचल सम्पत्ति का विवरण पोर्टल पर दर्ज न किया नहीं किया गया है।
28 फरवरी को आखिरी मौका
उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण के तहत प्रदेश के सभी श्रेणियों के 8,33,510 राज्यकर्मियों को अपनी चल-अचल संपत्ति का वार्षिक ब्यौरा देना था। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि 28 फरवरी तक अपनी संपत्ति का ब्यौरा पोर्टल पर प्रस्तुत करने वाले कार्मिकों को ही मार्च में वेतन मिलेगा। विभागों के आहरण-वितरण अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का दायित्व सौंपा गया है।
सभी सरकारी कर्मचारियों को मानव संपदा पोर्टल पर लॉगिन करके अपने चल-अचल संपत्ति का विवरण ऑनलाइन जमा करना होगा। इस प्रक्रिया के माध्यम से सरकार कर्मचारियों की संपत्ति की पारदर्शिता सुनिश्चित करना चाहती है, जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके। यदि कोई कर्मचारी निर्धारित समय सीमा के भीतर विवरण प्रस्तुत नहीं करता है, तो उनके वेतन को रोकने के साथ-साथ उनके संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
उत्तर प्रदेश सरकार सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और ईमानदारी को बढ़ावा देने के लिए इस प्रकार के कदम उठा रही है। संपत्ति विवरण प्रस्तुत करने से न केवल कर्मचारियों की संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक होगी, बल्कि इससे भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी। सरकार की इस सख्ती से कर्मचारियों में जवाबदेही की भावना बढ़ेगी और वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी से करेंगे।